उप्र के हर थाने में स्थापित हुयी साइबर हेल्प डेस्क – Polkhol

उप्र के हर थाने में स्थापित हुयी साइबर हेल्प डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गृह विभाग ने साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए प्रभावी कार्ययोजना को अमल में लाकर प्रदेश के सभी थानों में साइबर हेल्प डेस्क की स्थापना कर दी है।

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से मंगलवार को जारी बयान में दावा किया गया है कि आने वाले समय में न सिर्फ साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी आसान होगी, बल्कि लंबित विवेचनाओं को तेजी से पूराकर सजा भी कराई जायेगी। इसके तहत लखनऊ में डिजिटल फॉरेंसिक लैब और हर जोन स्तर पर साइबर फारेंसिक लैब की स्थापना का भी प्रस्ताव है।

मुख्यमंत्री योगी ने पिछले कार्यकाल में बढ़ते साइबर अपराधों को देखते हुए गृह विभाग को प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच वर्षों में 18 परिक्षेत्रीय साइबर क्राइम थानों की स्थापना की गई है और इन थानों में 414 पदों का सृजन भी किया गया है।

प्रदेश में 2017 तक लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में मात्र दो साइबर क्राइम थाने थे। योगी सरकार ने हर परिक्षेत्रीय साइबर क्राइम थानों में महिला साइबर क्राइम सेल की स्थापना की है। 18 परिक्षेत्रीय साइबर क्राइम थानों में पिछले पांच वर्षों में 863 मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें 586 आरोपियों की गिरफ्तारी की गई है और आरोपियों से चार करोड़ से अधिक धनराशि बरामद की गई है। इसके अलावा करीब सात अरब की धनराशि को बैंक खातों में फ्रीज कराया गया है और करीब 11 करोड़ रुपये पीड़ितों के खातों में वापस कराये गये हैं।

बयान के अनुसार येागी सरकार ने साइबर क्राइम मुख्यालय पर उच्च कोटि का ‘सेंटर ऑफ एक्सेलेंस’ स्थापित करने का भी फैसला किया है। साइबर क्राइम की भविष्य में चुनौतियों को देखते हुए मुख्यालय को सभी प्रकार के संसाधनों से लैस किया जा रहा है।

सरकार ने लंबित अभियोगों के तेजी से गुणवत्तापूर्ण निस्तारण के लिए कर्मचारियों को साइबर क्राइम मुख्यालय पर ट्रेनिंग देने की शुरुआत कर दी है। अगले वर्षों में 18 परिक्षेत्रीय साइबर थानों को अपने प्रशासनिक भवनों में संचालित किया जाएगा। साथ ही इन्हें अन्य जरूरी संशाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। साइबर क्राइम मुख्यालय पर शोध, प्रशिक्षण और विवेचना में तकनीकी सहायता के लिए साइबर विशेषज्ञ से सहायता ली जाएगी और मुख्यालय पर उच्च कोटि का सेंटर ऑफ एक्सेलेंस विकसित किया जाएगा। इसके अलावा हर जिले में सर्टिफाइड क्राइम प्रिवेंशन स्पेशलिस्ट (सीसीपीएस) की स्थापना की जाएगी।

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