आजादी के बाद उपेक्षा का शिकार रहे पूर्वोत्तर के राज्य: राजनाथ – Polkhol

आजादी के बाद उपेक्षा का शिकार रहे पूर्वोत्तर के राज्य: राजनाथ

दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि मोदी सरकार पूर्वोत्तर के आठों राज्यों को ’अष्टलक्ष्मी’ का स्वरूप मानती है लेकिन आजादी के बाद से लंबे समय तक ये उपेक्षा और विकास के अभाव को झेलते रहे।

सिंह ने शनिवार को यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने अपने आठ वर्षों के कार्यकाल में पूर्वोत्तर में शांति स्थापित कर विकास को गति दी है। सरकार की नीतियों के चलते क्षेत्र में हिंसा की घटनाओं में लगभग 80-90 फीसदी की कमी आई है। उन्होंने कहा , “ पूर्वोत्तर के राज्यों में शांति की स्थापना के कारण ही यह संभव हो सका, कि आज लगभग 80 फीसदी इलाकों में अफस्पा हटाया जा चुका है। यह तभी संभव हो सका क्योंकि पूर्वोत्तर राज्यों में न केवल शांति आई बल्कि स्थिरता भी नजर आई है। ” हर राज्य को सीधे हवाई संपर्क से जोड़ा गया है।

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में असम का विकास और भी तेजी से होना सभी के हित में है क्योंकि असम न केवल ‘नार्थ-ईस्ट इंडिया का गेटवे’ है, बल्कि भारत के पूर्वी एशियाई देशों के साथ बढ़ रही राजनीतिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र भी बन रहा है। उन्होंने कहा , “ आपमें से कई लोगों को संम्भवत: इस बात की भी जानकारी होगी, कि भारत को थाईलैंड से हाइवे के रास्ते जोड़ने की महत्वकांक्षी परियोजना का काम चल रहा है। जिस दिन यह परियोजना पूरी होगी, पूरे नार्थ-ईस्ट का कायाकल्प हो जाएगा। ”

रक्षा मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर में व्यापार सुगमता को बढाया जा रहा है और इससे रोजगार के अवसर बढेंगे। क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं में भी सुधार किया जा रहा है और असम में 15 नये मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं। गुवाहाटी में भी एम्स खोला गया है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर का प्रत्येक राज्य सैन्य दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है और यहां के लोगों ने सभी भारतवासियों को यह दिखाया है कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वे देश की एकता और अखंडता के लिए पूरी तत्परता से काम करते रहते हैं। उन्होंने कहा , “ सरकार, सेना और सामान्य जन में ऐसा सौहार्द और सहयोग देखकर मुझे पूरा भरोसा है कि भारत की सेनाओं पर कोई आंख उठाकर देखने का प्रयास करेगता तो उसे ऐसा करारा जवाब मिलेगा कि इतिहास बदल जायेगा। सेना और सामान्य जन का ऐसा बढ़िया तालमेल वह भी बेहद विषम परिस्थितियों में सिर्फ इन्हीं नार्थ-ईस्ट राज्यों में ही मिल सकता है। ”

 

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