वाह रे, वाह! ऊर्जा विभाग!!
क्या धामी सरकार इस काले चश्में को उतार फेंकेगी?
(सुनील गुप्ता, ब्यूरोचीफ)
देहरादून। कागजी घोडे़ और झूठ का पुलिन्दा ज्यादा नहीं चलता और सच्चाई खुद व खुद सामने आ ही जाती है। टीएसआर-1 और टीएसआर-2 सरकारों की आँखों पर मैडम का चढा़ काला चशमा अब धामी सरकार के दौर में उतरेगा या नहीं, ये रहस्यमय है! फिलहाल इस महत्वपूर्ण विभाग के तीनों निगमों और उरेडा की हालत दिनों दिन बद से बद्तर होती जा रही है। वैसे तो अभी तक तो ऊर्जा विभाग किसी भी कैबिनेट मंत्री के पास न रहकर सीधे मुख्यमंत्रियों के पास ही रहा है, किन्तु अब पुष्कर सिंह धामी सरकार ने इसकी कमान काबीना मंत्री डा. हरक सिंह रावत को देकर एक नयी परम्परा की शुरुआत तो की है, परंतु क्या इनका ये कदम परवान चढ़ सकेगा अथवा नहीं, यह तो समय ही बतायेगा? फिलहाल गौरतलव है कि इस वर्ष सेन्ट्रल मिनिस्ट्री आफॅ पावॉर के द्वारा जारी रैंकिंग एण्ड 9वीं वार्षिक इन्टीग्रेटिड रेटिंग स्टेट डिस्ट्रीब्यूशन यूटीलिटीज जुलाई 2021 में यूपीसीएल का नाम देश में 13वें स्थान पर B+ में दर्ज हुआ है जबकि पिछले वर्ष तीसरे स्थान पर A श्रेणी में दर्ज हुआ था। यूपीसीएल के एमडी और निदेशकों की जेबें भरने की होड़ व खाओ और खिलाओ के सिद्धांत में और मैडम की छत्र छाया में किसे दयानतदारी की परवाह थी, उसी का परिणाम है कि हालात निम्न स्तर पर निरंतर अग्रसर हैं।
ज्ञात हो कि इससे पूर्व 2018 में उत्तराखंड पावॅर कारपोरेशन का नाम देश में 7वें स्थान पर A+श्रेणी में दर्ज हुआ था।
तीन से तेरह पर आने के आँकडे़ साफ बता रहे है कि यूपीसीएल प्रबंधन कितनी सूझबूझ वाला रहा है और उसका नेतृत्व कर रही सचिव ऊर्जा कितनी सक्षम व काबिले तारीफ हैं!
केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी उक्त 88 पृष्ठीय बुक के पेज संख्या 20 पर यूपीसीएल की तीसरे स्थान और A+ कैटेगरी से 13वें स्थान और B+ में आने के कारणों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि
देखिए…
सूत्रों की अगर यहाँ माने और धामी सरकार के कडे़ तेवरों पर अगर यकीन किया जाये तो वह दिन दूर नहीं जब तीनों ऊर्जा निगमों यूपीसीएल, पिटकुल और यूजेवीएनएल व उरेडा के दर्जनों बडे़ बडे़ सैंकडों करोंड़ के घोटालों और भ्रष्टाचारों के मामलों का खुलासा हो सकेगा जिन्हें शासन स्तर पर सचिव ऊर्जा व उनके आधीनस्थ महान प्रबन्धतंत्र द्वारा दबा दिया गया है।
यही नहीं यूपीसीएल में जिन गम्भीर और आपराधिक वित्तीय क्षति पहुँचाने वाले पावॅर ट्रेडिंग प्रकरण में करोंडों के मामलों के मास्टर माईंड रहे एमडी, निदेशक परिचालन व तत्कालीन मुख्य अभियंता वाणिज्य जो वर्तमान में प्रभारी निदेशक (एचआर) भी हैं, के विरुद्ध किसी प्रकार की कार्यवाही का न किया जाना भी सचिव ऊर्जा की ही कृपा दृष्टि का ही पार्ट आफॅ वर्किंग स्टाईल माना जा रहा है।
देखना यहाँ गौरतलव होगा कि मुख्यमंत्री धामी इस ऊर्जा प्रदेश के महत्वपूर्ण ऊर्जा विभाग को किसी कड़क व ईमानदार छवि वाले आईएएस को सौंपते है या फिर यूँ ही कागजी और ख्याली पुलाव पकाने में माहिर वर्तमान सचिव के भरोसे ही ऐसे ही भ्रष्टाचारों और घोटालों को वढा़वा व संरक्षण दिया जाता रहेगा?