प्रदेश में 19 वर्ष बाद राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों की सूरत में बड़ा बदलाव दिखने जा रहा है। इन आवासीय विद्यालयों का अलग ढांचा बनेगा और शिक्षकों व अन्य कार्मिकों के लिए अलग कैडर निर्धारित किया जाएगा। विशेष बात यह है कि नवोदय विद्यालयों को गुजरात की तर्ज पर आधुनिक व आवश्यक सुविधायुक्त बनाया जाएगा। इस संबंध में अध्ययन दल इसी माह गुजरात का भ्रमण करेगा।
प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को ध्यान में रखकर सभी 13 जिलों में राजीव गांधी नवोदय विद्यालय स्थापित किए गए हैं। वर्ष 2003 से संचालित आवासीय प्रकृति के ये विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। लगभग 45 प्रतिशत पद भरे नहीं गए हैं। इन्हें कामचलाऊ शिक्षकों के भरोसे चलाया जा रहा है। इन विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती नियमित नियुक्ति के स्थान पर सरकारी शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति के माध्यम से की गई।
आवासीय विद्यालयों में अब सरकारी शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर जाने को तैयार नहीं हो रहे हैं। साथ में सरकारी माध्यमिक विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। कंप्यूटर एवं अन्य आवश्यक संसाधनों के मामले में भी नवोदय विद्यालयों की स्थिति संतोषजनक नहीं है।
शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने कहा कि नवोदय विद्यालयों की स्थिति दुरुस्त की जाएगी। इनके लिए अलग से ढांचा और कैडर तय किया जाएगा। विभागीय अधिकारियों को नवोदय विद्यालयों की पृथक सेवा नियमावली तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। अलग नियमावली बनने से स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति, पदोन्नति की राह आसान हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि गुजरात में नवोदय विद्यालय संसाधनों के मामले में बेहतर स्थिति में हैं। तय किया है कि गुजरात में इन विद्यालयों की दशा जानने को अध्ययन दल भेजा जा रहा है। यह दल अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपेगा। रिपोर्ट में विद्यालयों में संसाधन जुटाने के लिए गुजरात सरकार की ओर से किए गए प्रयासों के बारे में बताया जाएगा।
प्रदेश सरकार भी इसी तरह उत्तराखंड में संसाधन उपलब्ध कराने की रणनीति तैयार करेगी। इसे गुजरात की बेस्ट प्रेक्टिस के रूप में उत्तराखंड में लागू किया जाएगा। प्रदेश के नवोदय विद्यालयों में आवश्यक संसाधन जुटाए जाएंगे।