केशव को चुनौती देने वालों में छेद्दू चमार भी शामिल – Polkhol

केशव को चुनौती देने वालों में छेद्दू चमार भी शामिल

कौशांबी:  उत्तर प्रदेश में कौशांबी जिले की सिराथू विधानसभा सीट पर उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) केशव प्रसाद मौर्य को चुनौती देने वाले 17 प्रत्याशियों की टोली में छेद्दू चमार भी शामिल है जो अपने निराले अंदाज के चलते क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

क्षेत्र पंचायत से लेकर लोकसभा चुनाव तक में किस्मत आजमाने वाले निर्दलीय छेद्दू चमार का हर बार की तरह इस बार भी चुनाव हारना और जमानत जब्त कराना तय है मगर यह जुनून ही है जो उसे नवीं बार चुनाव के अखाड़े में खींच कर लाया है। साइकिल से बर्तन की फेरी कर पारिवार की जीवका चलाने वाले छेद्दू को कौशांबी के लोग धरती पकड़ के नाम से पुकारते हैं। उसका चुनाव प्रचार भी बड़ा रोचक है, रोज की तरह पीछे साइकिल में बर्तन लादकर घर से बर्तन बेचने के लिए निकलते हैं अपने पीठ विधानसभा क्षेत्र का नाम एवं स्वयं का नाम अंकित तख्ती टांग कर नगडिया बजाते हुए चुनाव प्रचार अकेले ही कर रहे है।

छेद्दू का राजनीतिक सफर वर्ष 2001 के चुनाव में शुरू हुआ जब 2001 में पहला क्षेत्र पंचायत चुनाव लड़े और जीतने में कामयाब हो गए। इसके बाद लोकतंत्र के प्रति उनका राजनीतिक लगाव बढ़ता गया वर्ष 2006 में अपने गांव से बीडीसी का चुनाव लड़े लेकिन पराजित हो गए ।2011 मे जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़े लेकिन हार गए। 2012 में छेद्दू सिराथू विधानसभा सीट से केशव प्रसाद मौर्य के सामने विधानसभा का चुनाव लड़े हार गए।

2014 का लोकसभा फिर 2014 में सिराथू विधानसभा उपचुनाव में अपनी भाग्य आजमाइस किया लेकिन सफलता नहीं मिली। 2017 के विधानसभा चुनाव में फिर सिराथू विधानसभा सीटसे निर्दलीय चुनाव लड़े लेकिन हार गए ।2019 में लोकसभा चुनाव में भी वह चुनाव मैदान में उतरे हार का सामना करना पड़ा। 2022 के विधानसभा चुनाव में छेद्दू चमार प्रदेश की सबसे हॉट सीट सिराथू विधानसभा जहां से केशव प्रसाद मौर्य समेत 18 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है जिनमें से एक छेद्दूभी निर्दल उम्मीदवार के रूप में चुनौती दे रहे हैं।

छेद्दू राजनीतिक क्षेत्र में स्वयं तक सीमित नहीं रहे चुनावी दिलचस्पी के चलते उन्होंने अपनी पत्नी को भी राजनीति उतारने की कोशिश किया। उर्मिला देवी को वर्ष 2006 और 2015 में जिला पंचायत सदस्य पद के लिए चुनाव में उतारा था लेकिन दोनों चुनाव में उर्मिला को पराजय का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद पत्नी ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया लेकिन छेद्दू अभी हिम्मत बांधे हुए है उनका कहना है यह कभी न कभी जनता जरूर उन पर भरोसा करेगी।

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