वाराणसी में बाबा दरबार से गंगधार तक विस्तारित श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कारिडोर 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनता को समर्पित करेंगे। इसे ध्यान में रखते हुए 10 दिसंबर तक संपूर्ण कार्य पूरा कर लिया जाना है। इस खास मौके पर बाबा दरबार की साज-सज्जा के लिए श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पट एक दिसंबर को बंद रहेगा। अगले दिन दो दिसंबर को सुबह छह बजे श्रद्धालुओं के लिए पट खुलेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र बनारस में तीन दिन प्रवास करेंगे। पीएम 13 दिसंबर को ड्रीम प्रोजेक्ट श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करेंगे। अगले दिन 14 दिसंबर को बरेका प्रेक्षागृह में महापौर सम्मेलन को संबोधित करेंगे तो शहंशाहपुर में नवनिर्मित बायो गैस प्लांट परिसर में जीरो बजट खेती पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में भागीदारी करेंगे। 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री सम्मेलन में होंगे। इस दौरान स्वर्वेद महामंदिर उमरहा में विहंगम योग संत समाज के 98वें वार्षिकोत्सव में भी शामिल हो सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन दिवसीय प्रवास में बरेका अतिथि गृह में ही ठहरेंगे। इसे देखते हुए अतिथि गृह नए सिरे से सजाया-संवारा जा रहा है। हालांकि प्रोटोकाल जारी होने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि प्रधानमंत्री बनारस में किन कार्यक्रमों में शामिल होंगे, लेकिन प्रशासन अपने स्तर पर तैयारी में पूरी तरह जुटा है। इसमें श्रीकाशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण के अगले दिन देश भर से जुटे 200 महापौर का सम्मेलन, सीएम समिट, जीरो बजट खेती पर संगोष्ठी खास है। महापौर सम्मेलन में पीएम ‘अपने-अपने शहरों में ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में बढ़ाए गए कदम’ पर चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री ने अपने पहले कार्यकाल में ही ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण को लेकर हृदय योजना लागू की थी। इसके तहत बनारस में भी बहुत से कार्य हुए हैं।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण व सुंदरीकरण परियोजना के तहत बनकर लगभग तैयार श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कारिडोर के मंदिर खुद अपनी कहानी सुनाएंगे। इतिहास बताएंगे तो महात्म्य से लेकर निर्माण शैली समेत अपनी अन्य खूबियों से भी परिचित कराएंगे। इसके लिए सभी मंदिरों के बाहर बोर्ड पर विभिन्न भाषाओं में पूरा विवरण तो लिखा ही जाएगा, पढ़ने में अक्षम श्रद्धालुओं-सैलानियों के लिए आडियो सिस्टम भी लगाया जाएगा। स्क्रीन टच करते ही ईयर फोन से सब कुछ सुना जा सकेगा।
बाबा दरबार से गंगधार तक श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर को विस्तार देने के लिए खरीदे गए 314 भवनों का जब दो साल पहले ध्वस्तीकरण शुरू किया गया तो 5,27,730 वर्गफीट में लगभग 60 मंदिर सामने आए। श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद की ओर से इनका विशेषज्ञों से पुरातात्विक सर्वेक्षण कराया गया। मंदिरों की बनावट व कला शैली के आधार पर विश्लेषण में ज्यादातर के निर्माण की अवधि 18वीं शताब्दी के उत्तराद्र्ध से 19वीं शताब्दी के बीच होने का आकलन किया गया।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की वर्तमान संरचना 18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई द्वारा निर्मित है। इस लिहाज से भी कारिडोर क्षेत्र में मिले देवालयों की प्राचीनता इसके आसपास ही आंकी गई। इनमें 27 शिखरयुक्त बड़े मंदिरों में से 17 का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। महत्व केअनुसार उन्हें सजाया-संवारा जा रहा है। इसके अलावा घरों-गलियों में मिले विग्रहों को स्थापित करने के लिए कारिडोर क्षेत्र में ही 27 मंदिर बनाए जा रहे हैं। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर कार्यपालक समिति अध्यक्ष व मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल के अनुसार इतने मंदिर एक जगह पर बनारस वालों ने भी न देखे होंगे।