…और अब साँठगाँठ के चलते ही बन गया दो मंजिला भवन, कैसे?
भूतल पर बन रही पाँच दुकानों के अवैध निर्माण पर हुई थी तब शिकायत
नौ माह बाद जागे भी और सील भी की 15 दिन पूर्व, फिर दुकानों पर कैसे चल रहा कारोबार?
(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)
देहरादून। राजधानी दून में ऐसे ही नहीं बस गयीं दर्जनों अवैध कालोनियाँ और हो गये बड़े बड़े सैकड़ों अपार्टमेंट, काम्प्लैक्स और फ्लेट्स के अवैध निर्माण। हाँ अगर नहीं बन पाये तो उन गरीबों और मध्यम वर्गीय ईमानदारों के जो करते हैं ईमानदारी से कानून का पालन और काटते हैं चक्कर उनके खुद के रहने हेतु छोटे छोटे मकान और व्यवसाय कर गुजारा करने के लिए एक अदद दुकान व मकान के नक्शा के पास कराने के लिए। क्योंकि बिना दलालों और सिफारिशों व चढा़वे के एमडीडीए का पत्ता तक नहीं हिलता। भले ही इसके विपरीत बडे़ बडे़ दावे करती हो धामी सरकार और उनके शहरी विकास मंत्री व ये जिम्मेदार आईएएस और पीसीएस। जब ये माननीय जनता से मिलते ही नहीं है, तथा जब कोई साधारण जनमानस इनसे मिलना भी चाहे तो बाहर ही इंतजार में चक्कर काट काट परेशान हो थक हार कर वो पीडित अपनी फरियाद और शिकायत करे तो किससे और कैसे? मजबूरन उसे जय हो भ्रष्टाचार की और ही नतमस्तक होना पड़ाता है इनके होनहार इंजीनियर व बाबू साहब के आगे और करनी ही पड़ती है इनकी सेवा या फिर दलाल खोजने पड़ते हैं।
यही हाल अवैध निर्माणों पर सैंकडों शिकायतों का है जिनकी सुध लेने वाला कोई दिखाई ही नहीं देता।परिणामस्वरूप आठ आठ माह तक एमडीडीए के नियमों की ही अनदेखी पर जनसेवा और नियम कानून की उड़ती धज्जियाँ देख जोशीले एक एनजीओ ईमेज इन्डिया फाउंडेशन के डिस्ट्ररिक्ट कोआर्डिनेटर राम प्रसाद लखेडा़ का हुआ और उनकी 9 अगस्त 2021की शिकायत जो शिमला वाईपास रोड स्थित तेलपुरा चौक पर भूतल पर हो रहे अवैध निर्माण के सम्बंध में थी। शिकायत एमडीडीएए के सम्बंधित क्षेत्र सुपरवाईजर व जेई की जेब का बजन बढा़ती रही तभी तो उक्त अवैध निर्माण बेरोकटोक जारी रहा तथा भूतल पर बन रही इन पाँचों दुकानों के अवैध निर्माण पर इनकी अनुकम्पा से वहाँ दो मंजिला भवन बन कर तैयार हो गया। इसी दौरान शिकायतकर्ता लखेडा़ बार बार एमडीडीए के कार्यालय में जब चक्कर लगाते लगाते परेशान हो गये तब उन्होंने जैसे तैसे सचिव बर्निया साहब से मुलाकात कर जायज शिकायत की दुर्गति भरे सफर की कहानी सुनाई।

परिणाम स्वरूप पाँच मई 2022 को एमडीडीए की टीम ने अनमने मन से जाकर मौके पर कारर्यवाही करते हुये अवैध निर्माण वाले उक्त भवन के भूतल के साँठगाँठ के चलते छोड़ प्रथम तल को सील कर दिया।
यहाँ मजेदार बात यह है कि इस अवैध निर्माण में पूरी तरह संलिप्त अधिकारियों के गुपचुप इशारों पर न ही उक्त भवन पर अवैध निर्माण रुका और न ही कोई आगे की कार्यवाही प्रदर्शित हुई तथा बदस्तूर जारी रहा अवैध निर्माण। जिसके चलते वहाँ आज दो मंजिला भवन तैयार हो चुका है।
यही नहीं उन सील होने वाली अवैध निर्माण से निर्मित पाँचो दुकानों में एमडीडीए के नियमों को ठेंगा दिखाते जमकर कारोबार चलता देखा जा सकता है।
देखना यहाँ यह भी गौर तलब है कि इस सम्बंध में जब सील तोडे़ जाने की और धड़ल्ले से कारोबार के दुकानों के संचालन किये जाने की बात जब एमडीडीए के सम्बन्धित क्षेत्रीय सहायक अम़भियंता सहित वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाई गयी तो उन्होंने फिर वही अपना सेट पैटर्न और रटारटाया फार्मूला अपनाया और देख लेने और कार्यवाही करने का आश्वासन दिया।
क्या यह एमडीडीए वास्तव में अवैध निर्माण करवा कर जनजीवन से खिलवाड़ करने वालों का सहायक है और कानून पसंद लोगो का दुश्मन?
क्या उपाध्यक्ष और सचिव एमडीडीए इस प्रकार के अवैध कार्यरत में संलिप्त अधिकारियों पर भी कोई ठोस कार्यवाही करेंगे या मेहरबानियाँ ही बरसाते रहेगें?