उत्तराखंड की सभी नदियों की होगी रियलटाइम मॉनिटरिंग, आपदा प्रबंधन और IRI रुड़की के बीच हुआ MOU – Polkhol

उत्तराखंड की सभी नदियों की होगी रियलटाइम मॉनिटरिंग, आपदा प्रबंधन और IRI रुड़की के बीच हुआ MOU

देहरादून।  उत्तराखंड आपदा प्रबंधन और सिंचाई अनुसंधान संस्थान रुड़की के बीच एक एमओयू साइन किया गया जिसमें आईआरआई रुड़की उत्तराखंड आपदा प्रबंधन के लिए प्रदेश में मौजूद सभी बड़ी नदियों में रियल टाइम माउंटिंग के लिए ऑटोमेटिक सिस्टम लगाएंगे।

सचिवालय में उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग और सिंचाई अनुसंधान संस्थान रुड़की की केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट के तहत एक महत्वपूर्ण बैठक की गई तो वही इस बैठक के बाद उत्तराखंड आपदा प्रबंधन और सिंचाई अनुसंधान और रुड़की के मध्य जल संसाधन संबंधी आंकड़े साझा करने के लिए एक MOU साइन किया गया।

आपको बता दें कि जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना (NPH) का राज्य में सिंचाई अनुसंधान रुड़की के द्वारा क्रियान्यवन किया जा रहा है। इसी के अंतर्गत उत्तराखंड राज्य में रियल टाइम फ्लड फोरकास्टिंग एंड अर्ली वार्निंग सिस्टम डिवेलप किया जाना है। इसी संबंध में जानकारियां और सूचनाओं और डेटा आदान-प्रदान के लिए उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और सिंचाई अनुसंधान रुड़की के बीच बुधवार शाम एक करार साझा किया गया।

सचिवालय में हुई इस बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए सचिव आपदा प्रबंधन रंजीत सिन्हा ने जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र द्वारा चल रहे हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट के तहत नदियों में AWLR सेंसर लगाए जा रहे हैं जो कि नदियों के जलस्तर को मॉनिटर करते हैं। उन्होंने बताया कि नदियों में लगाया जा रहे इन सभी सेंसर को एक सिस्टम के तहत सीधा आपदा कंट्रोल रूम से इंटीग्रेट किया जा रहा है। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि नदियों में लगाए जा रहे इंटीग्रेटेड सिस्टम को लगाने से फायदा यह होगा कि नदियों के जलस्तर का रियल टाइम डाटा आधा प्रबंधन विभाग को मिल पाएगा जोकि प्रदेश में आपदा प्रबंधन और आपदा के समय नदियों के जल स्तर के प्रबंधन और अलर्ट जारी करने में मदद मिलेगी।

आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि इससे पहले के चरण में सभी नदियों से मैनुअल सेंसर को हटाकर ऑटोमेटिक सेंसर में लगा दिए गए हैं और अब इन सिस्टम को इंटीग्रेट किया जा रहा है। मैंने बताया कि केंद्रीय हाइड्रोलॉजी प्रोडक्ट के तहत जितने भी ऑटोमेटिक सेंसर लग रहे हैं उन्हें साथ ही साथ आपदा प्रबंधन विभाग के सिस्टम के साथ इंटीग्रेट किया जा रहा है। इसके अलावा प्रदेश में मौजूद सभी डैम में भी ऑटोमेटिक सेंसर लगाए जा रहे हैं उन्हें भी इसी सिस्टम के साथ इंटीग्रेट किया जाएगा।

बांध या नदियों में जलस्तर बढ़ने पर एटोमेटिक सायरन बजने लगेगा

सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि अब आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा योजना बनाई जा रही है कि सभी डैम और नदियों के डाउनस्ट्रीम में इस तरह के तकनीक को इजाद किया जा रहा है कि नाम या फिर नदी में जलस्तर बढ़ने पर उसके डाउनस्ट्रीम में ऑटोमेटिक सायरन सिस्टम एक्टिवेट हो जाए ताकि मैनुअली उन जगहों पर अलर्ट जारी करने में देरी ना हो बल्कि जल स्तर बढ़ने पर खुद ही सायरन एक्टिवेट हो जाए और इससे जल्द से जल्द डाउनस्ट्रीम में लोगों तक अलर्ट पहुंचे उन्होंने बताया कि नदियों में लगाए जा रहे यह इंटीग्रेटेड ऑटोमेटिक सेंसर आपदा प्रबंधन विभाग के डीएसएस सिस्टम से भी कनेक्ट किए जाएंगे ताकि एक ही प्लेटफार्म पर सभी सूचनाएं प्राप्त हो सके और प्रदेश में आपदा की परिस्थितियों से निपटने के लिए आसानी हो पाए।

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