फरीदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में बनाए गए कोराना के टीकों के खिलाफ कुछ लोगों द्वारा फैलाये गए दुष्प्रचार को विफल बनाने में आध्यात्मिक गुरूओं के योगदान की सराहना की और कहा कि यह उनके संदेश से संभव हो सका है कि टीका लगाने में किसी को काई हिचकिचाहट नहीं हुई।
मोदी ने आज यहां अमृता अस्पताल का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा,“जब भारत ने कोरोना की वैक्सीन बनाई तो कुछ लोगों ने दुष्प्रचार करने का भरसक प्रयास किया। कई लोगों ने स्वदेशी टीकों के बारे में गलत-गलत अफवाहें फैलायी, लेकिन इस पर हमारे धर्मगुरु और आध्यात्मिक गुरु एक साथ आगे आए और लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने के लिए कहा, तो इसका तत्काल प्रभाव दिखा। देश मे निर्मित कोराना का टीका लगवाने में लोगों ने किसी भी तरह की हिचकिचाहट नहीं दिखाई।”
अमृता अस्पताल का निर्माण हरियाणा के फरीदाबाद में लगभग 6,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किया जा रहा है। माता अमृतानंदमयी मठ द्वारा प्रबंधित, सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल 2,600 बिस्तरों से लैस होगा। यह फरीदाबाद और पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर क्षेत्र) के लोगों को अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अस्पताल आधुनिकता और आध्यात्मिकता का मिश्रण है और जरूरतमंद मरीजों के लिए सुलभ और किफायती उपचार उपलब्ध करायेगा। उन्होंने कहा “अम्मा प्रेम, करुणा, सेवा और बलिदान की प्रतिमूूर्ति हैं। वह भारत की आध्यात्मिक परंपरा की वाहक हैं।” उन्होंने अम्मा के बारे में कहा, उन्हें गले लगाने वाले संत के रूप में जाना जाता है।
मोदी ने कहा, “भारत एक ऐसा राष्ट्र है जहां इलाज एक सेवा है, कल्याण एक दान है। जहां स्वास्थ्य और आध्यात्मिकता एक दूसरे से संबंधित हैं। हमारे पास वेद के रूप में चिकित्सा विज्ञान है। हमने अपने चिकित्सा विज्ञान को आयुर्वेद का नाम भी दिया है।”
प्रधानमंत्री ने सभा को याद दिलाया कि भारत ने कभी भी अपनी आध्यात्मिक और सेवा विरासत को गुमनामी के अंधेरे में नहीं जाने दिया। उन्होंने कहा कि धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं द्वारा शिक्षा एवं चिकित्सा से संबंधित दायित्वों के निर्वहन की व्यवस्था एक प्रकार से पुराने समय का पीपीपी यानी सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल है।