उत्तराखंड की छात्राओं को PhD के लिए दी जाएंगी छात्रवृत्ति, विवि साझा की ये जानकारी – Polkhol

उत्तराखंड की छात्राओं को PhD के लिए दी जाएंगी छात्रवृत्ति, विवि साझा की ये जानकारी

देहरादून :  प्रदेश के सभी 35 राजकीय और निजी विश्वविद्यालय ज्ञान संसाधन साझा करेंगे। इस तरह सभी विवि को एक मंच पर लाने वाला उत्तराखंड का पहला राज्य बन जाएगा। पर्वतीय क्षेत्रों की 200 छात्राओं को पीएचडी करने के लिए प्रति छात्रा पांच हजार रुपये छात्रवृत्ति दी जाएगी।

सिविल सेवा में जाने की तैयारी करने वाले प्रतिभावान छात्र-छात्राओं के लिए सुपर-20 कोचिंग शुरू की जाएगी। ये बातें उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने शुक्रवार को यूनिवर्सिटी आफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) के 20वें दीक्षा समारोह में कहीं।

5.27 लाख युवा उच्च शिक्षा संस्थानों में पंजीकृत

डा. रावत ने कहा कि उत्तराखंड में 5.27 लाख युवा उच्च शिक्षा संस्थानों में पंजीकृत हैं। जिसमें से 1.30 लाख अन्य राज्यों एवं 27 हजार विदेशी छात्र-छात्राएं यहां उच्च शिक्षा ले रहे हैं।

राज्य सरकार की मंशा है कि उच्च शिक्षा का पूरा पाठ्यक्रम विवि स्तर पर साझा हो। इसके लिए सभी विवि का एक कामन सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। वहीं, सभी विवि के बीच खेल महाकुंभ कराने की भी योजना है।

सात एवं आठ दिसंबर को देहरादून में सभी विवि के बीच दो दिवसीय चिंतन सम्मेलन आयोजित कराया जाएगा। इस सम्मेलन में सभी विवि से एक-एक पदाधिकारी शामिल होगा।

पदाधिकारी विवि की इस साझी रणनीति पर विचार रखेंगे। सम्मेलन में एनसीसी, एनएसएस की भूमिका, विवि और कालेज में नैक एग्रीडेशन व उच्च शिक्षा संस्थानों में पूरी तरह नशाबंदी पर भी चर्चा होगी। यह सभी घटक राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शामिल हैं।

विवि, आइआइटी, आइआइएम के दीक्षा समारोह में एक होगा गणवेश

डा. धन सिंह रावत ने कहा कि यूपीईएस के वर्ष 2018 के दीक्षा समारोह में उन्होंने घोषणा की थी कि प्रदेश के सभी विवि के दीक्षा समारोह की गणवेश पारंपरिक वेषभूषा होगी।

इसके बाद प्रदेश में ही नहीं देशभर में विवि के दीक्षा समारोह में ब्रिटिशकालीन गणवेश को त्यागकर प्रदेश की पारंपरिक वेशभूषा में छात्र-छात्राएं उपाधि ग्रहण करते आ रहे हैं। इसमें एक और सुधार किया जा रहा है।

उत्तराखंड के सभी विवि के साथ आइआइटी, आइआइएम व एनआइटी के दीक्षा समारोह में एक जैसा गणवेश होगा। ताकि देशभर में उत्तराखंड की एक अलग पहचान बन सके।

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