ऊर्जा निगमों की अनदेखी कर रहे सीएम उत्तराखंड, कहीं ओ.पी. चौटाला की राह पर तो नहीं? – Polkhol

ऊर्जा निगमों की अनदेखी कर रहे सीएम उत्तराखंड, कहीं ओ.पी. चौटाला की राह पर तो नहीं?

यूपीसीएल एमडी की नियुक्ति को चुनौती वाली ये रिट पिटीशन भी बन सकती है सरकार के गले की फाँस?
चीफ जस्टिस की कोर्ट में सुनवाई सोमवार को!
पिटकुल की इतनी अनदेखी के पीछे की बजह क्या?
अपने पर आई चिनगारी तो तत्काल एक्शन और जनता हो सितमों से प्रभावित तो वेरुखी क्यों?
उरेडा में आईएस रंजना को जिम्मेदारी, पिटकुल एमडी की कुर्सी अभी भी खाली?
यूपीसीएल : श्रावंती एवं गामा का विनाशकारी पीपीए रुकेगा या थोपा जायेगा उपभोक्ता पर?

पिछले पीपीए का करोडों का दंड भुगता नहीं जा रहा, नये की तैयारी

(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)

देहरादून। उत्तराखंड के ऊर्जा विभाग के निगमों की ओर से निरंतर सीएम का मुँह मोडे़ रखना प्रदेश की जनता व लगभग तीस लाख उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबव बनता ही जा रहा है यही नहीं सरकार का ये दो मुहाँपन आने वाले समय में इसी सरकार की गले की फाँस बन सकता है! एक ओर ऊर्जा विभाग के यूपीसीएल में एमडी की चौंकाने वाली विवादित नियुक्ति तो अपने पीछे अनेकों सवालों को जन्म देती ही जा रही है साथ ही सीएम सीएस की खासी बदनामी भी करोंडों़ के लेनदेन को लेकर हो रही है।

इसी क्रम में आज सीएम कार्यालय में एक चिठ्ठी की घटित चिनगारी पर एक्शन पे एक्शन में आना भी खासी चर्चा में है वहीं उपभोक्ताओं पर सितम पे सितम बनने वाले कारणों से स्वयंभू हमदर्द व हितैषी कहने वाले सीएम की वेरुखी क्यों?

अपर सचिव ऊर्जा व निदेशक, उरेडा के पद पर आईएएस सुश्री रंजना की नियुक्ति

ज्ञात हो कि शासन द्वारा गत दिवस अपर सचिव ऊर्जा व निदेशक, उरेडा के पद पर आईएएस सुश्री रंजना की नियुक्ति कर दी गयी किन्तु दूसरी ओर पिटकुल में दस बारह दिनों से खाली पडी़ एमडी की कुर्सी सरकार की ऐसे समय में वेरुखी ही कही जा सकती है या फिर ऊर्जा मंत्री और सीएम के बीच इसी विवादित और भ्रष्टाचारों के महारथी को डुयल चार्ज देने की जुगत और फजीहत का होना, हो सकता है।

विद्युत नियामक आयोग में इन दोनों निगमों ने अगले वर्ष के टैरिफ की पिटीशन भी करनी है फाईल

उल्लेखनीय यहाँ यह भी है कि विद्युत नियामक आयोग में तीनों निगमों ने अगले वर्ष के टैरिफ की पिटीशन भी फाईल करनी हैं जिनकी तिथी 30 नवम्वर निकल चुकी है। पिटकुल और यूपीसीएल द्वारा नियामक आयोग से पन्द्रह दिन अर्थात 15 दिसम्बर तक का समय पिटीशन फाईल करने हेतु माँगा गया है जबकि पिटकुल बिना एमडी के ही राम भरोसे चल रहा है ऐसे में यह महत्वपूर्ण टैरिफ पिटीशन कैसे बिना किसी जिम्मेदार एमडी के फाईल हो सकेगी?

कैसे होगी दो दिनों में पिटकुल की आडिट कमेटी एवं बोर्ड की मीटिंग

यही नहीं एक दो दिनों में पिटकुल की आडिट कमेटी एवं बोर्ड की मीटिंग भी हैं जिनमें भी एमडी के पद की खासी भूमिका होती है। इस होने वाली बोर्ड की बैठक में विशेष बात यह है कि अपर मुख्य सचिव आईएएस राधा रतूडी़ द्वारा गत दिवस निर्देश जारी किये गये हैं कि डिजीटल माध्यम के  प्रोसेस को ही अपनाया जायें।

चीफ जस्टिस की कोर्ट में सुनवाई सोमवार को!

मजेदार तथ्य यह भी है कि यूपीसीएल के एमडी के पद के एक सशक्त दावेदार रहे आर के सेमवाल द्वारा माननीय उच्च न्यायलय नैनीताल में भारतीय संविधान के आर्टिकल 226 के अन्तर्गत एक रिट पिटीशन एमडी यूपीसीएल के पद पर आसीन चल रहे अनिल कुमार की नियुक्ति को लेकर अपनाई गयी समस्त प्रक्रिया को चुनौती दी गयी है।

उक्त याचिका पर सोमवार 13 दिसम्बर को चीफ जस्टिस की बेंच में सुनवाई होनी है। इस याचिका में याचिकाकर्ता सेमवाल ने उत्तराखंड सऱकार सहित सचिव ऊर्जा आदि को भी पक्षकार बनाया है। विधी विशेषज्ञ बताते हैं कि यह याचिका सरकार के गले की फाँस बन सकती है।

उक्त रिट याचिका सरकार व एमडी अनिल कुमार के गले की फाँस बनने की सम्भावना को ही देखते हुये ऊर्जा विभाग व निगमों के कुछ बिगडै़ल अधिकारी व कर्मचारी ऐन केन प्रकरेण घवराहट में गैर कानूनी व अनुचित दुष्कृत्यों को भी अंजाम देने की फिराक में है जो पहले भी आस्तीन के साँप बन कर पूर्व सचिव ऊर्जा के यहाँ सेंधमारी कर चुके हैं।

बताया जा रहा है कि उक्त याचिका में यह भी कहा गया है साक्षात्कार कमेटी के निर्णय को मानकर नियम विरुद्ध कार्यवाही करके मनमानी की गयी है व चयन प्रक्रिया व नियमों का हनन किया गया है तथा नियमों की अनदेखी भी की गयी है और नियुक्ति पत्र से पहले पूरी होनी वाली समस्त आवश्यक औपचारिकताओं को भी पूरा नहीं कराया गया जो कि अनिवार्य था। उक्त याचिका में यह भी कहा गया है कि अनिल कुमार की नियुक्ति प्रक्रिया के प्रारम्भ होने से पहले 10 वर्षों की एसीआर रिपोर्ट और सतर्कता रिपोर्ट भी पत्रावली में उपलब्ध नहीं है ऐसे में यह नियुक्ति असंवैधानिक है और निरस्त होने योग्य है।

ये त्रुटि पर पर्दा डालने का प्रयास नहीं तो और क्या

ज्ञात हो कि शायद यही कारण था कि विभागीय गम्भीर त्रुटि पर पर्दा डालने हेतु निवर्तमान सचिव ऊर्जा आईएएस सौजन्या के द्वारा दोनों निगमों यूपीसीएल और पिटकुल  के एमडी से पत्र दिनांक 29 नवम्बर को भेजकर निदेशक रहे अनिल कुमार सहित मुख्अभि.अजय अग्रवाल, मुख्य अभियंता कमलकान्त व यूपीसीएल के चीफ इंजी. सतीश शाह, चीफ इंजी. संजय कुमार टमटा व पीसी ध्यानी की एसीआर (अनुशासनात्वमक कार्यवाही का विवरण) सतर्कता रिपोर्ट/ प्रमाणपत्र एक सप्ताह के भीतर आवश्यक रूप से एक सप्ताह के भीतर माँगा गया है, जो अपने आप में ही सब कुछ बयाँ कर रहा है …

इस पत्र में वे नाम ही सम्भवता दर्शाये गये हैं जिनकी नियमानुसार एसीआर आदि नहीं ली गयीं और इन्हें भी सिफारिशों व मायाराम एव मंत्री संत्री के दबाव के बल पर नियुक्ति देकर नवाजा जाना है जबकि अधिकांश या तो किसी न किसी भ्रष्टाचार के मामले में चार्जशीटिड हैं या फिर दुराचरण को लेकर संलिप्त रहे हैं ?

मजेदार तथ्य तो यह भी हैं ऊर्जा विभाग रूपी रोम जल रहा है और न्यूरो रूपी सीएम धामी अपनी चुनावी बंसी बजाने मेंं ही मस्त दिखाई दे रहे हैं। जबकि ऊर्जा प्रदेश के ऊर्जा विभाग से सीएम की इतनी वेरुखी पहले कभी नहीं देखी गयी।

इन तमाम मामलों और विवादित व अनेंकों भ्रष्टाचार व घोटालों के मामलों में संलिप्त रहे एक व्यक्ति विशेष से खास रिश्तों की बजह भी जनता जानने को उत्सुक है जिसके कारण सरकार अपनी फजीहत करा रही है।

यूपीसीएल : श्रावंती एवं गामा का विनाशकारी पीपीए रुकेगा या थोपा जायेगा उपभोक्ता पर

सूत्रों की अगर यहाँ यह भी माने तो इस प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं पर एक बार फिर ऐसा ग्रहण लगने वाला है जिसकी मार आने वाली पीढि़यों के उपभोक्ता भी बिजली दरों की असहनीय मार के रूप में झेलेंगे। वैसे तो पहले भी उक्त महादंश की साजिश को उजागर किया जा चुका है कि यूपीसीएल एमडी एक और ऐसा पाॅवर परचेज अनुबंध (पीपीए) बिना जरूरत और उपयोगिता के श्रावन्ती व गामा गैस बेस्ड जनरेटरों से आगामी 25 वर्षों का बाजार से कहीं अधिक दरों पर बिजली क्रय किये जाने की साजिश में तल्लीन है। उक्त पीपीए साईन किये जाने के पीछे करोंडों के बारे न्यारे करने और कराने का खेल भी मुख्य रूप से माना जा रहा है तथा अपना काम बनता, भाड़ में जाये जनता की कहावत को चरितार्थ किया जा रहा है। जबकि इसके विपरीत एक अन्य फर्म मेसर्स आर वी इन्फ्रा. के द्वारा श्रावंती व गामा से कहीं अधिक सस्ती दरों पर पाँच वर्षों तक 500 मेगावाॅट बिजली बेचने का प्रस्ताव भी सीएम को दिया जा चुका है परंतु यह काॅकस अपनी जेबें भरने के स्वार्थ में और चुनावी खर्च की भरपाई और व्यवस्था में श्रावंती और गामा से ही पुनः एक और भयावह पीपीए की फिराक में हैं। यही नहीं खुले बाजार में बिजली 2 से 3 रुपये की दरों पर आसानी से उपलब्ध है तो ऐसे में नियमित निरंतरता के साथ तीन चार गुनी दरों पर बिजली की खरीद का अनुबंध क्यों? वह भी मात्र चन्द दिनों की जरूरत की सम्भावित भरपाई के लिए शितम हमेशा के लिए क्यों? यह कहाँ की सूझबूझ?

एक अन्य फर्म मेसर्स आर वी इन्फ्रा. द्वारा दिया गया श्रावंती से सस्ता प्रस्ताव

ज्ञात हो कि उक्त पीपीए का तानाबाना लगभग लगभग बुन चुका है जबकि इन्हीं श्रावंती और गामा का 2014 में किया गया पीपीए यूपीसीएल पर पिछले काफी समय से बहुत बडा़ बोझ बना हुआ है जिससे जनधन की वरवादी के साथ साथ फिक्सड कैपिटेशन चार्जेज को भुगतने में पसीने छूट रहे हैं।

लोंगों का तो यह भी मानना है कि धामी सरकार भी हरियाणा की भूतपूर्व  चौटाला सरकार की तर्ज पर ही चल रही है जिसका परिणाम जिस तरह से पूर्व सीएम चौटाला शिक्षकों की भर्ती कांड में  नियमों का मनमाना प्रयोग कर भुगत रहे हैं,  उससे सभी भलीभाँति परिचित ही हैं। कहीं ऐसा ही कुछ यहाँ तो नहीं हो रहा है कि  इन स्वार्थी तत्वों के बहकाये और वहलाये में आकर सीएम उत्तराखंड भी कुछ ऐसा ही कर बैठे जो भविष्य में ऐसा ही हो!

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