रुद्रप्रयाग। बदरी-केदार धाम में डिजिटल दान लेने का रहस्य गहराता जा रहा है। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष का दावा है कि पेटीएम ने उनकी अनुमति लिए बिना दोनों धामों के परिसर में क्यूआर कोड लगाए हैं।
जबकि, समिति के मुख्य कार्याधिकारी का कहना है कि इसको लेकर पांच साल पहले पेटीएम के साथ समिति का अनुबंध हुआ था, लेकिन पेटीएम ने क्यूआर कोड लगाने के लिए सक्षम स्तर पर अनुमति नहीं ली।
समिति के एक कर्मचारी का है बैंक खाता
यह बात भी सामने आ रही है कि क्यूआर कोड से जो बैंक खाता जुड़ा है, वह समिति के एक कर्मचारी का है। जो समिति के वरिष्ठ अधिकारी का स्टेनो है। हालांकि, इस बारे में समिति के पदाधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। समिति के अध्यक्ष और मुख्य कार्याधिकारी मामले की विस्तृत जांच कराने की बात कह रहे हैं।
बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के मुख्य परिसर में कपाट खोलने वाले दिन डिजिटल दान के लिए पेटीएम के क्यूआर कोड लगे पाए गए थे, जिन्हें मंदिर समिति ने उसी दिन हटवा दिया। इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होने के बाद यह मामला चर्चा में आ गया।इसके बाद रविवार को बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा था कि समिति ने कहीं पर भी ऐसे क्यूआर कोड नहीं लगवाए। साथ ही दोनों धाम में इस प्रकरण की जांच के लिए पुलिस को तहरीर दी गई। इस पर बदरीनाथ चौकी में अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया, जबकि केदारनाथ चौकी में दी गई तहरीर की अभी जांच की जा रही है।
इस बीच सोमवार को प्रकरण ने नया मोड़ ले लिया। रुद्रप्रयाग जिले की एसपी विशाखा अशोक भदाणे के अनुसार, पुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आया कि वर्ष 2018 में बीकेटीसी और पेटीएम के बीच क्यूआर कोड लगाने को लेकर एमओयू हुआ था। उधर, चमोली जिले के एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पेटीएम के क्यूआर कोड से जो बैंक खाता जुड़ा है, वह मंदिर समिति के एक कर्मचारी का है। हालांकि, समिति इसकी पुष्टि नहीं कर रही।
इधर, मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह का कहना है कि क्यूआर कोड लगाने को लेकर पेटीएम ने समिति के पदाधिकारियों से अनुमति नहीं ली। इस बारे में पूछे जाने पर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने भी कहा कि पेटीएम ने उनसे या मुख्य कार्याधिकारी से क्यूआर कोड लगाने के बारे में कोई बात नहीं की। उनका कहना है कि ऐसा किस स्तर से हुआ, इसकी जांच कराई जा रही है।
क्यूआर कोड से आया 70 लाख का दान
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पेटीएम के क्यूआर कोड के माध्यम से मंदिर समिति को अब तक 70 लाख रुपये से अधिक का दान प्राप्त हो चुका है। इस बारे में बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इसके संबंध में पेटीएम से विस्तृत ब्योरा मांगा गया है।
बदरी-केदार धाम के परिसर में डिजिटल दान के लिए क्यूआर कोड पेटीएम की तरफ से लगाए गए थे। लेकिन, इसके लिए पेटीएम ने मुझसे कोई अनुमति नहीं ली। मालूम हुआ है कि निचले स्तर पर कर्मचारियों से बात कर पेटीएम ने क्यूआर कोड लगा दिए। इस प्रकरण की विस्तृत जांच कराई जा रही है। जल्द ही सब साफ हो जाएगा।
पेटीएम और मंदिर समिति के बीच बदरी-केदार धाम में क्यूआर कोड लगाने के लिए वर्ष 2018 में एमओयू हुआ था। इसकी जानकारी मुझे नहीं थी। फिर भी क्यूआर कोड लगाने से पहले मंदिर समिति की सहमति ली जानी जरूरी है। लापरवाही किस स्तर पर हुई, इसकी जांच की जा रही है। इसमें मंदिर समिति का कोई कर्मचारी शामिल है तो उसके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी। क्यूआर कोड के माध्यम से मंदिर समिति के खाते में कितना दान आया और उसका आहरण व वितरण किस ढंग से किया गया। इन सभी बिंदुओं की जांच की जा रही है।