ये न्यूज़ नहीं झलकियां हैं!
खुद पढ़ो और समझो!
क्या इस हाथी के दांत दिखाने के और ही निकले?
वह कौन सा “काफी कलैण्डर” है जिसकी कीमत मात्र 90 लाख पड़ी ?
सूचना की सूचना जब हो लापता, तो फिर कहने ही क्या?
बिष कन्याओं का खेल ही खेल में बजती है वंशी!
बहुत मंहगा रहा किस धाकड़ का एक वर्ष का सफरनामा?
तीन हजार का हक मार, तेरह पर लुटाया करोड़ों?
पोल है तो खुलेगी ही, सच्चाई छिपेगी नहीं, सरकार!
अधूरी : सूचना डायरी और निर्देशिनी में भी दिखा अपना पराया?
लुटाता तो और, पर सूचना और एमहीडीए ही काफी था?
किस-किस ने खेला खेल और किस-किसने लगाये इस में गोते : बताओ तो जाने!
क्या ऐसे ही चलते रहेगें लूट खसोट के ये खेल और लुटता रहेगा प्रदेश? आखिर कब तक?
नीरो बंशी बजाने और झूठी हवा-हवाई में मस्त और प्रदेश लुटते लुटते पस्त?
पूरी खबर लाओ, ईनाम पाओ!!
– तीसरी आंख का है यह तहलका!!!
जय देवभूमि – जय उत्तराखंड!!