दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने लोकायुक्त पुलिस द्वारा कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के खिलाफ एक आवास परिसर के निर्माण के लिए बीडीए ठेके देने से संबंधित भ्रष्टाचार के आरोप के एक मामले में जांच पर रोक लगाने का शुक्रवार को आदेश दिया।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने येदियुरप्पा की याचिका पर शिकायतकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता टी जे अब्राहम को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के अंदर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया।
येदियुरप्पा ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।
उनका (येदियुरप्पा) पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ दवे रखा। वकीलों ने दलीलें दीं कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस तथ्य की अनदेखी की और कहा कि प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश जारी करने से पहले पूर्व मंजूरी लेना अनिवार्य था।
उन्होंने कहा कि धारा 17ए के तहत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में लाए गए संशोधन के तहत बचाव की एक अलग व्यवस्था है, जिसमें कहा गया है कि किसी सेवारत या सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी के खिलाफ जांच, या जांच के लिए पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सात सितंबर को एक आदेश में कहा था कि मंजूरी की अस्वीकृति येदियुरप्पा के खिलाफ कार्यवाही में आड़े नहीं आएगी।
यह मामला येदियुरप्पा के 2019-21 में मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान सरकार के लिए आवास परिसर बनाने के लिए एक निर्माण फर्म को बीडीए ठेका देने के लिए 12 करोड़ रुपये की रिश्वत के आरोप से संबंधित है।