लताड़ की सफाई मीडिया को देकर पीठ थपथपाने के लिए प्रोटोकॉल को भी दिखाया ठेंगा
…बरवादी की ओर अग्रसर यूपीसीएल!
क्या मँहगी बिजली खरीदना, लापरवाही और षडयंत्र नहीं है?
क्यों किया गया विशेषज्ञों और एक्सटर्नल डायरेक्टर पूर्व आईएएस बजाज की चेतावनी को इग्नोर?
अपना कमीशन पक्का, तभी तो निगम को रोजाना 12 से 14 करोड़ का झटका
सीएस व सीएम चुस्त, ऊर्जा विभाग सुस्त!
देहरादून। विगत दिवस उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऊर्जा प्रदेश में गहराते बिजली संकट को लेकर जहाँ यूपीसीएल के एमडी व उनकी टीम को आडे़ हाथों लेते हुये फटकार लगाई और समय पर बिजली की व्यवस्था न करने को केवल लापरवाही समझ हल्के में ले, चेतावनी देते हुये कहा था कि उन्हें इस लापरवाही और नगण्यता के उत्तर दिया जाये। सीएम धामी का यह कदम व फटकार मीडिया व प्रिंट मीडिया की सुर्खियाँ भी खूव बना परंतु क्या यह सब पर्याप्त था? बावजूद इसके कि विगत करीब एक सप्ताह से देश भर के उद्योगपतियों और सत्ता के गलियारों में हो रही ऊर्जा प्रदेश की ऊर्जा की भारी कमी को लेकर हो रही बदनामी और अव्यवस्था के बारे में मुख्य सचिव आईएएस डा. सन्धू कई बार स्वयं एमडी यूपीसीएल के कारगर कदम उठाने के लिए भी आगाह करते रहे हैं, ऐसा भी बताया जा रहा है।
फिलहाल क्या इस गम्भीर गुस्ताखी के मात्र एक छोटी सी लापरवाही ही मान इतिश्री हो जानी चाहिए? क्या यही सच्चाई है जो दिखाई जा रही है? क्या इस षडयंत्र और साजिश का खुलासा नहीं होना चाहिए? क्या यूपीसीएल को बर्वाद करने के मुख्य साजिशकर्ता स्वार्थी एमडी को जानबूझ कर गम्भीर वित्तीय क्षति पहुँचाने के लिए वरखास्त नहीं किया जाना चाहिए?
क्या बजाए इसके कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पहले वस्तुस्थिती से अवगत कराया जाता? निगम के हित को दृष्टिगत रखते हुये इनर्जी की समस्या के निदान व उठाये गये कदमों और प्रयासों को सीएम व सीएस के समक्ष पहले नहीं लाना चाहिए था?
क्या एमडी यूपीसीएल के द्वारा चुनिंदा मीडिया व प्रिंट मीडिया के साथ आज विशेष बिषयों पर प्रेस कान्फ्रेंस कर उसके समक्ष सफाई देने और अपनी वाहवाही के लिए तथा स्वयं को सही ठहरा कर पीठ थपथपाने वाला यह कदम सीएम व सीएस को आईना दिखाने वाला नहीं है? क्या इस प्रकार पीसी किया जाना प्रोटोकॉल को धत्ता बताने वाला कदम और दुस्साहस नहीं है? क्या ये मुख्यमंत्री की फटकार का एम डी द्वारा काउन्टर किया जाना नहीं है?
ज्ञात हो कि दो दिन पूर्व ही सीएम धामी ने सचिवालय में एमडी यूपीसीएल व उनके अधिकारियों को प्रदेश में गहराये बिजली संकट और अव्यवस्था के दोषी मानते हुये जमकर फटकार लगाई थी तथा तत्काल समुचित व्यवस्था को उन्हें अवगत कराने के आदेश भी किए थे।
आज रविवार को ऊर्जा भवन में एमडी द्वारा एकाएक आयोजित चुनिंदा पत्रकारों की प्रेस कान्फ्रेंस आयोजित कर स्वयं को सही व सीएम एवं सीएस को जन साधारण में गलत ठहराने का जो दुस्साहस किया गया उसकी सर्वत्र निंदा हो रही है साथ ही सीएम व सीएस की कार्य क्षमता पर भी सबालिया निशान लग रहा है।
पत्रकार वार्ता में जिस तरह से आँकडों का खेल पत्रकारों को खाने के साथ परोसा गया उससे तो यही प्रतीत हो रहा है कि एमडी यूपीसीएल व उनकी वफादार व कार्यकुशल टीम सही है और सीएम की फटकार गलत थी तथा बिजली क्राईसेस समय से पहले असम्भावित रूप से एकाएक हो गयी साथ ही यूक्रेन व रूस की लडाई का सीधा असर भी केवल उत्तराखंड के यूपीसीएल पर ही पड़ा है, देश के अन्य ऊर्जा निगमों पर नहीं!
मजेदार तथ्य तो यह भी हैं यूपीसीएल एमडी द्वारा पत्रकारों के दिखाये जाने वाले प्रजेन्टेशन में जो तथ्य और आँकड़े दिखाये गये वे भी उसी प्रकार सत्यता और वास्तविकता से परे थे जैसा कि सीएम और सीएस को बता, गुमराह करने का प्रयास किया गया था।
सूत्रों की अगर यहाँ माने तो यूपीसीएल प्रबंधन ने नवंबर- दिसंबर 2021 में गैस आधारित विद्युत संयंत्रों को अप्रैल से जून तक बंद करने हेतु आग्रह किया था क्योंकि पिछले दो वर्षों की भांति एक्सचेंज में बाजारी दर कम होने से यह धारणा उत्पन्न हुई थी की बाजार से कम मूल्य पर ऊर्जा खरीद कर मितव्ययिता एवं बचत में वृद्धि की जाएगी।
जिसकी वजह से गैस आधारित संयंत्रों को फिक्स्ड कैपीटेशन चार्ज लगभग 36 करोड रुपए प्रतिमाह देना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय तथ्य तो इस निगम के ढोंगी वफादारों की स्वार्थी नीतियों के चलते ही उत्तराखंड के गैस आधारित संयंत्र यदि स्वयं पावर देने से मना करते तो यूपीसीएल को भारी भरकम फिक्स चार्ज नहीं देना पड़ता और बाजार से ₹12 प्रति यूनिट की दर काफी सस्ती बिजली पीपीए के अनुसार उपलब्ध हो सकती थी, परंतु इनकी वफादारी और दयानतदारी तो उन्हीं के साथ थी।
यूपीसीएल प्रबंधन की ही सूझबूझ से ये आर्थिक क्षति की अनदेखी करते हुए गैस आधारित संयंत्र स्वामियों के हित का अधिक ध्यान रखा गया और माले मुफ्त, दिल बेरहम के कहावत को अपना काम बनता भाड़ में जाये जनता और जनधन के अंजाम दे दिया गया। एमडी यूपीसीएल और निदेशक (परिचालन) व कामर्शियल चीफ की इस वित्तीय अनियमितता के खामियाजा अनावश्यक रूप से प्रदेश की जनता व यूपीसीएल के स्टैक होल्डर्स के ही आने वाले समय में भुगतना पड़ेगा।
ज्ञात हो कि ग्रीष्मकाल के दृष्टिगत रखते हुये यूपीसीएल के कामर्शियल व आप्रेशन अनुभाग द्वारा हर साल पहले से ही ट्रिपल लेअर फूलप्रूफ प्लान तैयार किया जाता रहा है ताकि A, B, and C के अन्तर्गत पावर एक्सचेंज से ओपन मार्केट से सस्ती दरों के समय पावर परचेज अनुबंध करके सम्भावित डिमाण्ड के अनुसार इनर्जी सुरक्षित सुनिश्चित करें ले किन्तु एमडी यूपीसीएल व निदेशक (परिचालन) को न ही फुर्सत और न ही कोई रुचि थी फालतू में…?
वहीं दूसरी ओर प्लान ‘बी’ के तहत कोई निविदा भी प्रकाशित नहीं की गई जबकि इस तरह की प्लानिंग 6 से 8 माह पूर्व प्रायः कर दी जाती है। यूपीसीएल प्रबंधन के इस ओर कोई ध्यान न दिये जाने से और बोर्ड की बैठक में भी इस पर हुई विस्तृत चर्चा को बड़ी आसानी से नजर अंदाज कर दिया गया। बताया तो यह भी जा रहा है कि यूपीसीएल बोर्ड के एक सदस्य (पूर्व वरिष्ठआईएएस) जे एल बजाज एवं एक्सपर्ट कंसलटेंट ने आगाह भी किया था कि लगभग 45 से 46 एमयू तक बिजली की आवश्यकता पडे़गी, जिसकी व्यवस्था समय रहते ही कर ली जाए। परंतु ये जोड़ी तो अपने षडयंत्र को अंजाम देने और समस्या उत्पन्न होने तथा मांग बढ़ने की फिराक में थी ही। परिणामस्वरूप यूपीसीएल प्रबंधन की इस घोर लापरवाही के कारण 12 से 13 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर उपभोक्ताओं को 5 से 6 रुपए प्रति यूनिट पर बेचकर प्रतिदिन लगभग ₹10 करोड़ प्रति दिन आर्थिक हानि झेलनी पड़ रही है। यही नहीं मानसून आने तक ये 400 से 500 करोड़ की क्षति झेलते झेलते यूपीसीएल बरबाद हो चुका होगा! क्योंकि….
Daily power position (Apr 22) Demand
41 MU per day पावर की प्रतिदिन उपलब्धता :-
यूजेवीएनएल से 10 मेगावाट, सेन्टरल पूल से 14.1 मेगावाट, सौर ऊर्जा प्लांटों से 0.97 मेगावाट, COGEN से 0.65 मेगावाट, GVK से 0.57 मेगावाट तथा GRRENKO से 0.51मेगावाट अर्थात कुल 26.80 मेगावाट। इसी प्रकार DEFICIT 14.20 MU तथा Exchange से 12 MU (@Rs 12 per unit = Rs 14.4 cr) प्रतिदिन। बिजली कटौती की स्थिती 2.20 मेगावाट प्रतिदिन (rural areas 6-7 hr, town 3-4 hr, industry 7-8 hr)
देखना यहाँ यह भी गौरतलब होगा कि उनकी इस धूर्तता भरी चालाकी व उदण्डता पर सीएम व सीएस क्या रुख अपनाते हैं और
भोंपू मीडिया किस तरह से जनता के समक्ष परोसता है?