रितु खंडूरी बनी उत्तराखंड की पहली महिला स्पीकर, उत्तराखंड की राजनीति में दर्ज हुआ एक नया इतिहास – Polkhol

रितु खंडूरी बनी उत्तराखंड की पहली महिला स्पीकर, उत्तराखंड की राजनीति में दर्ज हुआ एक नया इतिहास

देहरादून। उत्तराखंड में भाजपा की जीत के कई मिथक तो टूट ही रहे हैं लेकिन इसके साथ उत्तराखंड की राजनीति में कई इतिहास भी जुड़ते जा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री की बेटी रितु खंडूरी ने न सिर्फ कोटद्वार से भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत कर ना सिर्फ विधायक बनी है बल्कि भाजपा द्वारा उन्हें स्पीकर के रूप में भी चुना गया हैं जिससे एक नया इतिहास कायम हुआ भी हुआ हैं।

कौन है रितु खंडूरी, जानें? 

ऋतु ने 1986 में मेरठ यूनिवर्सिटी के रघुनाथ गर्ल्स कॉलेज से बीए ऑनर्स की पढ़ाई की। पिता बीसी खंडूरी 2007 से 2009 और फिर 2011 से 2012 के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। खंडूरी सेना से रिटायर होने के बाद राजनीति में आए थे। मेजर जनरल रैंक से रिटायर हुए खंडूरी को 1982 में अति विशिष्ट सेवा मेडल दिया गया था।

खंडूरी गढ़वाल लोकसभा से जीतने वाले वो पहले सांसद हैं और यहां से कुल 5 बार जीतकर सांसद और केंद्रीय मंत्री भी रहे। 2007 में खंडूरी के नेतृत्व में बीजेपी को उत्तराखंड में जीत मिली और उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। पहले वे 2009 तक मुख्यमंत्री बने रहे। फिर डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को मुख्यमंत्री बना दिया गया। फिर 2011 से 2012 तक चुनाव से ठीक पहले बीसी खंडूरी दोबारा मुख्यमंत्री बने रहे।

2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने खंडूरी है जरुरी का नारा दिया था, लेकिन खंडूरी अपनी ही सीट नहीं निकाल पाए। उन्हें कोटद्वार सीट पर सुरेंद्र सिंह नेगी ने हरा दिया। इसके बाद से ही खंडूरी ने राजनीति से दूरी बना ली थी और उनकी बेटी ऋतु ने राजनीतिक विरासत संभाल ली। इस बार इसी सीट पर बेटी ऋतु ने पिता की हार का बदला लिया। ऋतु ने पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी को हराया। इसके पहले ऋतु ने 2017 में पहली बार यमकेश्वर सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। बीसी खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी कांग्रेस पार्टी में हैं और गढ़वाल सीट से सांसद का चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन वे चुनाव नहीं जीत पाए।

पिता की हार का लिया बदला 

जिन्हें भाजपा द्वारा इस बार कोटद्वार से मैदान में उतारा गया था और रितु कोटद्वार से विधायक चुनकर आई हैं। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कोटद्वार से उनकी यह जीत कई मायनों में खास रही है। कोटद्वार सीट से चुनाव जीतकर उन्होंने अपने पिता की हार का बदला लिया था। इसके साथ ही अब पहली महिला स्पीकर का बनकर इतिहास रच रही हैं।

 

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