-ढाई माह पहले खराब हुआ एबीबी कम्पनी ब्रांड करोड़ों रुपये कीमत का यह पावर ट्रांसफार्मर!
-‘पोलखोल’ द्वारा खोली जा चुकी थी इस ट्रांसफार्मर के खेल की पोल!
-दो ट्रांसफार्मरों पर ही चल रहा है इस इंडस्ट्रियल एरिया के सब स्टेशन का लोड!
-बिना बीजी, बिना ट्रांजिट इंश्योरेन्स के कैसे हटाया गया फाउंडेशन से करोड़ों का ट्रांसफार्मर?
-यह किस विश्वास पात्र या आस्तीन के सांप रूपी अभियन्ता की वफादारी का करिश्मा?
-एमडी को धोखे में रखकर छलावा किसकी शह पर?
-नमक पिटकुल का और वफादारी उसकी…?
आखिर किस दाल के गलने का इंतजार कर रहे हैं पिटकुल के ये महान और विद्वान अभियंता?
आखिर कब तक वैशाखियों पर चलती रहेगी चरमराती विद्युत आपूर्ति व्यवस्था और झेलेंगे औद्योगिक उपभोक्ता?
(पोलखोल ब्यूरो का सनसनीखेज खुलासा)
देहरादून (उत्तराखंड)। विश्वास करना खराब नहीं है पर आंख बंद कर अति विश्वास करना कितना हानिकारक हो सकता है इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता! फिर कसूर जहरीले सांप का नहीं होता उसकी तो फितरत ही डसने की होती है! यह बात पिटकुल और उसके एमडी की शायद समझ से परे है या फिर समझना नहीं चाह रहे हैं।
ज्ञात हो कि घनघोर वारिश के दौर में तीन ट्रांसफार्मरों का लोड आखिर दो ट्रांसफार्मरों पर कब तक चलाया जाता रहेगा? क्या ऐसे ही औद्योगिक उपभोक्ताओं को रिस्क में रखा जायेगा?
क्यों नहीं ढाई माह से अधिक समय लग रहा है इस पावर ट्रांसफार्मर के ठीक होने में?
देखिए नीचे फोटो — सब स्टेशन पर मौजूद दो ट्रांसफार्मर जो अपनी फाउंडेशन पर काम कर रहे हैं…
किन्तु बीच वाली फाउंडेशन से दूसरा ट्रांसफार्मर लापता साफ देखा जा सकता है, आखिर गया तो गया कहां…
बिन ट्रांसफार्मर सूनी सूनी सी लगे यो फाउंडेशन ….
हमारी खोजी टीम ने जब अपनी 23 भी को प्रकाशित समाचार का जनहित में फालोअप किया ऐसा सच सामने आया जिसे देख कर लगा कि धाकड़ धामी राज में सभी धाकड़ हैं वरना किसकी मजाल जो एक कील भी इधर से उधर हो जाए! यह तो विशालकाय ट्रांसफार्मर है जो किसी जेब या थैले में छिपाकर नहीं ले जा सकता बल्कि ट्रोला पर क्रेनों की मदद से ही इधर से उधर हिलाया जा सकता है! हालांकि हमारी टीम ने आज सम्बंधित मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता और अधिशासी अभियंता से काल करके इस लापता ट्रांसफार्मर के बारे में जानकारी करने का काफी प्रयास किया किन्तु आवश्यक सेवाओं के यह जिम्मेदार अधिकारियों को मोबाईल फ़ोन उठाने की आदत ही कहां है?
हमारे द्वारा गत 23 मई को प्रकाशित समाचार से बेखबर पिटकुलव ऊर्जा विभाग….
काश! एमडी साहब समय पर जाग जाते तो यह करिश्मा ने होता और बिना बैंक गारंटी तथा बिना ट्रांजिट इंश्योरेन्स के नियम विरुद्ध यह करोड़ों रुपये की कीमत का 40 एमवीए विशालकाय पावर ट्रांसफार्मर अपनी फाउंडेशन से लापता नहीं होता? आखिर कहां गया और किसके आदेश पर लापता हुआ और किस लापतागंज में है ये ट्रांसफार्मर? क्या कोई चोर चोरी कर ले गये या जमीन निगल गयी? क्या एक डेढ़ माह से गायब इस ट्रांसफार्मर की पुलिस रिपोर्ट कराई गयी? क्या एमडी के संज्ञान में है इस काली कमाई युक्त महाघोटाले का करिश्माई खेल? या फिर उस वफादार मुख्य अभियंता की पूरी टीम की सांठगांठ से काकस की शह पर विश्वासघात कर छुरा भोंका गया है? या फिर भारी भरकम काली कमाई का खेला जा रहा है खेल?
ये था समाचार, पढ़िये…
उल्लेखनीय यहां यह भी प्रतीत हो रहा है कि यह भारी भरकम खेल नमक पिटकुल का और वफादारी काॅकस के सरदार के लिए खेला जा रहा हो। जैसा खेल हाल ही में एमडी के कुमायूं दौरे के दौरान ‘पोलखोल’ द्वारा प्रकाशित समाचार पर संज्ञान लेने के परिणामस्वरूप 220 केवी झाझरा सब स्टेशन पर ब्रेकरों और सीटी पीटी आदि में आग लगने की आड़ में खेले जाने की जी तोड़ कोशिश की गयी थी जो एकाएक रात में एमडी के अप्रत्याशित विजिट से विफल हो गयी था वरना…? हालांकि मैनेज मीडिया यहां भी जनहित में निष्पक्ष भूमिका से कहीं दूर कुछ का कुछ परोसने में लगा है।
देखना यहां गौरतलब होगा कि एमडी पिटकुल इस छुरामार घोटाले का पर्दाफाश कर आस्तीन में छिपे नमकहराम अभियन्ताओं को सबक सिखा पाते हैं या फिर…?