ढीठ व निकम्मे सचिवों व आलाअधिकारियों को क्या टीएसआर-2 लगायेंगे ठिकाने?
या फिर उसी भ्रष्टाचार में रम जायेंगे भाजपा की प्रदेश में डूबती नैया के खेवनहार!
…आखिर नहीं चेता उत्तराखंड ऊर्जा विभाग : अब फिर खेला जायेगा यूपीसीएल में एक्सटेंशन का खेल!
भ्रष्ट व घोटालेबाज निदेशक की होगी विदाई अथवा सेहराबंदी?
ऊर्जा विभाग की धाँधलेबाजी व धनलोलुपसा के कारण नहीं निकाली गयी समय पर विज्ञप्ति, अब होगा कोविड का बहाना?
30 जून को रिक्त हो रहे हैं दो और निदेशक, कैसे चलेगा सुचारु रूप से काम?
एमडी और निदेशक एचआर भी हैं काम चलाऊ!
(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)
देहरादून। भाजपा हाईकमान ने प्रदेश में त्रिवेन्द्र सरकार के कारण निरंतर धूमिल हो रही छवि को अगले वर्ष के विधान सभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुये मुख्यमंत्री बदले जाने का जो एकाएक पिछले दो माह पूर्व निर्णय लिया और त्रिवेन्द्र रावत को हटा तीरथ सिंह रावत को कमान सौंपी, क्या जनता में छवि सुधार पायेगी?
यह यक्ष प्रश्न आज जस का तस दिखाई पड़ रहा है क्योंकि केवल चेहरा बदलने से नहीं बल्कि जिन कार्यकलापों और अपनाई जा रही ढोंगी व दिखावटी नीतियों को अपनाकर टीएसआर-1 सरकार काम कर रही थी उसमें कोई खास परिवर्तन नजर नहीं आ रहा है जिससे आज भी वही छवि इस टीएसआर-2 की बनती जा रही है और यदि समय रहते क्रातिंकारी परिवर्तन नहीं दिखाई पडा़ तो न रहेगा बांस और न बजेगी इस प्रदेश में फिर भाजपा की बाँसुरी!
निवर्तमान सरकार को पतन की ओर धकेलने वाले भ्रष्ट और घोटालेबाज आला अधिकारी तब भी निरंकुश और स्वछन्द थे और आज भी हैं। इनमें से कुछ को तो ठिकाने लगाने में तीरथ सरकार कुछ कारगर दीखी परन्तु भ्रष्टाचार और भ्रष्ट अधिकारियों की पनाहगार बना शासन में ऊर्जा विभाग टस से मस भी नहीं हुआ। ऐसा क्या कारण है इस विभाग की सचिव से इसे निजात नहीं मिली? क्या और कोई आईएएस इस योग्य नहीं या फिर राष्ट्रीय नेतृत्व की कोई बंदिश अथवा …?
परिणाम स्वरूप महा घोटालेबाज और भ्रष्ट इन तीनों निगमों के कुछ संलिप्त निदेशक व मुख्य अभियंता दबंगई से सचिव ऊर्जा के संरक्षण में यथावत विद्यमान हैं, जिन्हें जेल में होना चाहिए था।

ज्ञात हो कि सचिव ऊर्जा के कुछ ज्यादा ही चहेते हठधर्मिता और स्वार्थ सिद्धी के कारण निदेशक व प्रभारी निदेशक यूपीसीएल में नियम विरुद्ध कुर्सियों पर आसीन चले आ रहे हैं। यहाँ बात अगर निदेशक परिचालन की, की जाये तो महाशय जी का निदेशक का कार्यकाल छः माह से भी पहले ही समाप्त हो चुका है और तब भी ऊर्जा सचिव के द्वारा पक्षपाती रवैया अपनाकर अपने को मक्खन और गैर को ढक्कन की कहावत के अनुसार यूपीसीएल के लाला जी को टिल फरदर आर्डर तक एक्सटेंशन और पिटकुल में रहे एक निदेशक को बापसी का रास्ता दिखा दिया जाना चर्चित था ऐसा ही खेल इससे पहले भी इन्हीं सचिव द्वारा खेला जाता रहा है।
हमारे द्वारा पहले भी शासन और सरकार को जगाने का प्रयास किया जा चुका है परंतु सरकार पर न जाने कौन सा वशीकरण मंत्र छाया हुआ है कि लगभग लगभग सारे सचिव इधर से उधर अनेकों बार हो चुके पर सचिव ऊर्जा जहाँ की तहाँ ही…! जबकि सरकार बदलते ही अनुमान लगाये जा रहे थे कि अब प्रदेश के ऊर्जा विभाग को अच्छा व साफ सुथरी छवि वाला वास्तविक रूप में कड़क सचिव मिलेगा!
विदित हो कि आगामी 30 जून को यूपीसीएल के दो निदेशकों के पद सेवा निवृत्ति के कारण रिक्त हो रहे हैं जिनमें से निदेशक परिचालन का पद पहले से ही एक्सटेंशन पर चल रहा है और निदेशक परियोजना का पद भी रिक्त हो जायेगा। इस निगम में चार निदेशक व एक एमडी का पद हैं जिसमें एमडी औऋ निदेशक एचआर के पद भी पहले से ही काम चलाऊ अर्थात प्रभारी के रूप में चल रहे हैं। एमडी के पद पर आईएएस नीरज खैरवाल हैं जिनके पास पिटकुल के एमडी का भी दायित्व है तथा निदेशक एचआर का कार्यभार विवादित व अनेंकों प्रकरणों में चर्चित व संलिप्त रहे मुख्य अभियंता को सौंपा हुआ है जिनकी भी सेवा निवृत्ति दिसम्बर माह में है।
नियमानुसार निदेशक और प्रबंध निदेशक के रिक्त पदों की नियुक्ति प्रक्रिया छःमाह पूर्व ही शुरू कराना सचिव ऊर्जा व विभाग का दायित्व है परंतु जानबूझ कर नियुक्ति प्रक्रिया को सोची समझी साजिश और खेल के चलते टालमटोल, ढींगामस्ती व हठधर्मिता के चलते नहीं शुरू किया गया और ऐनकेन प्रकरेण ऐसे अधर में लटका दिया गया कि एक्सटेंशन के सिवा कोई और चारा ही न बचे!
उल्लेखनीय तो यह है ऊर्जा के तीनों निगमों व उरेडा में भ्रष्टाचार व घोटालों के सैकडों करोड़ के घोटालों के दर्जनों मामले दबाये रखे गये हैं जिन पर यदि ईमानदारी से कार्यवाही की जाती तो इनमें संलिप्त तथाकथित महान हस्तियाँ आज इनकी कुर्सियों पर बैठ एसी की नहीं बल्कि जेल की हवा खा रहे होतीं ! पर जिन जिन पर कृपा इन मैडम की होई ताको बाल न बाँका कर सके कोई!
देखना यहाँ गौर तलब होगा कि टीएसआर-2 सरकार इस ऊर्जा विभाग को भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजो व उन्हें संरक्षण देने वालों के चुंगल से छुडा़ पाने में सफल होती है या नहीं या फिर झूठे और नाटकीय वशीकरण का शिकार होती है?