नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने विधानसभा से हटाये गये 14 तदर्थ अपर निजी सचिव को फिलहाल राहत नहीं दी है। अदालत ने उन्हें हटाये जाने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। साथ ही विधानसभा अध्यक्ष, सचिव व उप सचिव से इस प्रकरण में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिये हैं।
इस मामले को अपर सचिव पद से हटाये गये भूपेन्द्र सिंह बिष्ट व 13 अन्य की ओर से चुनौती दी गयी है। इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की पीठ में हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि उनकी नियुक्ति रिक्त पद के सापेक्ष हुई है। उन्हें गलत तरीके से हटाया गया है। हटाये जाने से पूर्व उन्हें सुनवाई तक का मौका नहीं दिया गया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि वर्ष 2002 से 2014 के मध्य हुई तदर्थ नियुक्तियों को नियमित कर दिया गया जबकि लगभग छह साल की सेवा के बाद भी उनका नियमितीकरण नहीं किया गया है। यही नहीं उनकी नियुक्ति को उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय भी ठहरा चुका है। याचिकाकर्ताओं की ओर से उन्हें हटाये जाने के 28 सितम्बर के आदेश पर रोक लगाये जाने, उन्हें बहाल करने और उनकी नियमित किये जाने की मांग की गयी है। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता रवीन्द्र सिंह बिष्ट और प्रसन्ना कर्नाटक ने बताया कि अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष समेत तीनों पक्षकारों को 14 अक्टूबर तक जवाब देने को कहा है। अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी।
गौरतलब है कि जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद विधानसभा उप सचिव ने विधानसभा अध्यक्ष की अनुशंसा पर 228 तदर्थ कर्मचारियों की नियुक्ति को विगत 28 सितम्बर को रद्द कर दिया था।