लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने ब्रिटेन में भारतीय मूल के नागरिक ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने का हवाला देते हुए गुरुवार काे कहा कि भारत में राजनीतिक हक एवं इंसाफ पर कोई विमर्श नहीं होने के कारण देश में अब तक दलित समुदाय का काेई व्यक्ति प्रधानमंत्री नहीं बन पाया है।
मायावती ने ट्वीट कर कहा, “भारतीय मूल के श्री ऋषि सुनक के अन्ततः ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनकर इतिहास रचने पर यहाँ कांग्रेस व बीेजेपी में ट्विटर वॉर, आरोप-प्रत्यारोप व इधर-उधर की बात जारी है, किन्तु उस राजनीतिक हक व इंसाफ की बातें नहीं की जा रही हैं जिस कारण देश में अभी तक कोई दलित पीएम नहीं बन पाया है।” गौरतलब है कि सुनक, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने वाले भारतीय मूल के पहले व्यक्ति हैं।
बसपा प्रमुख ने विकसित देशों की तर्ज पर भारत में भी संकीर्ण जातिवादी सोच त्यागने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, “ ऐसे समय जब अमेरिका व यूरोप के अमीर व विकसित देश जबर्दस्त संकटों के बुरे दौर से जूझ रहे हैं तथा स्थिति को संभालने के लिए नित्य नए प्रयोग कर रहे हैं, भारतीय हुक्मरानों को भी देशहित व यहाँ की जनता के भविष्य के लिए अपनी संकीर्ण एवं जातिवादी सोच को त्यागना ही होगा।”
मायावती ने देश के दोनों प्रमुख दलों, कांग्रेस एवं भाजपा धर्म और राजनीति की संकीर्ण सोच में जकड़े होने का आरोप भी लगाया। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, “इसी क्रम में यह जांच/परख जरूरी है कि दलित, पिछड़े व उपेक्षितों का सच्चा हितैषी कौन? क्या परमपूज्य बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर को भुलाकर उनके करोड़ों अनुयाइयों का कोई असली हितैषी हो सकता है, जैसाकि श्री खड़गे सहित अन्य विरोधी नेतागण उनकी पार्टी की संकीर्ण सोच से मजबूर हैं।”