शामली। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा को उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा खतरा ठंड से नहीं बल्कि यहां की सड़कों पर जानलेवा गड्ढों से है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा के तीसरे व अंतिम दिन पत्रकारों से बातचीत में श्री रमेश ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा को यूपी में सबसे ज्यादा खतरा ठंड से नहीं बल्कि यहां की सड़कों से हैं। उन्होने भाजपा पर प्रहार करते हुए कहा कि भारत जोड़ो यात्रा गलत विचारधारा के खिलाफ हैं।
कांधला के एलम से गुरूवार सुबह यात्रा शामली जिले में भ्रमण के लिये पहुंची। जनसैलाब के साथ श्री गांधी यात्रा लेकर सवा नौ बजे कैराना क्षेत्र के ऊंचागांव में पहुंचे। यहां श्री गांधी विश्राम के लिए बनाए गए कैंपस में पहुंच गए। सुबह करीब 11 बजे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयाराम रमेश की ओर से संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पहली बार विचारधाराओं का भेदभाव पहचाना हैं। चुनावी राजनीति अलग हैं। देश की राजनीति के शीर्ष में आने के सवाल पर उन्होंने स्वीकार किया और कहा “ हमें सत्ता में आने के लिए पांच या दस साल लग सकते हैं।”
तीन दिनो तक उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद,बागपत और शामली जिले में यात्रा के दौरान उत्साह दिखायी पड़ा। बच्चे और महिलायें मोबाइल से यात्रा का वीडियो बना रहे थे। कांग्रेस के नेताओं का आरोप था कि यात्रा के दौरान प्रशासन ने सख्ती दिखाई। दुकानों को बंद करने का आदेश दिया गया। पूरी कोशिश की गई कि यात्रा में कम से कम लोग पहुंच सके । उसके बावजूद भी गांधी को सुनने के लिए और अपनी पीड़ा बताने के लिए अपार जनसैलाब उमड़ा। उन्हें भी राहुल गांधी मिलने से रोकने की कोशिश की गई ।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि यात्रा में नौजवान किसान के साथ-साथ तामम एनजीओ, लघु एवं मध्यम उद्योग करने वाले व्यापारी जिनका नोटबंदी और गलत जीएसटी की वजह से व्यापार समाप्त हो गया, भी मिले। बागपत और शामली में गन्ना किसानों ने अपनी पीड़ा बताई। सेना में शामिल होने के लिए सुबह सुबही दौड़ने वाले नौजवानों ने अग्निवीर योजना और बंद पेंशन की वजह से असुरक्षित भविष्य पर अपनी चिन्ता जाहिर की। नौजवान बेरोजगारी से और हर व्यक्ति महंगाई से परेशान दिखा । शामिल होने वाले यात्रियों के लिए ठहरने तथा खाने की उचित व्यवस्था की गई थी। जिन लोगों को यात्रा को सुचारू रूप से क्रियान्वित करने की जो जो जिम्मेदारी दी गई थी, उन लोगों ने अपनी-अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई।