महामहिम राज्यपाल, उत्तराखंड के साथ भी करते रहे निरंतर धोखाधड़ी : सूत्र
तत्कालीन कम्पनी सचिव व विधि के वित्तीय पर रहते नहीं रहे दयानतदार?
…की, घोर अनियमिताएं व स्वार्थ वश लापरवाही से पहुंचाया करोड़ों का पिटकुल को नुक्सान!
नारी शक्ति का भी किया अनादर?
एमडी पी सी ध्यानी ने जारी किये निलम्बन आदेश: रुड़की चीफ इंजीनियर से किया सम्बद्ध!
(ब्यूरोचीफ एस गुप्ता द्वारा)
देहरादून । आज प्रातः अभी सूर्य ने ढंग से ऊर्जा भी नहीं उकेरी थी कि पिटकुल के प्रबंध निदेशक पी सी ध्यानी ने निगम के हितों की निरंतर अनदेखी करते चले आ रहे एवं वित्तीय अनियमिताओं से करोड़ों को नुक्सान पहुंचाने वाले एवं दायित्वों को दयानतदारी से न निभा कर ऐसे वैसे कृत्यों को अंजाम देने वाले और निरंतर निगम की छवि धूमिल करते चले आ रहे महाप्रबंधक (विधि) प्रवीन टंडन को विभिन्न आरोपों में प्रथम दृष्ट्या निलम्बित कर दिया।
यही नहीं सूत्रों का तो यह भी कहना है कि उक्त महाशय नमक निगम का खा रहे थे और वफादारी निगम के विपरीत कान्ट्रैक्टर्स आदि के पक्ष निभाते चले आ रहे थे। महाप्रबंधक विधि के ऐसे ऐसे कृत्यों के कारण पिटकुल विकास के कामों में कम और उसकी पूरी मशीनरी व स्टाफ अनावश्यक विवादों में अधिक उलझ कर रह गयी थी। काम कम बेगार ज्यादा!
बताया तो यह भी जा रहा है कि इन महाशय के द्वारा कारपोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) में घपले बाजी करके ऐसी अपूर्णनीय क्षति पहूचाई गयी जिसका भारी भरकम खामियाजा भी अब पिटकुल को ही भुगतना पड़ेगा! आर्थिक क्षति के अनेकों मामलों के साथ साथ देवभूमि की नारी शक्ति का भी अपमान किये जाने तथा उनका उत्पीड़न का भी मामला प्रकाश में आया है।
सबसे अधिक उल्लेखनीय मामला तो यह उजागर हो रहा है कि उक्त महाशय किसी गुटबाजी और एक अन्य ऊर्जा निगम के एमडी के सानिध्य में रहकर काकस के नशे में मदद मस्त हो गये थे कि प्रदेश के महामहिम राज्यपाल से भी धोखाधड़ी करने में नहीं चूक रहे थे और उत्तराखंड सरकार के शेयरों से विगत कई वर्षों से गोलमाल करते चले आ रहे थे तथा निगम के रिकार्ड को अपनी निजी बपौती समझते चले आ रहे थे?
इन महाशय के चर्चित मामलों में ईशान प्रकरण जो इस आर्वीट्रेशन में है तथा पुलिस में विवेचना विचाराधीन है के साथ साथ एक अन्य प्रकरण में नियम विरुद्ध स्वयंभू आर्वीट्रेटर बन बैठे बीकेजी प्रकरण में पिटकुल के ही विरुद्ध लगभग ढाई करोड़ का फैसला सुनाने वाली भूमिका भी अदा कर चुके हैं जबकि इसी बीकेजी प्रकरण में बाद में कामर्शियल कोर्ट ने फैसला मात्र छः लाख का सुनाया और आर्वीट्रेशन का फैसला अपास्त कर दिया। ऐसे ही अन्तर्राष्ट्रीय आर्वीट्रेशन वाले कोबरा प्रकरण में कुछ ऐसी ही संदिग्ध भूमिका निभाये जाने की बात भी चर्चा में है।
ज्ञात हो इन्हीं महाशय को विगत कुछ समय पहले कम्पनी सचिव के दायित्व से हटाया जा चुका है और वर्तमान में केवल महाप्रबंधक विधि का कार्य ही मुख्यालय में बैठ कर देख रहे थे।
पढ़िए निलम्बन आदेश….
देखना यहां गौरतलब होगा कि धामी की धाकड़ सरकार के धाकड़ एमडी पिटकुल क्या निगम में रह कर निगम को बट्टा लगाने बाले और आस्तीन के सांपों को भी सबक सिखाने की दिशा में ठोस कार्यवाही करते हुये कड़े प्रशासक की भूमिका निभायेंगे?