नई दिल्ली, भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सजा सुना दी। इसके तहत माल्या को चार महीने की जेल और 2000 रुपये का जुर्माना भरना होगा। साथ ही कोर्ट ने माल्या से ब्याज के साथ 4 करोड़ (40 मिलियन) डालर की रकम चार सप्ताह के भीतर जमा करने का आदेश भी दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस यूयू ललित, रवींद्र एस भट और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने की। बीते 10 मार्च को इस मामले पर कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि माल्या के खिलाफ सुनवाई में अब कोई प्रगति नहीं हो सकती।
माल्या की पुनर्विचार याचिका की थी खारिज
कोर्ट ने 2017 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए माल्या द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका 2020 में खारिज कर दी थी। माल्या के वकील ने 10 मार्च को कहा था कि ब्रिटेन में रह रहे उनके मुवक्किल से कोई निर्देश नहीं मिल सका है इसलिए वह पंगु हैं और अवमानना के मामले में दी जाने वाली सजा की अवधि को लेकर उनका (माल्या का) पक्ष रख पाने में असहाय हैं।
मई 2017 में माल्या के खिलाफ दर्ज हुआ था अवमानना का मामला
9 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या को कोर्ट के आदेश की अवमानना का दोषी पाया था। भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को 2017 में कोर्ट के आदेश की अवमानना करते हुए अपने बच्चों को चार करोड़ डालर ट्रांसफर करने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक आफ इंडिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए फंड ट्रांसफर पर रोक लगाई थी। अवमानना के मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 10 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने मामले में पीठ की सहायता करते हुए कहा था कि माल्या को दो मामलों में दोषी ठहराया था।
- किंगफिशर एयरलाइन से जुड़े 9,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण घोटाले में शामिल होने का आरोप
- डियाजियो डील से मिले 4 करोड़ डालर बच्चों के खाते में किए थे ट्रांसफर
- संपत्ति का खुलासा नहीं करने के दोषी पाए गए थे माल्या
- कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा पारित संयम के अभिव्यंजक आदेशों का किया था उल्लंघन
पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि माल्या को ब्रिटेन से भारत में प्रत्यर्पित करने के लिए अधिक इंतजार नहीं किया जा सकता।