एजेंसी: तमिलनाडु में हुए हेलीकाप्टर क्रैश में सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत सभी 13 लोगों की मौत हो गई है। हादसे के वक्त हेलीकाप्टर में सीडीएस और उनकी पत्नी समेत सेना के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। वायु सेना ने ट्वीट कर ये जानकारी दी है। समाचार एजेंसी एएनआई ने भी हेलीकाप्टर में सवार 14 लोगों में 13 लोगों की मौत की पुष्टि की थी। साथ ही जानकारी है कि शवों की पहचान डीएनए जांच से की जाएगी। सरकार गुरुवार को संसद में दुर्घटनाग्रस्त हुए सैन्य हेलीकॉप्टर एमआई-17 वी5 के बारे में जानकारी देगी। वहीं, दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए भारतीय वायु सेना ने जांच के आदेश दिए हैं।
वायुसेना ने की पुष्टि
वायुसेना ने ट्वीट कर कहा कि हेलीकॉप्टर हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 सैन्यकर्मियों की मौत हो गई है।
कहा जन्मे थे विपिन रावत
16 मार्च 1958 को देहरादून में जन्मे सीडीएस बिपिन रावत के पिताजी एल एस रावत भी फौज में थे और उन्हें लेफ्टिनेंट जनरल एल एस रावत के नाम से पहचाना जाता था। सीडीएस रावत सेंट एडवर्ड स्कूल, शिमला और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकसला के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में एम. फिल की डिग्री हासिल की है और मैनेजमेंट और कंप्यूटर स्टडीज में डिप्लोमा लिया है। दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से 11 गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में उन्हें नियुक्त किया गया। उन्हें यहां ‘सोर्ड ऑफ ऑनर’ से भी सम्मानित किया जा चुका है।
जनरल रावत की अगुआई में सेना ने कई ऑपरेशन को अंजाम दिया
सीडीएस बिपिन रावत की अगुवाई में भारतीय सेना ने कई ऑपरेशन को भी अंजाम दिया है। उन्होंने पूर्वोत्तर में आतंकवाद को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जून 2015 में मणिपुर में एक आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद 21 पैरा कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन-के कई आतंकियों को ढेर किया था। तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे। इसके अलावा 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी शिविरों को ध्वस्त करते हुए कई आतंकियों को मार गिराया था। उरी में सेना के कैंप और पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले में कई जवान शहीद हो जाने के बाद भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई की थी।
आतंकवाद रोधी अभियानों की कमान संभालने का खासा अनुभव
जनरल बिपिन रावत को ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र और आतंकवाद रोधी अभियानों की कमान संभालने का खासा अनुभव है। वे 1986 में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इंफेंट्री बटालियन के प्रमुख की भूमिका निभा चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय राइफल्स के एक सेक्टर और कश्मीर घाटी में 19 इंफेंट्री डिवीजन की अगुआई भी की है। वह कॉन्गो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का नेतृत्व भी कर चुके हैं।