नई दिल्ली: केंद्र ने प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत उत्तराखंड और महाराष्ट्र सहित पांच राज्यों में 1.07 लाख घरों के निर्माण के लिए परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी दी है।
आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा की अध्यक्षता में गुरुवार को नई दिल्ली में आयोजित प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की केंद्रीय मंजूरी और निगरानी समिति (सीएसएमसी) की 57वीं बैठक में आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पुड्डुचेरी और उत्तराखंड में 1.07 लाख घरों के निर्माण को लेकर परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। आवास और शहरी कार्य मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान के मुताबिक एमओएचयूए के सचिव ने दूसरे राज्यों में पीएमएवाई (यू) के कार्यान्वयन की प्रगति की भी समीक्षा की।
मिशन के तहत स्वीकृत घरों की कुल संख्या अब 1.14 करोड़ है। इनमें से लगभग 91 लाख का निर्माण चल रहा है। 53 लाख से अधिक घरों को पूरा कर लाभार्थियों को वितरित किया जा चुका है। मिशन के तहत कुल निवेश 7.52 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें 1.85 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता है। अब तक 1.14 लाख करोड़ की केंद्रीय सहायता पहले ही जारी की जा चुकी है।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए सचिव मिश्रा ने राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों के अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में घरों के निर्माण में तेजी लाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि नींव डालना राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए, इसके बाद भूखंडों पर घर बनाने को शत-प्रतिशत पूरा करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को शहर दर शहर घरों की मांग पूरा होने की स्थिति की घोषणा करनी चाहिए।
बयान के मुताबिक इस बैठक में मिश्रा ने चेन्नई (तमिलनाडु), इंदौर (मध्य प्रदेश), राजकोट (गुजरात), रांची (झारखंड), अगरतला (त्रिपुरा) और लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में लाइट हाउस परियोजनाओं (एलएचपी) की प्रगति की भी समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्माण कार्य निर्धारित समय में पूरा करने को लेकर निर्देश दिए।
एमओएचयूए के सचिव ने लाइट हाउसिंग प्रोजेक्ट (एलएचपी) वाले राज्यों से भारतीय संदर्भ में आगे के प्रतिरूप के लिए एलएचपी तकनीकों को बढ़ावा देने एवं छात्रों, पेशेवरों और अन्य हितधारकों को टेक्नोग्राही (तकनीकीग्राही) के रूप में भर्ती कर उत्साहित करें ताकि अधिक से अधिक लोग इन तकनीकों का उपयोग करना सीखें। बैठक में इस बात पर भी बल दिया गया कि टेक्नोग्राही मापदंड के हिसाब से इंजीनियर्स और शहरी योजनाकारों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
बैठक में नागालैंड के दीमापुर और जम्मू के कोट भलवाल में नमूना आवासीय परियोजना (डीएचपी) के निर्माण को भी मंजूरी दी गई। डीएचपी में जमीनी स्तर पर प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग को प्रदर्शित किया जाता है और आवास क्षेत्र में पेशेवरों और छात्रों को प्रशिक्षण देता है। अब तक छह डीएचपी पूरे हो चुके हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में चार का निर्माण किया जा रहा है।
दीमापुर डीएचपी का उपयोग कामकाजी महिला छात्रावास के रूप में तथा कोट में बनाने वाले भवन व अन्य बुनियादी सुविधाओं का उपयोग खेल छात्रावास के रूप में कार्य किया जाएगा।
बैठक में आईआईटी खड़गपुर द्वारा प्रस्तुत कम लागत वाली बांस आवास परियोजना के लिए आशा भारत के तहत ऊष्मायन सहयोग के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गयी।
इस अवसर पर मिश्रा ने स्वदेशी अभिनव निर्माण सामग्री और निर्माण तकनीकों पर एक संग्रह का भी विमोचन किया। इसमें 05 से 07 अक्टूबर 2021 तक लखनऊ में आयोजित भारतीय आवास प्रौद्योगिकी मेला (आईएचटीएम) के दौरान प्रदर्शित 84 प्रौद्योगिकियों के बारे में विवरण हैं।