मुंबई: अमरीश पुरी ने खलनायकी को ही अपने करियर का आधार बनाया। इन फिल्मों में निंशात,मंथन,भूमिका,कलयुग और मंडी जैसी सुपरहिट फिल्में भी शामिल है। इस दौरान यदि अमरीश पुरी की पसंद के किरदार की बात करें तो उन्होनें सबसे पहले अपना मनपसंद और न कभी नहीं भुलाया जा सकने वाला किरदार गोविन्द निहलानी की वर्ष 1983 में प्रदर्शित कलात्मक फिल्म अर्द्धसत्य में निभाया। इस फिल्म में उनके सामने कला फिल्मों के अजेय योद्धा ओमपुरी थे।
अमरीश पुरी ने इस बीच हरमेश मल्होत्रा की वर्ष 1986 में प्रदर्शित सुपरहिट फिल्म नगीना में एक संपेरे की भूमिका निभायी जो लोगो को बेहद पसंद आया। इच्छाधारी नाग को केन्द्र में रखकर बनीं इस फिल्म में श्रीदेवी और उनका टकराव देखने लायक था। वर्ष 1987 में उनके कैरियर मे अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ। वर्ष 1987 में अपनी पिछली फिल्म मासूम की सफलता से उत्साहित शेखर कपूर बच्चों पर केन्द्रित एक और फिल्म बनाना चाहते थे, जो इनविजबल मैन के उपर आधारित थी। इस फिल्म मे नायक के रूप मे अनिल कपूर का चयन हो चुका था, जबकि कहानी की मांग को देखते हुये खलनायक के रूप मे ऐसे कलाकार की मांग थी, जो फिल्मी पर्दे पर बहुत ही बुरा लगे। इस किरदार के लिये निर्देशक ने अमरीश पुरी का चुनाव किया जो फिल्म की सफलता के बाद सही साबित हुआ। इस फिल्म मे अमरीश पुरी द्वारा निभाये गये किरदार का नाम था मौगेम्बो और यही नाम इस फिल्म के बाद उनकी पहचान बन गया।
जहां भारतीय मूल के कलाकार को विदेशी फिल्मों में काम करने की जगह नही मिल पाती है, वही अमरीश पुरी ने स्टीफन स्पीलबर्ग की मशहूर फिल्म इंडिना जोंस एंड द टेंपल आफ डूम में खलनायक के रूप में काली के भक्त का किरदार निभाया। इसके लिये उन्हें अंतराष्ट्रीय ख्याति भी प्राप्त हुयी। इस फिल्म के बाद उन्हे हॉलीवुड से कई प्रस्ताव मिले, जिन्हे उन्होनें स्वीकार नहीं किया क्योंकि उनका मानना था कि हॉलीवुड में भारतीय मूल के कलाकारों को नीचा दिखाया जाता है। लगभग चार दशक तक अपने दमदार अभिनय से दर्शको के दिल में अपनी खास पहचान बनाने वाले अमरीश पुरी 12 जनवरी 2005 को इस दुनिया से अलविदा कह गये।
लेकिन आज भी उनके द्वारा निभाए गए किरदारों को याद और सराहा जाता है और आज भी उन्हें फ़िल्मी जगत के सबसे बड़े खलनायक के रूप में लोग पूजते है और उनसे कुछ सिखने को उनकी फिल्मो को देखा जाता हैं|