दिल्ली: लखीमपुर खीरी ‘हत्याकांड’ में मृतक किसानों के परिजनों ने मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से मिली जमानत को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।
पहले भी हो चुकी हैं जमानत के खिलाफ़ याचिका दर्ज
इससे पहले, गत सप्ताह अधिवक्ता सी एस पांडा और शिव कुमार त्रिपाठी ने भी आशीष की जमानत के खिलाफ याचिका दायर की थी। किसानों के परिजनों ने उच्च न्यायालय द्वारा आरोपी आशीष को जमानत देने के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को कथित रूप से आशीष की कार से कुचलकर चार किसानों की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद भड़की हिंसा में दो भाजपा कार्यकर्ताओं के अलावा कार चालक एवं एक पत्रकार की मृत्यु हो गई थी। इस मामले में वकील श्री पांडा एवं श्री त्रिपाठी ने जनहित याचिका के साथ पिछले साल शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन के नेतृत्व में पूरे मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित की थी।
जगजीत सिंह कर रहे हैं किसानों का नेतृत्व
मृतक किसानों के परिजनों का नेतृत्व कर रहे जगजीत सिंह की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। इस विशेष अनुमति याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी के अपने आदेश में आशीष को जमानत देने में “अनुचित और मनमाने ढंग से विवेक का प्रयोग” किया।
किसानों के परिजनों की याचिका में दावा किया गया है कि उन्हें कई आवश्यक दस्तावेज उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाने से रोका गया। उनके वकील ने 18 जनवरी 2022 को वर्चुअल सुनवाई से तकनीकी कारणों से ‘डिस्कनेक्ट’ कर दिया और इस संबंध में अदालत के कर्मचारियों को बार-बार कॉल कर संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन कनेक्ट नहीं हो पाया। इस तरह से मृतक किसानों के परिजनों की याचिका प्रभावी सुनवाई किए बिना खारिज कर दी गई थी।
जगजीत सिंह के नेतृत्व में दायर याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने की वजहों में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आशीष की जमानत के खिलाफ अपील दायर नहीं की गई। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उत्तर प्रदेश में उसी दल की सरकार है, जिस दल की सरकार में आरोपी आशीष के पिता अजय मिश्रा मंत्री हैं। याचिका में कहा गया है कि शायद इसी वजह से राज्य सरकार ने आशीष की जमानत के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर नहीं की थी।
क्या हैं याचिकर्ताओं का कहना, जानें ?
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उच्च न्यायालय अपराध की जघन्य प्रकृति पर विचार करने में विफल रहा। गवाहों के संदर्भ में आरोपी की स्थिति उसके न्याय से भागने, अपराध को दोहराने, गवाहों के साथ छेड़छाड़ और न्याय के रास्ते में बाधा डालने की संभावनाओं से भरा पड़ा है।
आशीष को उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले साल नौ अक्टूबर को तीन अक्टूबर की हिंसक घटना से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया था। पिछले दिनों वह जमानत पर जेल से रिहा कर दिया गया।
तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के लखीमपुर खीरी के एक कार्यक्रम का विरोध करने के लिए दौरान हिंसक घटनाएं हुई थी