दिल्ली। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने तकनीकी संस्थानों को शुरू करने/चलाने के लिए न्यूनतम भूमि की शर्त को समाप्त कर दिया है तथा नए काॅलेज खोलने पर लगी रोक अगले वित्त वर्ष से हटाने की घोषणा की है।
इस क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं ने निर्णय का स्वागत किया है।परिषद की ओर से गुरुवार को जारी नयी एआईसीटीई अनुमोदन प्रक्रिया पुस्तिका मानदंडों में यह ढील दी गयी है। नए नियमों के अनुसार अब कवर्ड एरिया के साथ-साथ फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) और फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) के आधार पर विकसित इमारत में तकनीकी संस्थान शुरू किए अथवा चलाए जा सकेंगे। बयान के अनुसार एआईसीटीई ने 2023-24 से नए कॉलेज शुरू करने पर लगी रोक भी हटा ली है।
उल्लेखनीय है कि पिछले कई वर्षों से देश में नए तकनीकी संस्थान शुरू करने पर रोक लगी हुई थी।
डॉ. अंशु कटारिया फेडरेशन ऑफ सेल्फ फाइनेंसिंग टेक्निकल इंस्टीट्यूशंस (एफएसएफटीआई) के अध्यक्ष ने पहल का स्वागत करते हुए कहा कि एआईसीटीई ने देश भर में तकनीकी संस्थान के लिए नया मार्ग दिया है। डॉ. कटारिया ने उन सीटों के खिलाफ संकाय बनाए रखने पर छूट देने के लिए एआईसीटीई की भी सराहना की, जो अभी भरी नहीं हैं।
उन्होंने एक बयान में कहा, “अब कॉलेज अधिशेष भूमि का उपयोग अन्य परियोजनाओं के लिए कर सकेंगे, जिससे देश के तकनीकी संस्थानों को बड़ी वित्तीय राहत मिलेगी।”
एआईसीटीई ने पत्र और भावना में नई शैक्षिक नीति 2020 को लागू किया है। ये तकनीकी संस्थानों के काम करने के तरीके को बदल देंगे जो पूरे देश में तकनीकी शिक्षा को पुनर्जीवित करेगा। इससे तकनीकी संस्थानों के बीच शिक्षा की संस्कृति भी बढ़ेगी और उन्हें समाज की बेहतरी के लिए समन्वित तरीके से एक दूसरे के साथ मिलकर काम करने में मदद मिलेगी।”
नए नियमों के अनुसार तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए एआईसीटीई की मंजूरी लेने के इच्छुक मौजूदा संस्थानों को भी प्रस्तावित सभी तकनीकी कार्यक्रमों के लिए अनुमोदन प्राप्त करना होगा। यदि यह पाया जाता है कि किसी संस्थान ने आंशिक स्वीकृति ली है तो उनका दिया गया अनुमोदन बाद में वापस ले लिया जाएगा।
एआईसीटीई के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए ऑनलाइन आवेदन 23 मार्च से 06 अप्रैल तक किए जा सकेंगे।
नयी प्रक्रिया के अनुसार अब अलग-अलग पीजी डिप्लोमा और एमबीए पाठ्यक्रम की अनुमति भी तभी तक रहेगी जब तक एक तय स्तर का छात्र-शिक्षक अनुपात बना रहेगा।
नए दिशा-निर्देशों के तहत इंजीनियरिंग संस्थानों में पहले से ही पाठ्यक्रमों की कम से कम तीन मुख्य शाखाएं होनी चाहिए। पिछले वर्षों के विपरीत 2023-24 सत्र से कई कार्यक्रमों के लिए आवेदन कर सकते हैं।