पुरी। ओडिशा के पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के अनुष्ठानों में उपयोग किए जाने वाले रेशम के कपड़ों (गीत गोबिंद खंडुआ) को रेशम के कीड़ों को मारे बिना खूबसूरती से तैयार किया जायेगा।
ओडिशा के मुख्य सचिव एवं श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के कार्यकारी अध्यक्ष पी के जेना ने आगामी रथ यात्रा की तैयारियों पर आयोजित एक बैठक के बाद यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा, “प्रायोगिक तौर पर रेशम के कीड़ों को जीवित रखते हुए कुछ रेशम के परिधान तैयार किए गए हैं। यह एक सराहनीय कदम है। हमारा उद्देश्य है कि देवताओं के उपयोग के लिए तैयार किए जाने वाले उत्पाद के निर्माण हेतु किसी कीड़े को मारा नहीं जाये।”
राज्य हथकरघा निदेशालय ने रेशम के कीड़ों को मारे बिना एक विशेष प्रक्रिया के माध्यम से 88 मीटर लंबाई का रेशम खंडुआ तैयार किया है। अनुष्ठानों में इस उत्पाद का उपयोग करने का संकल्प लिया गया है।
बैठक में अनुष्ठान, छतिशा निजोग से लेकर नीलाद्री बीजे (उत्सव का समापन) तक उत्सव कार्यक्रमों को मंजूरी प्रदान की गई।
चार जून को गर्भगृह से स्नान वेदी तक देवताओं की रस्मी पाहंडी समाप्त होने के बाद स्नान अनुष्ठान के दिन से देवताओं के दर्शन जारी रहेंगे। हालांकि भक्तों को देवताओं को छूने से रोका जाता है। भक्त शाम को प्रसिद्ध हाटी वेशा के दर्शन करेंगे।
इसके अलावा, मंदिर के सेवादारों के बच्चों के लिए 2024-25 शैक्षणिक सत्र तक गुरुकुल स्कूलों की स्थापना को पूरा करने का लक्ष्य है। मुख्य सचिव श्री जेना ने बताया कि परिक्रमा परियोजना निर्धारित समय सीमा के अंदर पूरी कर ली जाएगी।