नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने दून वैली के एकीकृत विकास के लिये 44 साल पहले जारी अधिसूचना का अनुपालन नहीं किये जाने के मामले में प्रदेश सरकार को तीन सप्ताह में ठोस जवाब पेश करने को कहा है। अदालत ने पर्यटन सचिव को भी अगली सुनवाई पर वर्चुअली पेश होने के निर्देश दिये हैं।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ ने अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद आज ये निर्देश जारी किये।
याचिकाकर्ता की ओर से वर्ष 2021 में दायर जनहित याचिका में कहा गया कि केन्द्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से दून वैली के विकास के लिये वर्ष 1979 में एक अधिसूचना जारी की गयी। इसके तहत खनन, क्षेत्रीय और पर्यटन के विकास के लिये एकीकृत योजना बनाने के निर्देश दिये थे। साथ ही इसे केन्द्र सरकार से पारित कराने को कहा गया था।
याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि लगभग 44 साल बीतने के बावजूद आज तक प्रदेश सरकार की ओर से केन्द्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचना का अनुपालन नहीं किया गया है। दून वैली के विकास को लेकर कोई एकीकृत योजना नहीं बनायी गयी। अलग अलग महकमों की ओर से पृथक पृथक योजनायें बनायी गयीं।
अदालत के आदेश पर आज प्रदेश के पर्यटन सचिव जवाबी हलफनामा के साथ वर्चुअली पेश हुए लेकिन अदालत उनके जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आयी। अदालत ने उन्हें तीन सप्ताह के अदंर पुनः उचित हलफनामा पेश करने को कहा है। इस मामले में तीन सप्ताह बाद सुनवाई होगी। अगली सुनवाई पर पर्यटन सचिव को पुनः वर्चुअली पेश होने को कहा गया है।