इधर वाह वाह ! उधर हाय हाय!!
जेई से एई और से एई से बने 30 अभियंता!
जौलजीबी और जाफरपुर परियोजनाएं समय पर गुणवत्ता के साथ अब होंगी पूरी!
काॅकस अपने कान्ट्रैक्टर्स की घुसपैठ पिटकुल में कराने के लिए ले रहा धामी के आला अफसरों पर फैला रहा मायाजाल!
निलम्बित पिटकुल महाप्रबंधक विधि एवं पूर्व कम्पनी सचिव के कारनामों की खुलने लगी पोल : काॅकस जुटा बचाने में?
धामी सरकार को भी लगाया एक करोड़ दस लाख तीस हजार के शेयर जालसाजी से चूना : फिर भी एफआईआर नहीं?
सीएसआर फंड पर कुंडली मारे बैठे रहा ये और अब करोड़ों की पेनाल्टी का खामियाजा भुगतेगा निगम?
निलम्बित महाप्रबंधक (विधि) पर दर्जनों घोटालों व पिटकुल विरोधी दुष्कृत्यों पर होगा एक्शन या फिर…?
( पोल खोल ब्यूरो चीफ एस. गुप्ता की पड़ताल)
देहरादून। ऊर्जा विभाग के निगम चर्चा में न रहें और मीडिया व समाचार पत्रों की सुर्खियां न बने ऐसा फिलहाल तो सम्भव नहीं लगता? इसके कारणों को यदि तलाशा जायेगा तो भ्रष्टाचार में गले गले तक डूब चुके ये तीनों निगम यूपीसीएल, पिटकुल, यूजेवीएनएल और उरेडा ही पाये जायेंगे। क्योंकि इन निगमों की भ्रष्टाचार और घोटालों की कृपा से ही चलती आ रही हैं पिछले एक दशक से सरकारें! वर्तमान सरकार और शासन भी शायद उसी राह पर चांदी की थाली में चटकारे ले रही है?
मजेदार बात तो यहां यह भी है कि भ्रष्टाचारी काॅकस के पांव इन तीनों निगमों और उरेडा सहित धामी शासन में भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष जड़ें जमाये हुये संरक्षण देकर गन्दी राजनीति फैलाये हुये “तू मेरा और तू उसका” की नीति के अनुसार यूपीसीएल के विकास की ओर कम पिटकुल को कैसे बर्वादी की ओर धकेला जाये पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
वहीं वर्तमान एमडी पिटकुल के अनुभवों और कार्यकुशलता से पिटकुल धीरे धीरे परवान चढ़ने लगा है। हालांकि ऊर्जा निगम के काॅकस की यही चेष्टा है कैसे पिटकुल को पलीता लगाया जाये यही नहीं अब तो पिटकुल में उन्हीं ख़तरनाक और ‘अपना काम बनता, भाड़ में जाये जनता’ की नीति पर चलने और जम कर चूना लगाने वाले कान्ट्रैक्टर्स धामी शासन की वैशाखी के सहारे घुसपैठ कर करोड़ों के काम हथियाने की यहां भी फिराक में हैं। चार का काम चौदह में लेने वाले इन कान्ट्रैक्टर्स के मायाजाल में कुछ आला अफसर फंसे चुके हैं जो ऐन-केन-प्रकरेण इन्हें लीक से हटकर कान्ट्रैक्ट दिलवाने के लिए बचनबद्ध हैं, देखना यहां गौर तलब होगा कि ये काक्स अपने षड्यंत्र में सफल होता है और एमडी पिटकुल को अपने जाल में फंसाना में सफल होता या फिर धामी शासन जन-धन के दुरुपयोग पर लगाम लगा पाने में?
ज्ञात हो कि एमडी पिटकुल ध्यानी का कार्य करने का रवैया और टीम स्प्रिट बनाये रखने वाली नीति से जहां पिटकुल कर्मी उनकी वाहवाही कर रहे हैं और कह रहे हैं कि एक कर्मचारी को प्रमोशन से मिलने वाली अपार खुशी देने वाले एमडी वास्तव में वधाई व धन्यवाद के पात्र हैं। एमडी महोदय द्वारा सेवानिवृत्त होने वाले चार अभियंताओं को सेवा काल पूर्ण होने से पूर्व अन्तिम समय में प्रमोशन देने का कार्य किया है उसकी जितनी सराहना की जाये कम है। सूत्रों के अनुसार पिटकुल प्रबंधन द्वारा तीस अभियंताओं को नियमानुसार प्रमोशन दिये गये हैं। इन तीस प्रोन्नतियों में जेई से एई और एई से एक्शियन में प्रोन्नति की गयी हैं। दूसरी ओर यदि यूपीसीएल की कार्यप्रणाली को देखा जाये वहां निगम कर्मी उसी समय एमडी हाय हाय के नारे लगाकर विरोध प्रकट कर रहे थे जब पिटकुल में खुशी का इजहार हो रहा था।
सूत्रों की अगर यहां यह भी मानें तो पिटकुल की दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं को बोर्ड के द्वारा हरी झंडी मिल चुकी है। जौलजीबी एवं जाफरपुर की प्रस्तावित परियोजना समय अवधि में गुणवत्ता के साथ क्रियान्वित होंगी ऐसा एमडी पिटकुल का कहना है।
उल्लेखनीय तो यह भी है कि विगत दिनों एमडी द्वारा निलम्बित किये गये महाप्रबंधक (विधि) एवं पूर्व कम्पनी सचिव के कारनामों की फेहरिस्त नित नये कारनामों के उजागर होने से पोल खुलने लगी है हालांकि ऊर्जा निगम में विद्यमान काॅकस उक्त तथाकथित प्रथम दृष्टया घोटालेबाज को पूरी तरह बचाने में जुटा हुआ है।
मजेदार बात तो यह है कि उक्त घोटालेबाज ने प्रदेश की धामी सरकार को विगत तीन वर्षों में एक करोड़ दस लाख तीस हजार के शेयर की अजीबो-गरीब जालसाजी करके खेल खेला गया फिर भी इस आपराधिक दुष्कृत्य पर शासन द्वारा एफआईआर का नही कराया जाना आश्चर्यजनक बना हुआ है। ऐसे में अब यहां भी लगने लगा है कि सीएसआर फंड पर लगभग दस वर्षों से नियम विरुद्ध कुंडली मारे बैठे रहने वाले इस जिम्मेदारी अधिकारी के गैर जिम्मेदाराना आचरण के कारण पिटकुल पर अब करोड़ों की पेनाल्टी की तलवार लटकने लगी है जिसका खामियाजा निगम को ही भुगतना पडेगा?
सूत्रों के अनुसार उक्त महाप्रबंधक (विधि) की परिजन के द्वारा सीएम पोर्टल आदि पर कोई झूठी शिकायत प्रतिशोध स्वरूप किया जाना भी बताया जा रहा है उक्त शिकायत में जिन दस्तावेजों का प्रयोग किया गया है और आधार बनाया गया है वे दस्तावेज पूर्व नियोजित एवं प्रायोगिक, प्लैंड और फ्रेम्ड हैं जिनकी आड़ ली जा रही बताई जा रही है।
देखना यहां यह भी गौरतलब होगा कि इन निलम्बित महाप्रबंधक (विधि) पर दर्जनों घोटालों व पिटकुल विरोधी दुष्कृत्यों एवं वित्तीय क्षति पहुंचाने और पिटकुल में रहकर पिटकुल विरोधी कृत्य करते रहने पर कोई कड़ा एक्शन होगा या फिर…?