नैनीताल। उत्तराखंड में कार्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ रेंज में अवैध निर्माण व भ्रष्टाचार के आरोपी तत्कालीन उप वन संरक्षक व सेवानिवृत्त वन सेवा के अधिकारी (आईएफएस) किशन चंद्र को उच्च न्यायालय से झटका लगा है। अदालत ने किशन चंद्र की एफआईआर निरस्त करने की मांग को खारिज कर दिया है।
अदालत के आदेश के बाद सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) किशन चंद्र के खिलाफ कार्यवाही करने के लिये स्वतंत्र है। किशन चंद्र पर आरोप है कि कार्बेट पार्क के कालागढ़ वन प्रभाग में तैनाती के दौरान मोरघटटी व पाखरो में बिना शासन की अनुमति के कथित रूप से अवैध निर्माण किया गया है। साथ ही पेड़ों का अवैध पातन भी किया गया है।
राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण (एनसीटीए) व उच्च न्यायालय के निर्देश पर हुई जांच में इसकी पुष्टि हुई है। उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद शासन ने आरोपी श्री किशन चंद्र को निलंबित कर दिया था। साथ ही विजिलेंस विभाग को जांच सौंप दी थी।
विजिलेंस की ओर से किशन चंद्र व अन्य आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के साथ ही वन संरक्षण अधिनियम, 1980 व भारतीय वन अधिनियम जैसी गंभीर धाराओं में हल्द्वानी में अभियोग पंजीकृत कर जांच शुरू कर दी थी। इसी दौरान चंद्र सेवानिवृत्त भी हो गये।
विजिलेंस जांच के खिलाफ किशन चंद्र उच्च न्यायालय पहुंचे और अपने खिलाफ दायर एफआईआर को रद्द करने की मांग की। उन्होंने याचिका दायर कर कहा कि उनके खिलाफ लगाये गये आरोप बेबुनियाद हैं।
दूसरी ओर विजिलेंस की ओर से कहा गया कि चंद्र पर गंभीर आरोप हैं और उनके खिलाफ पर्याप्त सुबूत मौजूद हैं। अंत में आज अदालत ने आरोपी की मांग को खारिज कर दिया।