सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने के आदेश पर रोक लगाना स्वागत योग्य: आठवले – Polkhol

सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने के आदेश पर रोक लगाना स्वागत योग्य: आठवले

दिल्ली। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले ने झारखंड के गिरिडीह जिले में पार्श्वनाथ पहाड़ी पर जैन समुदाय के प्रमुख तीर्थस्थल सम्मेद शिखरजी पर केन्द्र सरकार द्वारा पर्यटन, इको टूरिज्म सेंसटिव जोन की अधिसूचना क्रियान्वन पर रोक लगाए जाने का स्वागत किया है।

आठवले ने कहा कि केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव जी ने जैन समुदाय की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए जो निर्णय लिया है, आरपीआई उसका पूर्ण रूप से समर्थन करती है।

आठवले ने कहा कि रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया जैन समुदाय के साथ है और जैन समुदाय के सम्मेद शिखरजी (पारसनाथ) को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने से जैन समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही थी। उन्होंने कहा कि जैन समुदाय से जुड़े लोग सम्मेद शिखरजी के कण-कण को पवित्र मानते हैं औऱ बड़ी संख्या में हिंदूओं के लिए भी ये स्थान आस्था का एक बड़ा केन्द्र है।

शास्त्री भवन स्थित कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते समय आरपीआई के अध्यक्ष आठवले ने कहा कि सम्मेद शिखरजी जैन धर्मावलंबियों के लिए एक पवित्र स्थल है और दुनिया के अलग अलग देशों में बसे जैनियों की धार्मिक आस्थाएं सम्मेद शिखरजी से जुड़ी हुई हैं।

आठवले जी के अनुसार ऐसे पवित्र स्थल पर नशीले पदार्थ व मांस की बिक्री एवं पालतू जानवरों को लाने व तेज संगीत बजाने के साथ साथ अनाधिकृत पार्किग के कारण धार्मिक आस्थाओं का अपमान हो रहा है व सम्मेद शिखरजी की पवित्रता नष्ट होने की संभावना भी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि अपनी धार्मिक भावनाओं का हनन होते देख देशभर में जैन धर्म के अनुयायी आक्रोशित व आंदोलित होते दिख रहे हैं व सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के विरोध में देश भर में जैन धर्म के अनुयायियों ने प्रदर्शन भी किए हैं ।

केन्द्रीय राज्यमंत्री ने उत्तराखंड राज्य के हल्द्वानी जनपद में रेलवे की 78 एकड़ जमीन से 4000 परिवारों को बेदखल करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट के तत्काल रोक लगाने के आदेश का स्वागत किया है। श्री आठवले के अनुसार सुप्रीम कोर्ट का ये निर्णय मानवीय दृष्टि से एकदम उचित है।

आठवले ने कहा कि दिल्ली की स्लम (मलिन बस्तियों) में रहने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए सरकार को महाराष्ट्र की स्लम रिहैबिलिटेशन ऑथारिटी (एसआरए) की शैली को अपनाना चाहिए और इस विषय को लेकर मैं शीघ्र ही केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी जी से भेंट भी करुंगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *