फिर से देश का दूसरा सीडीएस पौड़ी का बनने पर गर्व का माहौल – Polkhol

फिर से देश का दूसरा सीडीएस पौड़ी का बनने पर गर्व का माहौल

देहरादून। हिमालय की पर्वत कंदराओं पर स्थित उत्तराखंड, जिसके युवा जांबाज सेना के विभिन्न अंगों के माध्यम से देश सेवा के पर्याय बने हुए हैं। ऐसे में लगातार दूसरी बार इसी राज्य और पौड़ी जिले से ही सेना के सर्वोच्च पद चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) का दूसरे बार चुना जाना अत्यन्त गौरवपूर्ण और उत्साहित करने वाला है।

देश के पहले सीडीएस हेलीकॉप्टर दुर्घटना में शहीद जनरल विपिन रावत के अवसान के लगभग नौ माह बाद सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान की इस पद पर नियुक्ति ने राज्य का मान एक बार फिर बढ़ा दिया है। बुधवार को श्री चौहान की नियुक्ति की घोषणा के बाद से ही सिर्फ उनके गृह जनपद पौड़ी में ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य में जश्न का वातावरण है।

चौहान मूल रूप से पौड़ी जिले के खिर्सू ब्लॉक के देवलगढ़ गवाणा के निवासी हैं। अभी तक वह दिल्ली में रहकर नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (एनएससी) में सैन्य सलाहकार की अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

देहरादून की पॉश कॉलोनी बसंत विहार में भी उनका आवास है। जहां उनके 94 वर्षीय पिता रहते हैं।

इसे सौभाग्य ही कहा जायेगा कि उत्तराखंड के राज्यपाल सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने नव नियुक्त सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के साथ सेना में कार्य किया है। सिंह जब सेना में कश्मीर में कोर कमांडर थे, उस समय ले.ज. चौहान बारामूला में जीओसी के पद पर तैनात थे।

लेफ्टिनेंट जनरल चौहान खड़कवासला (महाराष्ट्र) स्थित एनडीए के बाद देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) से प्री मिलिट्री ट्रेनिंग पूरी कर वर्ष 1981 को पासआउट होकर 11 गोरखा राइफल्स में कमीशंड थे। इसके बाद वह सेना के कई अहम पदों पर तैनात रहे। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान इससे पहले महानिदेशक सैन्य अभियान की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। पिछले साल डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में सैन्य सलाहकार की अहम जिम्मेदारी मिली थी।

बताया जाता है कि पूर्वी कमान के प्रमुख रहने के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान की निगरानी में उत्तरी सीमाओं पर मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए नवगठित 17 कोर में इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप की अवधारणा को आकार दिया जाना शुरू हुआ। सराहनीय सैन्य सेवा के लिए उन्हें उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल से भी अलंकृत किया जा चुका है

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