पंजाब चुनाव : पंजाब में कल मतदान को लेकर उम्मीदवारों की सांसें अटकीं – Polkhol

पंजाब चुनाव : पंजाब में कल मतदान को लेकर उम्मीदवारों की सांसें अटकीं

चंडीगढ़:  पंजाब विधानसभा चुनाव के लिये कल सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच होने जा रहे मतदान को लेकर उम्मीदवारों की सांसें अटकी हुई हैं।

राज्य में लंबे समय के बाद इस तरह का चुनावी माहौल पहली बार देखने को मिल रहा है, जहां उनका मुकाबला एक-दो नहीं चार दलों से है तथा किसानों की पार्टी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के चुनाव मैदान में आने से किसान वोट के कटने या बंटने की चिंता सता रही है। इससे पहले किसान तथा दलित वोट कांग्रेस तथा अकाली दल के बीच बंटे होते थे लेकिन अब भाजपा-अमरिंदर ढींढसा गठबंधन, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल-बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के बीच बंटने के आसार हैं। कांग्रेस सरकार ने कुछ लोक लुभावन वादे पूरे करके आम आदमी, दलित तथा किसानों के साथ वादे पूरे करके इस तबके को खुश करने का प्रयास किया है।

वोटों की बेचैनी के चलते उम्मीदवार धार्मिक स्थलों पर जाने के साथ उन इलाकों में जा रहे हैं, जहां कमजोर वर्ग के लोग रहते हैं तथा लोगों की जरूरतों का सामान भी किसी न किसी तरह पहुंचाया जा रहा है ताकि उन्हें लुभाया जा सके। चुनाव आयोग हालांकि स्वतंत्र, शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुुनाव कराने के लिये उम्मीदवारों से जुड़े लोगों की गतिविधियों पर पैनी निगाह रखे हुये है ताकि शराब, नकदी और नशे पर काबू रखा जा सके। सीमावर्ती गुरदासपुर जिले से सबसे अधिक नशा, शराब और नकदी बरामद की गई है।

राज्य की 117 सीटों पर कुल एक हजार 304 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी (धूरी तथा चमकौर साहिब सीट),पूर्व मुख्यमंत्री एवं सबसे अधिक उम्र के दिग्गज प्रकाश सिंह बादल (लंबी ), शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (जलालाबाद), पंजाब आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष भगवंत मान (धूरी ),पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (अमृतसर पूर्व) शिअद के बिक्रम मजीठिया (अमृतसर पूर्व),पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ,(पटियाला शहरी) छह बार के विधायक एवं उप-मुख्यमंत्री ओ पी सोनी (अमृतसर सेंट्रल) उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा (डेरा बाबा नानक) मुख्य प्रत्याशी हैं।

इसके अलावा किसान नेता बलबीर राजेवाल जो किसानों के संयुक्त समाज मोर्चा के नेता हैं और समराला सीट से चुनाव मैदान में हैं। हर उम्मीदवार अंतिम क्षणों तक लोगों से मिलने और वोटरों काे लुभाने में कसर नहीं छोड़ना चाहता।

इस बार पंजाब विधानसभा चुनाव में परिदृश्य पूरी तरह बदला हुआ है। चुनाव के अंतिम दिनों में कांग्रेस की उठापटक, कैप्टन अमरिंदर सिंह का कांग्रेस छोड़ना और भाजपा से गठबंधन करना,कांग्र्रेस के जिन विधायकों को टिकट नहीं मिला उनका बागी होना, कांग्र्रेस की कलह से उसके प्रति लोगों के विश्वास में कमी आना,आम आदमी पार्टी का जोरों से प्रचार, पूरे पंजाब में जनाधार बढ़ाना और मतदान के दो दिन पहले कवि कुमार विश्वास के एक बयान से बखेड़ा खड़ा होना और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खालिस्तानी लिंक जैसी बातें फैलना और उनके मामले में केन्द्र सरकार की ओर से जांच का भरोसा देना, हिंदू तथा सिख और दलित कार्ड चलने से मतदाता के ध्रुवीकरण को कोशिशें हुई हैं ताकि वोटों का खेल हो सके। कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान बाहरी नहीं बल्कि अपने दल के ही लोग पहुंचा रहे हैं। सिद्धू तथा  चन्नी के बीच मतभेद तथा मतभेद अंतिम समय तक दूर नहीं हो सके ,इससे भी कांग्रेस को नुकसान होना तय माना जा रहा है।

कांग्रेस आलाकमान की अनदेखी भी पार्टी को राज्य में नुकसान पहुंचा सकती है। इस बार कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ही स्टार प्रचारक रहे। पार्टी के बड़े नेता मसलन सांसद मनीष तिवारी को कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ भी आलाकमान की बेरुखी के कारण मतदान से कुछ दिन पहले ही सक्रिय हुुये और प्रचार करते दिखाई दिये। इस तरह कांग्रेस सभी को एकजुट रखने में विफल रही। कुछ बागी नेताओं के खिलाफ सही समय पर कोई कार्रवाई न करना और कुछ सीटों पर अपने ही उम्मीवारों के खिलाफ चुनाव मैदान में डटे बागियों के कारण पार्टी को नुकसान तय है चाहे वो एक वोट से हो या हजारों वाेट से। एकजुटता का अभाव पहली बार इन चुनावों देखने को मिला। आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री चेहरे एवं सांसद भगवंत मान ने पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार को चरम तक पहुंचाया। इस पार्टी की अच्छी बात यह रही कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कई महीने पहले से एक सधी हुई रणनीति के तरह माझा, दोआबा और मालवा की सीटों पर चुनाव प्रचार तथा लोगों से संपर्क साधना शुरू कर दिया था जिसके चलते पार्टी का जनाधार बढ़ा और पार्टी मुख्य दलों में शुमार हो गयी। श्री केजरीवाल तो सरकार बनाने के सपने देख रहे है। आप के नेताओं ने मीडिया के जरिये प्रचार को गति दी।

शिअद के अध्यक्ष सुखबीर बादल तथा उनकी पत्नी पूर्व केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल पार्टी की स्टार प्रचारक रहीं। प्रकाश सिंह बादल ने अपने हलके मेें खुद प्रचार किया और श्रीमती बादल तथा सुखबीर बादल ने भी उनकी उम्र को देखते हुये प्रचार किया। माझा के बड़े अकाली नेता बिक्रम मजीठिया इस बार अमृतसर (पूर्व) सीट पर घिरे हुये हैं क्योंकि उन्होंने सिद्धू की चुनौती को स्वीकार कर उनके मुकाबले लड़ने के लिये मजीठा सीट छोड़कर अमृतसर पूर्व से लड़ रहे हैं। दोनों के घमासान ने दाेनों ही नेताओं को अमृतसर पूर्व सीट तक सीमित कर दिया और  सिद्धू प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते सभी उम्मीदवारों के हक में प्रचार नहीं कर सके।

भाजपा ने इस बार शहरी हिंदू और दलित वोटरों काे रिझाने का प्रयास किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो दिन आकर भाजपा उम्मीदवारों तथा गठबंधन के लिये वोट मांगे तथा पंजाब में डबल इंजन सरकार की जरूरत की बात कही। पंजाब की सुरक्षा और विकास का वादा किया और लोगों से उन्हें एक मौका देने की अपील की। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह भाजपा नेता जेपी नड्डा,अनुराग ठाकुर,राजनाथ सिंह,गजेन्द्र शेखावत,हिमाचल प्रदेश तथा हरियाणा के मुख्यमंत्रियों सहित कई नेताओं ने प्रचार किया। कुल मिलाकर भाजपा ने पंजाब की हिंदू मतदाताओं पर ज्यादा जोर दिया।

किसान मोर्चा पंजाब में बदलाव और किसान को सशक्त बनाकर किसान की सरकार बनाने का दावा कर रहा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह केन्द्र के सहयोग से बार्डर स्टेट की सुरक्षा और विकास का दावा कर रहे हैं।  भगवंत मान माफिया राज खत्म कर खुशहाल पंजाब बनाने की बात कर रहे हैं।

चन्नी पंजाब माडल लाकर जनता से किये वादों को पूरा करने की बात कह रहे हैं। वह अपने 111 दिन के शासन की उपलब्धियां गिना रहे हैं। सिद्धू प्रदेश के विकास के लिये पूरी जान लगा देने गंदी राजनीति को खत्म करने की बात कर रहे हैं । वह कल कांग्रेस घोषणापत्र जारी होने के समय ठोक कर कह चुके हैं कि मेरे माडल को यदि लागू न किया तो ठोक कर रख दूंगा।

बादल के अनुसार पंजाब को अकालियों से ज्यादा कोई नहीं समझता तथा लोग उन्हें आजमा चुके हैं। पंजाब को फिर तेजी से विकास के रास्ते पर लाने का दावा कर रहे हैं। बड़े बादल ने लोगों से अपने वाेट किसी बाहरी पार्टी को देकर खराब न करने की अपील की।

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