नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की सख्ती के बाद हल्द्वानी शहर में पर्यावण मित्रों की हड़ताल बिना शर्त खत्म हो गयी है। अदालत ने सख्त लहजे में कहा कि शहर को किसी भी दशा में बधंक बनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। अदालत के सख्त लहजे के बाद नगर निगम की विभिन्न यूनियनों ने अदालत में ही काम पर वापस लौटने की घोषणा कर दी।
हल्द्वानी निवासी दिनेश चंदोला की ओर से इस मामले को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि हल्द्वानी नगर निगम के हजारों कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। इससे शहर में कूड़ा नहीं उठ रहा है। जगह जगह कूड़े के ढ़ेर लगे हैं। डेंगू के साथ ही अन्य बीमारियां फैलने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
यही नहीं कर्मचारियों ने चार सौ सफाई वाहनों को भी अपने कब्जे में ले लिया है। जिससे स्थिति और गंभीर हो गयी है। इसके बाद अदालत ने दो दिन पहले सफाई वाहनों को अवमुक्त करने और आरोपियों के खिलाफ तत्काल अभियोग पंजीकृत करने के निर्देश दिये थे।
इसके साथ ही अदालत ने निगम के अधिकारियों के साथ ही सभी कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों को नोटिस जारी कर दिया था व जवाब देने को कहा था। बुधवार को सभी यूनियन पदाधिकारी अदालत में पेश हुए।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की युगलपीठ में इस मामले में भोजनावकाश के बाद दो बजे सुनवाई हुई। अदालत ने इस मामले में शुरू से ही बेहद सख्त रूख अख्तियार किया और सख्त कार्रवाई के संकेत के साथ कर्मचारियों को हड़ताल के संबंध में निर्णय लेने का मौका दिया।
कुछ समयांतराल के बाद फिर सुनवाई हुई। कर्मचारी संगठनों ने बिना शर्त हड़ताल खत्म करने व निगम प्रशासन और बैणी सेना को सहयोग करने का वादा किया। अदालत ने कर्मचारी यूनियनों की बात को अदालत की कार्यवाही में दर्ज कर लिया।
अदालत ने अपने आदेश में साफ कहा कि अपनी मांग मनवाने के लिये शहर को बधंक बनाने की इजाजत कतई नहीं दी जा सकती है। अदालत ने सरकार से भी कर्मचारी यूनियनों की बात पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने को कहा।