लखनऊ, गौतमबुद्धनगर में सुपरटेक ट्विन टावर के अवैध निर्माण के मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ बेहद गंभीर है। उन्होंने तत्काल ही इस मामले के लिए विशेष जांच दल गठित करने का निर्देश दिया। इस मामले में गठित एसआइटी (विशेष जांच दल) ने जांच का काम शुरू कर दिया है।
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त (आइआइडीसी) संजीव मित्तल की अध्यक्षता में गठित एसआइटी की शुक्रवार को लखनऊ में पहली बैठक हुई। विशेष जांच दल सोमवार को गौतमबुद्धनगर में जाकर स्थलीय निरीक्षण भी करेगा।
नोएडा विकास प्राधिकरण की मिलीभगत से सुपरटेक लिमिटेड के अवैध रूप से बनाए गए 40 मंजिला दो टावरों को ध्वस्त करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गुरुवार को गठित एसआइटी ने शुक्रवार को बैठक की। एसआइटी के सदस्य अपर मुख्य सचिव ग्राम विकास एवं पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह और मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक अनूप कुमार श्रीवास्तव तो बैठक में शामिल हुए लेकिन एक और सदस्य अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ जोन राजीव सब्बरवाल लखनऊ नहीं आ सके। सब्बरवाल से फोन पर बात की गई। इस बैठक में जांच के बिन्दुओं को लेकर विस्तार से चर्चा हुई और उसकी दिशा तय की गई। यह बड़ा मामला गौतमबुद्धनगर का है इसलिए अब यह विशेष जांच दल शनिवार-रविवार के अवकाश के बाद सोमवार को वहां जाएगा। वहां संबंधित पत्रावली देखने के साथ ही प्राधिकरण के अफसरों से एसआइटी बात करेगी।
एसआइटी से पूरे प्रकरण की जांच कर दोषियों के नाम सहित अधिकतम सात दिन में रिपोर्ट देने की शासन ने अपेक्षा की है। इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुप्रीम कोर्ट का आदेश आते ही उसका अक्षरश: पालन कराने की बात कह चुके हैं इसलिए माना जा रहा है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि सुपरटेक का मामला तो वर्ष 2004 से 2012 के बीच का है लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी कुछ अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध होने की बात सामने आने पर मुख्यमंत्री ने वर्ष 2004 से 2017 तक प्राधिकरण में तैनात रहे मामले से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों की जवाबदेही तय कर समयबद्ध कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। वर्ष 2004 से 2017 के दरमियान राज्य में सपा और बसपा की सरकार रही है।
मिट्टी हो जाएगा करोड़ों रुपये का खनिज और लाखों घंटों की मेहनत
नोएडा प्राधिकरण अधिकारियों का निजी स्वार्थ और बिल्डर की अति महत्वाकांक्षा के चलते करोड़ों रुपये का खनिज और कामगारों की लाखों घंटों की मेहनत चंद सेकंड में मिट्टी में मिल जाएगी। जिन गगनचुंबी टावरों को करीब आठ वर्ष तक खड़ा किया गया, अगर उन्हें सही जगह और सही तरीके से बनाया जाता, तो यह नजीर बन जाते। मिसाल तो यह दोनों टावर अब भी बन गए हैं, लेकिन अब भ्रष्टाचार और सिस्टम की खामियों को उजागर करने के साथ लालच की ऊंचाई को दिखा रहे हैं। सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट में बने दोनों टावर को बनाने में करीब 300 करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन इसके लिए गलत जगह का चयन कर लिया। निवासियों की आपत्तियों के बावजूद पैसे के बल पर लगातार इन टावरों की ऊंचाई बढ़ती रही और इन्हें बनाने में करोड़ों रुपये के खनिज और लाखों घंटों की मेहनत की गई। अब इन टावरों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ध्वस्त किया जाना है। इसमें प्रयोग किया गया खनिज और लोगों की मेहनत सब बेकार होने वाली है।
क्या है लागत और क्या-क्या लगा
- – दो टावर बनाने में 300 करोड़ रुपये अब तक खर्च।
- -12.50 हजार टन सरिया का प्रयोग।
- – सरिया की कीमत 25 करोड़ रुपये।
- -साढ़े चार लाख बैग सीमेंट का प्रयोग
- -25 करोड़ रुपये की बदरपुर रोड़ी प्रयोग।
- -26 करोड़ रुपये में कराया गया बिजली संबंधी कार्य।
- -25 करोड़ रुपये लगे प्लंङ्क्षबग और फायर फाइङ्क्षटग उपकरण।
- -एक भी इंच ईंट का प्रयोग नहीं।
- -करीब 50 लाख कामगारों ने किया काम।
- -एक कामगार ने आठ घंटे औसत काम किया।
- -निरीक्षण में लगे रहे दर्जनों इंजीनियर।