वीगन डाइट को बढ़ावा देने हेतु एम्स में मूवी स्क्रीनिंग का आयोजन – Polkhol

वीगन डाइट को बढ़ावा देने हेतु एम्स में मूवी स्क्रीनिंग का आयोजन

ऋषिकेश/देहरादून। वीगन डाईट को बढ़ावा देने और पशुवध प्रवृत्ति को रोकने के उद्देश्य से उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के काॅलेज ऑफ नर्सिंग में गुरुवार को मूवी स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया।

यूथ- 20 इंवेट के अंतर्गत ‘एनिमल क्लाइमेट एंड हेल्थ सेव मूवमेंट इंडिया’ के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में बताया गया कि दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए मनुष्य को गाय-भैंसों के दूध पर निर्भर न रहकर इसके विकल्पों को अपनाना चाहिए। यूथ-20 की तैयारियों के तहत, एम्स में किए जा रहे नियमित कार्यक्रमों की श्रृंखला में इस मूवी स्क्रीनिंग द्वारा संदेश दिया गया कि दुधारू पशुओं का दूध सिर्फ उनके बच्चों के लिए ही होता है, न कि उनके दूध का व्यावसायिक दोहन किया जाना चाहिए।

मूवी में बताया गया कि अधिकाधिक दूध दुहने से डेयरी उद्योग की गाय-भैंसें अपने जीवन में 3-4 बार दूध देने के बाद दूध देना बंद कर देती हैं और बाद में इन पशुओं के साथ क्रूरता अपनाकर उन्हें बूचड़खाने में कटने के लिए छोड़ दिया जाता है। पशु वध की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के साथ ही दुधारू पशुओं के दूध पर निर्भर न रहकर आवश्यक प्रोटीन की पूर्ति के लिए हमें वीगेन डाईट का इस्तेमाल करना चाहिए , ताकि दुधारू पशु अपने जीवन में नियमित स्तर पर दूध देते रहें और उन्हें वधशाला में जाने से भी बचाया जा सके।

एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.)मीनू सिंह ने दुधारू पशुओं के प्रति सहानुभूति रखने और मनुष्य जीवन में पशुओं के महत्व के बारे में व्यापक प्रकाश डाला। उन्होंने दैनिक जीवन में दुधारू पशुओं की महत्ता समझाई और बताया कि किस प्रकार मांसाहारी आहार के सेवन से हमारे शरीर का संतुलन बिगड़ रहा है डीन एकेडेमिक्स प्रो. जया चतुर्वेदी ने शाकाहारी भोजन से होने वाले लाभ के बारे में बताया। उन्होंने स्वस्थ व दीर्घ जीवन के लिए शाकाहार को अति महत्वपूर्ण बताया। काॅलेज ऑफ नर्सिंग की प्रिंसिपल प्रो. स्मृति अरोड़ा ने बताया कि डाॅक्यूमेंट्री फिल्म ’मां का दूध’ फिल्म के निर्देशक डॉ. हर्षा ने पूरे भारत में लगभग 20,000 किमी. की यात्रा की और विभिन्न स्थानों पर 100 से अधिक विशिष्ट लोगों के साक्षात्कार लिए हैं। इनमें मेनका गांधी और आचार्य प्रशांत जैसे कई विशिष्ट लोग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस फिल्म के प्रदर्शन से भारत में गाय-भैंसों से संबन्धित पशुपालन की परम्परा, सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकेगा।

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