चंडीगढ़। स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने शुक्रवार को जंतर-मंतर पर धरना दे रहे महिला पहलवानों के साथ दिल्ली पुलिस के पुरुषकर्मियों द्वारा किये गए दुर्व्यवहार की कड़ी निंदा की है।
विद्रोही ने आरोप लगाया कि मोदी का ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ नारा एक जुमला है। वह वोट बैंक की गंदी और ओछी राजनीति के लिए नारी सशक्तीकरण के नाम पर महिलाओं को ठगते तो हैं, पर जब भी उनकी सुरक्षा, गरिमा का सवाल आता है तो पीड़ित महिलाओं के साथ खड़े होने की बजाय सदैव ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के यौन शोषकों के साथ खड़े होकर उन्हे सत्ता का दुरूपयोग कर सत्ता सरंक्षण देते नजर आते है। जब भारत का मान-सम्मान बढ़ाकर मेडल जीतने वाली महिला पहलवानों की ‘मन की बात’ जब प्रधानमंत्री सुनने को तैयार नहीं है, तब सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि वह मन की बात के नाम पर किस तरह विगत नौ साल से पूरे देश को ठग रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मोदी और केंद्रीय गृह मंंत्री अमित शाह के अधीन आने वाली दिल्ली पुलिस हो या चंडीगढ़ पुलिस दोनों ही यौन शोषण मामले में जिस तरह भाजपा सांसद बृजभूषणशरण सिंह और हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह को अप्रत्यक्ष रूप से बचाने का जो कुप्रयास कर रही है, वह घोर निंदनीय और सत्ता का खुला दुरूपयोग है।
विद्रोही ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर अपने प्रदेश की बेटियों के साथ खड़े होकर उन्हें न्याय दिलाने की पहल करने की बजाय कह रहे हैं कि कुश्ती पहलवानों का मामला हरियाणा से सम्बन्धित नहीं है। जब प्रदेश का मुख्यमंत्री अपनी पीड़ित बेटियों के साथ खड़ा होने की बजाय अप्रत्यक्ष रूप से यौन शोषक के साथ खड़ा हो, तब ऐसा अंसेवदनशील मुख्यमंत्री हरियाणा की महिलाओं को स्वतंत्र, निष्पक्ष दिलवाएगा, यह मृगतृष्णा नहीं तो और क्या है।
उन्होंने सभी हरियाणावासियों से आग्रह किया कि वे राजनीतिक और सामाजिक सोच से ऊपर उठकर दिल्ली जंतर-मंतर पर धरना दे रही अपनी महिला पहलवान बेटियों के साथ मजबूती से खड़े होकर उन्हे हर हालत में न्याय दिलवाये और प्रदेश की बेटियों के मान-सम्मान और गौरव की रक्षा करे।