लंदन। विकसित औद्योगिक देशों के संगठन (ओईसीडी) का अनुमान है कि भारत वित्त वर्ष 2022-23 में जी20 समूह में सऊदी अरब के बाद सबसे तेजी से वृद्धि करती अर्थव्यवस्था होगा।
रूस यूक्रेन लड़ाई के कारण कच्चे तेल के बाजार में आए उबाल से परेशान पूरी दुनिया इस समय मुद्रास्फीति के भारी दबाव और आर्थिक गतिविधियों में नरमी के दौर से गुजर रही है।
पेरिस स्थित संगठन ओईसीडी ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मांग नरम हो रही है और केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीतियों को सख्त करते जा रहे हैं, इसके बावजूद भारत चालू वित्त वर्ष में जी20 समूह की अर्थव्यवस्थाओं में दूसरे नंबर की सबसे तीव्र वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था रहेगा। ओईसीडी की ताजा इकोनामिक आउटलुक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2022-23 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर निर्यात में और घरेलू अर्थव्यवस्था में मांग के हल्का होने के चलते घटकर 5.7 फीसदी रहेगी, बावजूद इसके भारत की आर्थिक वृद्धि दर अगले वर्ष चीन और सऊदी अरब से ऊपर ही रह सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-23 में 6.6 फीसदी की वृद्धि हासिल करने के बाद 2023 में भारत की वृद्धि गिरकर 5.7 फीसदी पर आ जाएगी, लेकिन 2224-25 में यह फिर बढ़कर सात फीसदी तक जा सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है भारत में मुद्रास्फीति कम से कम 2023 के शुरुआती महीनों तक रिजर्व बैंक के ऊपरी सहनीय छह फीसदी के लक्ष्य से ऊपर बनी रहेगी। रिपोर्ट में वित्तीय क्षेत्र में भारत द्वारा हाल के वर्षों में की गई प्रगति का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है और कहा गया है कि वित्तीय सेवाएं आबादी के एक बड़े हिस्से तक पहुंचने लगी हैं और आज इसका लाभ आर्थिक सामाजिक रूप से अभाव में गुजर रहे लोगों तक पहुंच रहा है । इस संबंध में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) और अन्य डिजिटल वित्तीय प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का भी उल्लेख किया गया है जिससे लेनदेन की लागत कम हुई है, लेकिन रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में दक्षता सुधार, जवाबदेही, सार्वजनिक व्यय में पारदर्शिता और स्वास्थ्य तथा शिक्षा के क्षेत्र में सार्वजनिक बढ़ाने और राजकोषीय मजबूती की दिशा में काफी काम करने की जरूरत है।
ओईसीडी की इकोनाॅमिक आउटलुक रिपोर्ट में विश्व अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर इस वर्ष 3.1 फीसदी और 2023 में 2.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है ।