मेहनत किसी की और श्रेय ले रहा कोई और, वाह रे वाह! ऊर्जा विभाग!
पूर्व चर्चित एमडी यादव की अदूरदर्शिता और स्वार्थी नियत का खामियाजा अभी भी भुगत रही है देवभूमि!
530 करोड़ की थी यह महत्वाकांक्षी श्रीनगर – काशीपुर 400 केवी ट्रांशमिशन लाईन परियोजना।
एडीवी वित्त पोषित थी परियोजना!
तत्कालीन एमडी अतुल अग्रवाल की सूझबूझ भरे कठोर आदेश से अनुबंध निरस्तीकरण आदेश से जून 2017 में जब्त की गईं थी कुल 106 करोड़ की थी बैंक गारंटी!
सर्वोच्च न्यायलय के पूर्व मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीएस ठाकुर की अध्यक्षता बाले इस तीन सदस्यीय आर्वीट्रेशन में जस्टिस आर वी रविन्द्रन (पूर्व न्यायधीश, सर्वोच्च न्यायलय) एवं जस्टिस वी के वाली (पूर्व मुख्य न्याधीश, केरल हाईकोर्ट) सम्मिलित।
एशिया की टाॅप रैंकिंग की थी जानीमानी लाॅ फर्म सिरिल अमरचन्द मंगलदास थी कोबरा की ओर से!
पिटकुल की ओर से अमित आनंद तिवारी, एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट व पिटकुल के चार अधिकारियों ने दमखम के साथ दी थी गवाही!
38 तारीखों में लगे तीन वर्ष, कल 23 जून को आया 198 पेज का एतिहासिक फैसला!
मेहनत किसी की और तारीफ खुद की?
सचिव ऊर्जा व उनके एक लाडले रहे एमडी ने परियोजना का नाम बदल कर सैंकडो़ं करोड़ के गुल खिलाने की ठोक रखी थी ताल!
जब दाल न गली तो, हाल ही में बोर्ड से वापस करा दी गयी प्रदेश के लिए नियामत बनने वाली उक्त परियोजना!
क्या उस मेहनती असल टीम को मिलेगा आऊट आफॅ टर्न पदोन्नति?
(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)
देहरादून। इस देवभूमि में जो न हो जाए, कम ही है! क्योंकि यहाँ चापलूसों और अवसरवादियों की भरमार है, तभी तो पर्दे के पीछे कुछ ईमानदार और वफादार अधिकारी व कर्मचारी हतोत्साहित होते रहे हैं जबकि इन आला अफसरों को चाहिए कि खुद श्रेय लेने की होड़ में न पड़ कर वास्तविक हकदारों को प्रोत्साहित करें! किन्तु ऐसा इस देवभूमि में मुमकिन कहाँ? यहाँ तो स्वयं सचिव व चाटुकार भी होड़ में सबसे आगे नजर आ रहे हैं? तथा अपनों को मक्खन और औरों को ढक्कन की कहावत को यहाँ चरितार्थ किये जाने का प्रयास किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि पिटकुल की 530 करोड़ की एडीबी द्वारा वित्त पोषित श्रीनगर काशीपुर 400 केवी ट्रांशमिशन लाईन का कान्ट्रेक्ट इंटरनेशनल विड में विदेशी फर्म कोबरा स्पेन के नाम अवार्ड हुआ था टेण्डर। समय पर उक्त योजना का कार्य न शुरू करने व जानबूझ कर अनावश्यक विलम्ब किया जा रहा था।
ज्ञात हो कि उक्त कोबरा द्वारा इस कान्ट्रेक्ट को अनुचित रूप से किसी अन्य को सौंप कर लाभ लिया जा रहा था जिसे पिटकुल के अधिकारियों ने भाँप लिया और गलत कृत्य पर पिटकुल विरोधी गेम पर प्रतिबंध लगाते हुये तत्कालीन एमडी अतुल अग्रवाल ने 15, 16 व 17 जून 2017 को सूझबूझ के साथ कठोर निर्णय लेते हुये उक्त अनुबंध को निरस्त करने एवं मोबालाईजेशन गारंटी व परर्फार्मेंस बैंक गारंटी की 10-10 प्रतिशत जमा रकमअर्थात 53 -53 करोड़ की दो बैंक गारंटी कुल 106 करोड़ की राशि जब्त करने के फरमान जारी किया था।
ज्ञात हो कि वौखलाए कोबरा ने अन्तर्राष्ट्रीय आर्वीट्रेटर की शरण ली किन्तु उसकी दाल वहाँ भी नहीं गल सकी। उसने हिन्दुस्तान की प्रख्यात लाॅ फर्म जो एशिया की टाॅप रैंकिंग में आने वाली जानीमानी लाॅ फर्म भी है मैसर्स सिरिल अमरचन्द मंगलदास से पैरवी कराई थी। जबकि पिटकुल की ओर से अमित आनंद तिवारी, एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट ने जोरदार दलीलें, साक्ष्य व तर्क प्रस्तुत कर पिटकुल के ही चार अधिकारियों की दमखम भरी गवाही से सफलता प्राप्त की।

इस महत्वपूर्ण आर्वीट्रेशन में सर्वोच्च न्यायलय के पूर्व मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीएस ठाकुर की अध्यक्षता बाले इस तीन सदस्यीय आर्वीट्रेशन में जस्टिस आर वी रविन्द्रन (पूर्व न्यायधीश, सर्वोच्च न्यायलय) एवं जस्टिस वी के वाली (पूर्व मुख्य न्याधीश, केरल हाईकोर्ट) सम्मिलित रहे।
उक्त विद्वान न्यायधीशों के आर्वीट्रेशन ने कल 23 जून को तीन साल की अवधि में 38 तारीखों की सुनवाई के उपरांत 198 पेज का महत्वपूर्ण एतिहासिक फैसला सुनाया और पिटकुल के द्वारा अनुबंध निरस्तीकरण आदेश को सही मानते हुये 89 करोड़ की रकम पिटकुल व 17 करोड़ कोबरा स्पेन को दिए जाने के आदेश किए।
इस आर्वीट्रेशन वाद में पिटकुल के अधीक्षण अभियंता डीपी सिंह और विकास शर्मा, डीजीएम फाईनेंस मनोज कुमार व अधिशासी अभियंता शीशपाल ने निडरता से विपक्षी की प्रख्यात लाॅ फर्म का सामना किया और दमखम के साथ गवाही दी।
वैसे अगर यहाँ सूत्रों की माने और पूर्व इतिहास में झाँका जाया जाए तो अनेकों घालमेल और घोटालों में संलिप्त रहे भूतपूर्व चर्चित एमडी यादव की साँठगाँठ भी उक्त कम्पनी से खासी रही थी, तथा उनके ही काॅकस द्वारा इस महत्वपूर्ण योजना को खटाई डलवाने में कोई कोर कसर नहीं छोडी़ गयी थी! क्योंकि उक्त परियोजना में यदि पिटकुल के उस समय की घोटालेबाजों की टीम ने गुल न खिलाये होते तो उक्त महत्वपूर्ण परियोजना आज वरदान साबित होती और समय पर पूर्ण होकर उक्त परियोजना कब की परबान चढ़ कर प्रदेश को लाभान्वित कर रही होती! किन्तु उन एमडी महाबली यादव को सीडी प्रकरण सहित सभी घोटालों में बिना कोई कार्यवाही किये ही जाँच अधिकारियों द्वारा दबा जिन्न को बोतल में बंद कर दिया गया। उस समय एमडी महावली यादव के मामलों को दबाए जाने व ठण्डे बस्ते में डाले रखने में वर्तमान आईएएस एमडी का भी नाम चर्चा में रहा है जो उस समय शासन में ही सचिव थे।
ज्ञात हो कि पहले तत्कालीन प्रमुख सचिव ऊर्जा रहे पॅवार व एमडी की जुगुल जोडी़ व काॅकस ने बेडा़ गर्क किया और अब वर्तमान सचिव सहित कुछ चाटुकार भी कहीं उनसे कम नहीं दिख रहे हैं तभी तो फिर उक्त परियोजना का नाम बदलवा कर खन्दूखाल रामपुरा लाईन रख धूल झोंकने का प्रयास किया गया था और तत्पश्चात नियत में खोट व एक ही बार में करोंडों के वारे न्यारे करने की होड़ 15 से 20प्रतिशत की अधिक लागत पर कल्पतरु और ट्रांसरेल से बारगेनिंग का खेल तथाकथित रूप से एक चहेते व लाडले एमडी के साथ खेलने की बिसात बिछाई तो गयी थी, परन्तु भला हो भाण्डा फूट जाने के चलते गुल नहीं खिल सके जिससे खिसियाये इन आलाअफसरों के काबिले तारीफ निर्णय से लगभग दस वर्षों की कडी़ मशक्कत व समय एवं धन की वर्वादी के पश्चात परियोजना को वापस करा दिया गया।
उल्लेखनीय है कि हमारे द्वारा कोबरा प्रकरण और तत्पश्चात इसी में उपजे शेषनाग प्रकरण का भण्डा फोड़ कर समय समय पर महत्वपूर्ण तथ्य समाचारों के माध्यम से उजागर किये जाते रहें हैं तथा इन सचिव महोदया के कार्यकाल के गुणों और गुलों को जनहित में उजागर किया जाता रहा है। मजे की बात तो यह भी होगी कि लुटियंस व चाटुकार मीडिया व प्रिंट मीडिया के समाचार भी कल कुछ खास ही नजर आय
देखना यहाँ गौर तलब होगा कि प्रदेश के मुखिया टीएसआर-2 इस हकीकत को समझ पाने में सफल हो पाते हैं या नहीं अथवा वे भी पूर्व सीएम टीएसआर-1 की तरह मंत्रमुग्ध रह कर इन मगरमच्छ रूपी चापलूस दिग्गजों की तारीफ के पुल बाँधेंगे?