धामी सरकार बेरोजगारों पर मेहरबान, पांच सरकारी विभागों में 157 रिक्त पदों पर नौकरी का मौका – Polkhol

धामी सरकार बेरोजगारों पर मेहरबान, पांच सरकारी विभागों में 157 रिक्त पदों पर नौकरी का मौका

धामी सरकार बेरोजगारों पर मेहरबान है। पांच सरकारी विभागों में 157 रिक्त पदों पर नौकरी का मौका दिया जा रहा है। अभ्यर्थी 25 नवंबर तक आवेदन कर सकते हैं। अभ्यर्थी आयोग की बेवसाइट www.sssc.uk.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आपको बता दें कि प्रदेश सरकार ने इसी महीने चार अन्य सरकारी विभागों में रिक्त समूह ग के 423 पदों के लिए आवेदन प्रक्रिया आरंभ की थी।

आयोग के सचिव संतोष बडोनी बतातें हैं कि प्राविधिक शिक्षा विभाग में कर्मशाला अनुदेशक के 109 पद, कर्मशाला अनुदेशक इलेक्ट्रोनिक्स व कर्मशाला अनुदेशक विद्युत के 16, जनजाति कल्याण विभाग में 15 पद, उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में लाइनमेन का एक, लघु सिंचाई विभाग सहायक बोरिंग टेक्नीशियन 13 व उरेड़ा में तकनीकी सहायक के तीन पदों पर अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए हैं।

राज्य सरकार की ओर से कोरोना संक्रमण काल के कारण अधिकतम आयु वर्ग में एक वर्ष की छूट दी गई है। अभ्यथी को किसी भी आवेदन पत्र भरने से पूर्व अपना वन टाइम रजिस्ट्रेशन (ओटीआर) भरना अनिवार्य है। इसके बाद ही अभ्यर्थी अपना आवेदन पत्र भर सकते हैं। सरकार की ओर से फीस माफ कर दी गई है। आवेदन करने वाले सभी श्रेणियों के अभ्यर्थियों को फीस नहीं भरनी होगी। शैक्षणिक योग्यता संबंधी संपूर्ण जानकारी आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। लिखित परीक्षा मार्च 2022 में संभावित है।

यह हैं महत्वपूर्ण तिथियां

– आनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 25 नवंबर,

अभ्यर्थी यहां करें आवेदन

www.sssc.uk.in

दिक्कत होने पर यहां करें संपर्क

-टोल फ्री नंबर: 9520991172

व्हाट्सएप : 9520991174

पालिटेक्निक संविदा शिक्षकों में जबरदस्त आक्रोश

प्राविधिक शिक्षा विभाग में रिक्त 125 पदों पर उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से आवेदन आमंत्रित करने पर पालिटेक्निक संविदा शिक्षकों ने कड़ा रोष व्यक्त किया। पालीटेक्निक संविदा शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश नौटियाल, सदस्य हनुमंत बिष्ट, महेश भट्ट, प्रदीप जोशी आदि ने बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन प्रेषित किया। बताया कि वह दस से 12 वर्षों से विभिन्न राजकीय पालीटेक्निक संस्थानों में 200 बतौर संविदा शिक्षक सेवाएं दे रहे थे। प्रदेश सरकार ने 2018 में बिना किसी लिखित आदेश और कारण के उन्हें हटा दिया था, जिससे उन्हें बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है।

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