लखनऊ। रामचरितमानस की एक चौपाई को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के आपत्तिजनक बयान को लेकर छिड़ी बहस के बीच बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) ने सपा को नसीहत दी है कि वह अनुसूचित जाति,जनजाति और अति पिछड़े वर्ग को शूद्र कह कर भारतीय संविधान का अपमान करना बंद करे।
मायावती ने शुक्रवार को सिलसिलेवार ट्वीट में बसपा सरकार में मंत्री रहे और अब सपा के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम लिये बगैर कहा के देश के कमजोर और उपेक्षित वर्ग के लिये रामचरितमानस अथवा मनुस्मृति ग्रंथ नहीं है बल्कि भारतीय संविधान है जिसमें उन्हे एससी,एसटी और ओबीसी का दर्जा दिया गया है। सपा इन्हे शूद्र कह कर संविधान का अपमान कर रही है।
उन्होने ट्वीट किया “ देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का रामचरितमानस व मनुस्मृति आदि ग्रंथ नहीं बल्कि भारतीय संविधान है जिसमें बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है। अतः इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे तथा न ही संविधान की अवहेलना करे।”
बसपा अध्यक्ष ने कहा “ इतना ही नहीं, देश के अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी दलितों, आदिवासियों व ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय, नाइन्साफी तथा इन वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों आदि की उपेक्षा एवं तिरस्कार के मामले में कांग्रेस, भाजपा व समाजवादी पार्टी भी कोई किसी से कम नहीं। ”
मायावती ने सपा को 1995 की गेस्ट हाउस घटना की याद दिलाते हुये कहा “ सपा प्रमुख द्वारा इनकी वकालत करने से पहले उन्हें लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस के दिनांक 2 जून सन् 1995 की घटना को भी याद कर अपने गिरेबान में जरूर झाँककर देखना चाहिए, जब सीएम बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार में जानलेवा हमला कराया गया था।”
उन्होने कहा “ यह जगज़ाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान की क़द्र बीएसपी में ही हमेशा से निहित व सुरक्षित है, जबकि बाकी पार्टियाँ इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती है।”