वाह रे, वाह! ऊर्जा विभाग वाह!!
जब होगी ऊर्जा मंत्री की कृपा, तब तो हो ही जायेगा साईन श्रावंती व गामा का पीपीए भी?
ऊर्जा मंत्री के अभय दान व क्लीन चिट से ही हुई है क्या ये एमडी की विवादित नियुक्ति?
न आचरण में, न अनुशासन में और न ही वफादारी में!
फिर भी ये धामी शासन में आँखों के तारे : बजह?
महिला सहकर्मी के साथ : दुराचरण ठण्डे बस्ते में क्यों?
फिर तो इनका पिटकुल में निदेशक परियोजना बना रहना भी नियम विरूद्ध ही था!
शायद न्यायपालिका ही इन्हें सबक सिखायेगी?
एमडी पिटकुल आईएएस रावत का सचिव को लिखा पत्र भी है काफी महत्वपूर्ण !
(सुनील गुप्ता, ब्यूरो चीफ)
देहरादून। अभी तक तो सर्व गुण सम्पन्न का ही मान और सम्मान होता देखा गया परन्तु भाजपा की धामी सरकार में जो जितना भ्रष्ट, घोटालेवाज, चरित्रहीन व उदंडी उसे उतनी ही प्राथमिकता और वरीयता, आखिर क्यों?
शायद दुर्गुणों से लवरेज ही ये महान हस्ती धन सम्पदा में सम्पन्नता के काऱण ही इस सरकार व ऊर्जा मंत्री के दुलारे बने हुये हैं। जबकि यदि मैरिट के आधार पर इन काॅकस के मुखिया का सही आंकलन किया जाता तो शायद बजाए एमडी यूपीसीएल के उक्त महाशय की जगह कहीं और ही होती? परंतु जब ऊर्जा मंत्री की हो मेहरबानी तो भला किसकी मजाल…!
चर्चा तो यह भी है कि भ्रष्टाचार का महारथी इसलिए प्यारा है क्यूँकि वह सबसे अधिक दूध देने वाली जर्सी गाय की तरह है। खुद खाये न खाये, पर भरपेट खिलायेगा अवश्य। यूँ तो ऊर्जा मंत्री भी सर्वगुण सम्पन्न ही हैं और दबंग भी शायद यही बजह अच्छे तालमेल की होगी?
उक्त महाशय के ऐसे कुछ मामले पिटकुल के प्रकाश में आये हैं जिनसे धामी शासन और ऊर्जा मंत्रालय ने न ही कोई सबक लिया और न ही ऐसे अधिकारी से दूरी बनाना उचित समझा!
यूपीसीएल में भी 2004 में खिला चुके हैं गजब का गुल…
यहीं नहीं उक्त महाशय पिटकुल से पहले जब यूपीसीएल में सहायक अभियंता थे तब भी अजब गजब के काली करतूतों को अंजाम दे चुके हैं घर बैठे बैठे ही फर्जी टीए बिल बनाकर 2004 -5 में एक ही दिन में राॅकेट लांचर से मुम्बई और कलकत्ता में फर्जी स्थलीय निरीक्षण का गुल खिला चुके हैं और पिटकुल में तो कहना ही क्या? इनके दर्जनों ऐसे गम्भीर मामलों की श्रंखला है जिनपर यदि एच आर, टीएसआर-1, टीएसआर-2 सरकार व वर्तमान ऊर्जा मंत्री सहित धामी सरकार गम्भीरता से प्रभावी कार्यवाही करना चाहती तो एमडी जैसी महत्वपूर्ण यूपीसीएल की कुर्सी शायद नहीं सौंपती!
खैर जो भी हो बिल्ली के भाग्य से तो छींका टूटा ही साथ ही धामी के मुख्यमंत्री बनते ही अवसरवादी चर्चित दबंग गुरू को ऊर्जा मंत्रालय भी मिला। परिणाम स्वरूप नीम और करेला की कहावत को चरितार्थ करते हुये एमडी यूपीसीएल और ऊर्जा मंत्री की यह जोडी़ बडे़ बडे़ गुल खिलाने की योजनाओं को अंजाम देने में मशगूल दिखाई दे रही है।
यही कारण है कि अब यूपीसीएल का छोटे से छोटा अधिकारी जेई, एई से लेकर लाईनमैन तक भी ऊर्जा मंत्री की तनमन व धन से सेवा में चाहे अनचाहे लगा नजर आ रहा है।
करोंडों का गुच्छा ही है क्या इस पीपीए की बजह या फिर ऊर्जा मंत्री की होगी कृपा?
इसी महान जोडी़ का ही यह कमाल भी है कि ऊर्जा मंत्री जी एमंडी यूपीसीएल की प्रिय श्रावन्ती व गामा गैस बेस्ड एनर्जी कम्पनी के पीपीए में करोडों के बारे न्यारे करने में व्यक्तिगत रुचि लेते बताये जा रहे हैं।
ऐसे में यहाँ यह देखना गौरतलब होगा कि प्रदेश के उपभोक्ताओं और जनता पर सितम ढाने वाला यह 25 वर्षीय मँहगी दरों का पाॅवर परचेज पीपीए करोंडों के इस गुच्छे की आड़ में साईन हो पाने में सफलता हासिल कर पाता है या नहीं? वैसे मामला चूँकि सैकडों करोड़ का है, तो इन्हें रास तो आयेगा ही!
दुराचरण : महिला सहकर्मी के साथ. ठण्डे बस्ते में क्यों?
ज्ञात हो कि उक्त महान हस्ती एमडी महोदय के ठण्डे बस्ते में पडे़ हुये कुछ गम्भीर कारनामें प्रकाश में आये हैं जिनके अनुसार सबसे पहले आचरण और दुराचरण का एक मामला है जो कई वर्षों से ठण्डे बस्ते में पडा़ है। उक्त प्रकरण से माननीय सर्वोच्च न्यायलय की विशाखा गाईड लाईन की सरासर अवमानना आज भी दिखाई पड़ रही है! क्योंकि उक्त प्रकरण में दबी जुवान से मिली जानकारी के अनुसार एक आधीनस्थ महिला कर्मी जो आज भी दहशत में है तथा सिस्टम को दुहाई देते हुये क्षुब्ध होकर दुष्कर्मी को सजा मिलने की वाट जोह रही है।
उल्लेखनीय है कि 26 जून 2008 में एमडी एस मोहन राम का पत्रांक सं.1747/HR $ admin/ PTCUL/ PP/AK YADAV/08 स्वयं में साक्षात प्रमाण है कि महिला सहकर्मी के साथ दुराचरण का आचरण उक्त महाशय द्वारा अपनाया गया तो फिर उक्त गम्भीर मामला ठण्डे बस्ते में क्यों?
अनुशासन हीनता और गोपनीयता भंग करने में भी महारथी रहे हैं साहब!
समरथ को नहीं दोष गुसांई वाली कहावत भी उक्त महारथी पर सही ही नजर आ रही है तभी तो पिटकुल में मुख्य अभियंता के पद पर रहते हुये अपने सीनियर व निदेशक (परिचालन) एस के शर्मा के साथ अनुशासन हीनता, दबंगयी व उदण्डी की भूमिका में पाये गये साथ ही विभागीय गोपनीयता भंग करने में भी जनाब पीछे नहीं रहे हैं। इस सम्बंध में निदेशक मानव संसाधन के पत्रांक संख्या 588/मा.स. एवं प्र. नि./पिटकुल/ ईओ-11 दिनांकित 29-4-2017 ही पर्याप्त है जिसमें दो-दो नामी ग्रामी सीनियर अधिवक्ताओं की लीगल ओपीनियन का भी उल्लेख है। यही नहीं धारा 80 सीपीसी तथा Action for miscoduct under service rules सहित Official Secret Act, 1923 के अन्तर्गत दोषी पाये जा चुके हैं। महारथी जी अपने सीनियर व निदेशक ( परिचालन) को अपने बकील के माध्यम से धमकी दिलवाने और 5करोड़ की धनराशि हानिस्वरूप वसूल किये जाने आदि की धमकी जैसे दुष्कृत्यों को भी अंजाम दे चुके हैं। देखिए…
फिर तो इनका पिटकुल में निदेशक परियोजना बना रहना भी नियम विरूद्ध ही था!
जब उक्त महाशय पिटकुल में 2019 में निदेशक परियोजना के पद पर तत्कालीन सचिव ऊर्जा की असीम अनुकम्पा से पदारुढ़ हुये तब भी उनकी 2016-7 की एसीआर उपलब्ध नहीं थी। ऐसे में उनकी डीपी की नियुक्ति भी नियमानुसार अवैध मानी जानी चाहिए! रहा प्रश्न इस बार यूपीसीएल के एमडी के पद पर नियुक्ति का तो वह तो 2021 के उस शासनादेश की शर्त के पैरा संख्या – ‘4क’ और ‘4ख’ आदि का सरासर खुला उल्घंन करते हुये की गयी है। यही नहीं प्रकाश में आये 05 वर्षीय वार्षिक गोपनीय आख्याओं के विवरण के अनुसार 2019 -20 एवं 2020 -21 की भी एसीआर विधी विरुद्ध है। देखिए…
पिटकुल को क्षति पहुँचाने व नियम विरूद्ध टेण्डर करने का भी दोषी पाया महालेखाकार उत्तराखंड ने
पिटकुल की 2015-16 की आडिट रिपोर्ट के अनुसार उक्त महाशय जब मुख्य अभियंता स्तर-1 थे तब के कार्यकाल में IMP Power Transformer खरीद प्रकरण में निगम को टेण्डर प्रक्रिया में मनमानी करके नियम विरुद्ध दुष्कृत्य करके क्षति पहुँचाने में भी भूमिका अदा कर चुके हैं।
एमडी पिटकुल आईएएस रावत का सचिव को लिखा गया पत्र भी है काफी महत्वपूर्ण
एमडी पिटकुल आईएएस रावत भी सचिव ऊर्जा को झाझरा सब स्टेशन पर 160 mva पाॅवर ट्रांसफार्मर (आईएमपी मेक) के क्षतिग्रस्त हो जाने के एवं अन्य उपस्थानों पर आईएमपी मेक ट्रांसफार्मरों के क्रय एवं गुणवत्ता की जाँच कराने जाने के विषयक पत्र लिखा जिसमें इस प्रकरण में माननीय एमडी यूपीसीएल अनिल कुमार को (जो चार्जशीटिड रहे) जाँच कमेटी में न रखने के बारे मे लिख चुके हैं दिनांक 09-11-2021 को पत्र संख्या 2397/प्र.नि./पिटकुल/ g-1.
आखिर ऐसी कौन सी बजह थी कि जोकि 5 अक्टूबर को हुये साक्षात्कारों में 7 अभ्यर्थियों में से एक यही नायाब हीरा मिला वह भी 22 दिन के मंथन के पश्चात एमडी यूपीसीएल के लिए। क्या ऊर्जा मंत्री के द्वारा दी गयी तथाकथित क्लीन चिट और उनकी विशेष अनुकम्पा रही है मुख्य बजह अधवा पहले की भाँति हँस चुनेगें दाने और कौए मोती खाएँगे की कहावत को ही साक्षात्कार कमेटी की आड़ में खेल धामी शासन में भी खेला गया?
देखना यहाँ गौर तलब तो यह भी होगा कि इस पुष्कर शासन के नक्कार खाने में यह भ्रष्टाचार विरोधी तूती की आवाज कब तक नहीं सुनी जाती!
प्रतीत हो रहा है कि शायद न्यायपालिका ही इन्हें सबक सिखायेगी?