दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को और मजबूत बनाने के लिए विश्व बैंक की मदद से 6,000 करोड़ रुपये की एक योजना गुरुवार को शुरू की।
एमएसएमई के प्रदर्शन को उभारने और गति की योजना रैम्प को केंद्रीय मंत्रीमंडल ने इस वर्ष मार्च में मंजूरी दी थी।
इस योजना के तहत एमएसएमई इकाइयों के लिए ऋण और मंडी सुविधा में सुधार तथा इस क्षेत्र के लिए बने केंद्रीय और राज्यस्तरीय संस्थानों तथा संचालन व्यवस्था को मजबूत करने और एमएसएमई इकाइयों को भुगतान में विलंब की समस्या के समाधान के लिए केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय बढ़ाने और इकाइयों को हरित प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने का लक्ष्य है।
रैम्प योजना को शुरू करने के उपलक्ष्य में नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित उद्यमी भारत कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा,’भारत का निर्यात लगातार बढ़े। भारत का समान नए बाजारों में पहुंचे इसके लिए देश के एमएसएमई क्षेत्र का सशक्त होना बहुत जरूरी है। हमारी सरकार आपके इसी सामर्थ्य और इस क्षेत्र की असीम संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले रही है, नयी नीतियां बना रही है।’
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर पहली बार निर्यात के क्षेत्र में कदम रखने वाली एमएसएमई इकाइयों के क्षमता निर्माण के लिए योजना सीबीएफटीई शुरू की । इस योजना के तहत इकाइयां अपने माल और सेवाओं को विश्व स्तरीय बनाकर उन्हें विश्व बाजार के लायक बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
इसके तहत इकाइयों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनाया जाएगा।
मोदी ने कार्यक्रम में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) में कुछ और सुविधाओं का उद्घाटन किया। जिससे एमएसएमई इकाइयों को अपना उत्पादन बढ़ाने में मदद मिल सकती है। उन्होंने वर्ष 2022-23 के लिए एमपीईजीपी योजना के लाभार्थियों को सहायता राशि का डिजिटल हस्तांतरण भी किया।
प्रधानमंत्री ने कहा,’सुक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम भारत की विकास यात्रा का बहुत बड़ा आधार हैं। भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग एक-तिहाई हिस्सेदारी एमएसएमई क्षेत्र की है।’
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को मजबूती देने के लिए सरकार ने पिछले आठ साल में बजट में 650 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी की है।
मोदी ने कहा,’एमएसएमई का मतलब हमारे लिए सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को मैक्सिमम सपोर्ट (अधिकतम सहायता) है।’
उन्होंने कहा ,“ कोविड महामारी के रूप में आए सबसे बड़े संकट के समय हमने अपने छोटे उद्यमों को बचाने के साथ ही उन्हें नयी ताकत देने का भी फैसला किया। केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र के लिए आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना के अंतर्गत 3.5 लाख करोड़ रुपये की ऋण सहायता सुनिश्चित की।”
मोदी ने कहा,’ अगर कोई उद्योग आगे बढ़ना और विस्तार करना चाहता है तो सरकार ना केवल उसे सहयोग दे रही है बल्कि नीतियों में जरूरी बदलाव भी कर रही है।’ उन्होंने केंद्र सरकार की मुद्रा ऋण योजना का जिक्र करते हुए कहा,’उद्यमशीलता को हर भारतीय के लिए सहज बनाने में मुद्रा योजना की बहुत बड़ी भूमिका है। बिना गारंटी के बैंक ऋण की इस योजना ने महिला उद्यमियों, दलित, पिछडे और आदिवासी उद्यमियों का एक बड़ा वर्ग तैयार किया है।’
उन्होंने कहा कि अबतक इस योजना के अंतर्गत 19 लाख करोड़ रुपये के ऋण दिए जा चुके हैं। इससे ऐसे सात करोड़ लोगों की मदद हुयी है जिन्होंने मुद्रा कर्ज से पहली बार अपना उद्यम शुरू किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा,’उद्यमशीलता को हर भारतीय के लिए सहज बनाने में मुद्रा योजना की बहुत बड़ी भूमिका है।’
मोदी ने कहा कि खादी और ग्रामोद्योग का कारोबार पहली बार एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंचा है। यह गांव के हमारे छोटे-छोटे उद्यमियों और हमारी बहनों के परिश्रम से संभव हुआ है।उन्होंने कहा,’पिछले आठ वर्ष में खादी की बिक्री चार गुना बढ़ी है।’