वाह रे वाह, ऊर्जा विभाग – यूपीसीएल वाह!
क्या चेयरमैन व प्रमुख सचिव ऊर्जा यूपीसीएल हित में लेंगी एक्शन!
जिनको मिलनी थी प्रोन्नति उनके ही ऊपर बिठा दिए जूनियर
हाईकोर्ट के दो-दो आदेश दरकिनार कर अपनाया अडि़यल रुख
सर्विस ट्रिब्यूनल की मंशा का भी किया अनादर, चहेतों की, की प्रोन्नति
एमडी भी खुद और निदेशक (एचआर) भी : तभी तो चली मनमानी
एक यूनियन को पुचकारा क्यों, दूसरी को दुतकारा क्यों?
ऐसे कैसे चलेगा क्षुब्ध माहौल में निगम, समाप्त किया जायेगा विरोध का माहौल
(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)
देहरादून। कारनामों से उपजे एमडी यूपीसीएल में कोई भी काम बिना कारनामें और गुल खिलाये हो जाये, ऐसा हो नहीं सकता क्योंकि अब मनमानी करने से उन्हें रोकना इतना आसान नहीं होगा। इस मनमानी और तानाशाही की बजह साफ है। पाँच निदेशकों बाले यूपीसीएल में किसी भी कार्य के लिए आवश्यक बहुमत का आँकडा़ एमडी के ही पास है। स्वयं एमडी और निदेशक (मा.स.) भी हैं और अपना ही प्यादा निदेशक (परियोजना) भी तब भला ऐसे में उन्हें मनमानी और तानाशाही से कौन रोक सकता है। यही कारण है की भारी विरोध के चलते 2015 से अपने हक की लडाई लड़ रहे सहायक अभियंताओं की अधिशासी अभियंताओं के पद पर प्रोन्नति न करते हुये उच्चन्यायलय में विचाराधीन दोनों पक्षों की दो-दो याचिकाओं को धत्ता बताते हुए पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल के आदेशों का मनचाहा प्रयोग करके एक यूनियन को उसकी अनुचित माँग व धमकी के चलते पुचकार लिया गया और दूसरी यूनियन की जायज माँग के बावजूद दुतकारते हुये निगम में क्षोभ व आंतक का माहौल उत्पन्न कर दिया गया।
ज्ञात हो कि उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन की एक आपात बैठक में गत दिवस ऑनलाइन बैठक की अध्यक्षता प्रांतीय अध्यक्ष ई. के. डी. जोशी द्वारा एवम् संचालन महासचिव संदीप शर्मा द्वारा किया गया। बैठक में वक्ताओं ने इस बात पर रोष व्यक्त किया कि ऊर्जा निगम में सहायक अभियंताओं की वरिष्ठता सूची जो कि माननीय न्यायालय के आदेश पर फाइनल करने के बाद न्यायालय में मार्च 2018 को जमा की गई थी तथा जिसके आधार पर 2018 में पदोन्नतियां की गई थी, को दरकिनार करते हुए वर्ष 2008-09 के 40 सहायक अभियंताओं की वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए वर्ष 2010-11 केे सहायक अभियंताओं को अधिशासी अभियंता के पद का प्रभार देते हुए महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती की गई है। वक्ताओं द्वारा इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया गया की जब पिछले कई माह से अवर अभियंता संवर्ग एवम् अभियंता संवर्ग लगातार अपने पत्रों के माध्यम से निगम प्रबंधन से मांग करता आ रहा है कि सहायक अभियंताओं की ज्येष्ठता सूची के आधार पर नियमित पदोन्नतियां की जाएँ ऐसे में 2017 से अनंतिम ज्येष्ठता सूची पर सभी प्रभावित सहायक अभियन्ताओ के प्रत्यावेदनों का निस्तारण करने के स्थान पर अनंतिम वरिष्ठता सूची में शामिल कनिष्ठ सहायक अभियंताओं को अधिशासी अभियंता का प्रभार आचार संहिता से एकदम पूर्व आनन फानन में दिया जाना प्रबंधन की मंशा पर सवाल खड़े करता है। अभी तक ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक व निदेशक एचआर ने जिस प्रकार भारी विरोध के बावजूद भी नियमो का पालन करते हुए पूर्व प्रख्यापित नियमावली के अनुसार अधिशासी अभियंता से अधीक्षण अभियंता के पद पर पदोन्नति आदेश जारी किए गए थे उससे उम्मीद थी कि सभी संवर्ग के साथ समानता का व्यवहार किया जायेगा। परंतु वर्तमान में इन आदेशों से ऐसा प्रतीत होता है कि प्रबंध निदेशक द्वारा एक संगठन विशेष के सदस्यो द्वारा सामूहिक इस्तीफे की धमकी के दबाव में आकर नियमो को ताक पर रखते हुए वर्तमान में सहायक अभियंता से अधिशासी अभियंता के पद पर कनिष्ठ अभियंताओं को प्रभार दिया गया है। कतिपय समूहों द्वारा अनैतिक रूप से गलत तथ्य पेश कर प्रबंधन को गुमराह करते हुए नियमावली के प्रावधानों के विपरीत कार्यवाही का दबाव बनाकर अधिशासी अभियंता पद पर पदोन्नति को रोकने का प्रयास किया जा रहा है जिससे कि उनको अनैतिक लाभ प्राप्त हो सके जबकि विभिन्न न्यायालयों द्वारा पदोन्नत सहायक अभियंताओं के पक्ष में फैसला देते हुए प्रकरण का निस्तारण किए जाने हेतु निर्देशित किया गया है।
न्याय हित में संगठन के सभी सदस्यों की तरफ से प्रबंध निदेशक से अपील भी की गयी है कि वरिष्ठता नियमावली का पालन करते हुए वरिष्ठता के आधार पर सहायक अभियंता से अधिशासी अभियंता के 24 रिक्त पदों के सापेक्ष पदोन्नति आदेश शीघ्र ही जारी किए जाएँ। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि यदि किसी भी कनिष्ठ अभियंता की तैनाती वरिष्ठ के अधिशाषी अभियंता के रूप में की गई तो संगठन के सदस्य उनके अधीनस्थ कार्य नही करेंगे एवम् आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। बैठक में केडी जोशी ,सुनील पोखरियाल, संदीप शर्मा, मनोज कंसल,अंजीव राणा ,शशिकांत ,मनोज प्रकाश रावत , सौरभ चमोली , नरेंद्र नेगी, प्रिर्यांक पांडे, अजय कुमार, अजय भारद्वाज, शैलेंद्र सैनी, मनोज पांडे, अक्षय कपिल, सतीश चंद्र जोशी आदि मौजूद रहे।
अभियंता संदीप शर्मा के अनुसार मूल वाद ये है इसके निर्णय के विरुद्ध माननीय हाईकोर्ट में यूपीसीएल द्वारा अपील की गई है। WPSB/579/2017
जिसमे दिनांक 13/12/17 में आए आदेश के क्रम में दिनांक 14.03.18 को वरिष्ठता सूची ट्रिब्यूनल के आधार पर बनाकर हाईकोर्ट में जमा कर दी गई।
उसके बाद हाईकोर्ट कोर्ट के अंतरिम आदेश 26.04.2018 के अनुपालन में पदोन्नतियां की गई।
ऐसे में कनिष्ठ सहायक अभियंताओं को प्रभारी बनाया जाना कही न कही माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की भी अवमानना है।
ये डीपीसी 2018 में की गई थी जो कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद बनाई गई सीनियरिटी के आधार पर पदोन्नति की गई थी परंतु अब निगम प्रबंधन द्वारा हाईकोर्ट में प्रेषित वरिष्ठता को भी दरकिनार करते हुए 3 लोगो को अपनी सुविधा के अनुसार अधिशाषी अभियंता का प्रभार दिया गया है।
अब प्रश्क्यान उठता है कि एमडी यूपीसीएल को अपने पद और साथ ही निदेशक मानव संसाधन के पद का दुरुपयोग करना चाहिए?
क्या किसी भी आधीनस्थ स्टाफ के साथ भेदभाव पूर्ण नीति अपनाया जाना चाहिए?
क्या किसी एक यूनियन के दबाव में दूसरी यूनिन को नजर अंदाज कर राजनीति करना उचित है?
सेवानियमावली के अनुसार क्या प्रोअनतियों में मानकों और वरिष्ठता का ध्यान रखते हुये माननीय उच्च न्यालय की अवमानना करते हुये सर्विस ट्रिब्यूनल की टिप्पणी और निर्देशों की अनदेखी, उचित है?
क्या यूपीसीएल चेयरमैन व प्रमुख सचिव ऊर्जा आईएस राधा रतूडी़ चुनाव आचार संहिता से पूर्व पद का दुरुपयोग करते हुये इन आपत्तिजनक व अन्यायपूर्ण एवं अनुचित प्रोन्नतियों को निरस्त करते हुये एमडी के विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही करेंगी ताकि निगम कर्मियों में व्याप्त क्षोभ का माहोल समाप्त हो! या फिर…!