देहरादून। श्री केदारनाथ यात्रा 2023 अपने चरमोत्कर्ष पर है तथा यात्रा की रीढ़ माने जाने वाले घोड़े-खच्चरों को प्रदान की जा रही पशुचिकित्सा सेवाओं एवं यात्रा मार्ग पर अश्व कल्याणार्थ अन्य सुविधाओं हेतु पशुपालन विभाग एवं जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के निर्देशन में किए जा रहे सराहनीय नवीन प्रयास चर्चा का विषय हैं। यात्रा में यात्री परिवहन एवं माल ढुलान हेतु बड़ी संख्या में घोड़े-खच्चरों का प्रयोग किया जाता है। यात्रा में प्रयुक्त होने वाले घोड़े-खच्चरों की स्वास्थ्यरक्षा एवं अश्वकल्याण संबंधी अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने हेतु पशुपालन विभाग एवं जिला प्रशासन द्वारा इस वर्ष यात्रा प्रारंभ होने से पूर्व से ही कमर कस ली गई थी। इस वर्ष विभाग द्वारा अपनी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं जिनके सुखद परिणाम भी आ रहे हैं।
इस आशय की जानकारी देते हुए मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डाॅ. अशोक कुमार ने अवगत कराया है कि घोडे़-खच्चरों के संचालन हेतु इस वर्ष शासन द्वारा एस.ओ.पी. निर्धारित की गई है जिसका पूर्ण रूप से पालन किया जा रहा है, जिसमें यात्रा ट्रैक की अधिकतम क्षमता भी निर्धारित की गई हैै। पशुपालन विभाग द्वारा केदारनाथ यात्रा मार्ग पर सोनप्रयाग गौरीकुण्ड, लिनचोली एवं केदारनाथ में अस्थाई पशु चिकित्सालय संचालित किए जा रहे हैं। जिनके माध्यम से यात्रा मार्ग पर चलने वाले घोड़े-खच्चरों को पशुचिकित्सा सुविधाएं दी जा रही हैं। साथ ही प्रतिदिन मार्ग पर चलने वाले घोड़े-खच्चरों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा है। घोड़े-खच्चरों हेतु गत वर्ष मात्र 4 पशुचिकित्सकों को नियुक्त किया था जबकि इस वर्ष विभाग द्वारा कुल 7 पशुचिकित्सक एवं 5 पैरावेट यात्रा मार्ग पर पशुचिकित्सा उपलब्ध कराने एवं पशुओं के स्वास्थ्य जांच हेतु नियुक्त किए गए हैं। सोनप्रयाग, श्री केदारनाथ एवं लिनचोली में एक-एक पशुचिकित्सक तथा यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में 04 पशुचिकित्सक तैनात किए गए हैं जिनके द्वारा 24 घंटे पशु चिकित्सा सुविधा उपलबध करवाने के साथ ही पशु क्रूरता निवारण अधिनियम का भी अनुपालन करवाया जा रहा है। जिला पंचायत द्वारा यात्रा मार्ग पर चलने वाले घोड़े-खच्चरों का पंजीकरण एवं विनियमन किया जा रहा है तथा यात्राकाल में नियमों का उल्लंघन करने पर वैधानिक कार्यवाही भी की जा रही है।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष यात्रा प्रारंभ होने से पूर्व ही विभाग द्वारा विगत वर्षों के अनुभव के आधार पर तैयारियां प्रारंभ कर दी गई थी। यात्रा मार्ग पर तैनात पशुचिकित्सकों को तकनीकी रूप से अधिक दक्षता प्रदान करने के दृष्टिगत उन्हें आईटीबीपी एवं ब्रुक्स इंडिया के विशेषज्ञ प्रशिक्षकों द्वारा 07 दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया। साथ ही यात्रा-पूर्व ही जनपद के विभिन्न अश्व बाहुल्य क्षेत्रों में पशुस्वास्थ्य एवं पशुबीमा हेतु लगभग 15 शिविरों का भी आयोजन किया गया जिनमें पशुस्वामियों को पशुस्वास्थ्य, पोषण एवं पशुकल्याण के संबंध में जागरूक किया गया।