रायबरेली। उत्तर प्रदेश में रायबरेली में स्थित राष्ट्रीय ताप ऊर्जा निगम (एनटीपीसी) के बिजली घर से निकलने वाली राख का सड़क निर्माण में हो रहा इस्तेमाल ‘अपशिष्ट प्रबंधन’ की नजीर सााबित हो रहा है।
इस लिहाज से रायबरेली के ऊंचाहार में स्थित एनटीपीसी का यह सयंत्र ‘आम के आम, गुठलियों के दाम, कहावत काे चरितार्थ करते हुए न सिर्फ विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में अनेक कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, बल्कि बिजली उत्पादन के अनिवार्य अपशिष्ट के रूप में निकलने वाली राख का भी देश के विकास में इस्तेमाल करने का उत्कृष्ट उदाहरण पेश कर रहा है।
एनटीपीसी की ओर से शुक्रवार को जारी एक परिपत्र के अनुसार ऊंचाहार परियोजना ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में 166 प्रतिशत तथा 2021-22 में 160 प्रतिशत राख का सदुपयोग करके एनटीपीसी की अन्य परियोजनाओं में शानदार कीर्तिमान स्थापित किया है। जिसे विद्युत मंत्रालय द्वारा भी सराहा गया है।
विद्युत उत्पादन के दौरान लगभग 80 प्रतिशत फ्लाई ऐश व 20 प्रतिशत पॉन्ड ऐश निकलती है। फ्लाई ऐश का सदुपयोग सीमेंट, एस्बेस्टस तथा ईंट निर्माण में शत-प्रतिशत किया जाता है। जबकि पॉन्ड ऐश का शत-प्रतिशत सदुपयोग सड़क निर्माण में किया जा रहा है। वर्तमान में सड़क निर्माण के क्षेत्र में प्रयागराज-फाफामऊ बाईपास, कानपुर-प्रयागराज हाईवे, लखनऊ रिंग रोड प्रथम व द्वितीय व रायबरेली रिंग रोड के सभी फेज, लालगंज-उन्नाव रोड के निर्माण में एनटीपीसी की राख एनएचएआई, यूपीडा व पीडब्लयूडी के माध्यम से शत-प्रतिशत मुहैया करवाई जा रही है।
इतना ही नहीं गंगा एक्सप्रेस वे तथा अयोध्या मार्ग के लिए एनटीपीसी की राख की भारी मांग की जा रही है। एनटीपीसी पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से विद्युत ग्रह में एफजीडी सिस्टम स्थापित किया है, जिसके तहत सल्फर को अवशोषित करने के उपरांत जो जिप्सम बनता है, उसे भी सीमेंट के निर्माण में उपयोग करने की योजना है।
यह गौरतलब है कि एनटीपीसी भारत सरकार का सार्वजनिक उपक्रम है। सरकार की ओर से समय-समय पर जारी होने वाले दिशानिर्देशों के अनुसार ही राख का सदुपयोग सुनिश्चित कियाा जाता है। एनटीपीसी द्वारा एनएचएआई को राख की आपूर्ति पहले भी होती रही है। एनटीपीसी 70 हजार मेगावाट से अधिक का उत्पादन क्षमता हासिल करके देश के सार्वभौमिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।