लापरवाह जेई ने ही चढ़ाया और झुलसते 24 वर्षीय युवक को तड़पता देखता रहा !
…अब भितरघाती भेजकर, परिजनों को मैनेज करने की हो रही कोशिश?
अनिष्ट होने की सच्चाई जा रही है छिपाई ताकि फर्जीवाड़ा न खुले?
नाॅनटेक्निकल व्यक्ति को किस नियम के तहत चढ़ा दिया एक लाख बत्तीस हजार बोल्ट के करंट ट्रांसफार्मर पर?
पीआरडी के एक जवान रंजीत व देवेन्द्र ने 70% झुलसे, खम्भे पर लटक चुके राजन को नीचे उतारा
छोटे छोटे मामलों पर फोटो खिंचवाकर छपास के शौकीन एमडी भी नहीं पहुंचे व्यथित व पीड़ित परिजनों से मिलने?
सेल्फ-हेल्प ग्रुप में लगे उक्त गार्ड की 24 जून को अवधि हो चुकी थी समाप्त पर झांसें व लालच में रखे हुये ले रहे थे काम, क्यों?
क्या धामी शासन स्व संज्ञान लेकर जनहित और कानून हित में करायेगी एफआईआर?
(पोलखोल-तहलका ब्यूरो की पड़ताल)
रुड़की/देहरादून। लापरवाही और सम्वेदनहीनता की पराकाष्ठा की हद पार करने वाले सीएम धामी के प्रिय ऊर्जा निगमों में से एक पिटकुल की शर्मनाक हरकत की पोल उस समय खुली जब गत दिवस बिजली के हैवी बोल्टेज करंट से एक व्यक्ति के साथ हुए दर्दनाक हादसे की पड़ताल करने ब्यूरो चीफ रामनगर, रुड़की सबस्टेशन पर आज एकाएक पहुंचे। पोलखोल ब्यूरो चीफ के सामने रामनगर (रुड़की) सबस्टेशन पर बगले झांकते और गुमराह करते नजर आये चीफ इंजीनियर (गढ़वाल) व एसई साहब जिनकी नाक के नीचे यह दर्दनाक हृदयविदारक हादसा! हुआ।
यही नहीं बड़े हल्के में लेकर गलत बयानी करते भी नजर आये चीफ इंजीनियर अनुपम सिंह। उनके अनुसार राजन 50% से कम ही झुलसा है और उसका वे लोग उपचार कराने में लगे हुए हैं। चीफ ने कहा कि सीटी की ग्राउंडिग (अर्थिंग) ठीक कराना मामूली काम है और इसमें क्वालीफाईड इलैक्ट्रीशियन की अनिवार्यता नहीं है। यहां सम्बेदनहीनता तब और नजर आई जब बजाए जांच कर कार्यवाही करने की बात कहते ना कह कर टालते हुए साहब अपने जेई सुमित सैनी व एसडीओ वर्मा का ही पक्ष लेते नजर आए। चीफ ने यह भी स्वीकारा कि राजन का कार्यकाल 24 जून को समाप्त हो चुका था परंतु वह सीटी ठीक करने केलिए क्यों चढ़ाया गया , इसके बारे में कान्ट्रैक्टर ही बता सकता है। चीफ अनुपम सिंह ने बताया कि हादसा होने के बाद उसे उपचार हेतु सिविल अस्पताल रुड़की ले जाया गया और फिर देहारादून कोरोनेशन अस्पताल परंतु वहाँ बर्न बार्ड ना होने कारण दोपहर में एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया। एम्स में भी केवल पाँच बार्ड ही बर्न मामलों के लिए हैं।
वहीं इसके विपरित वास्तविकता यह बताई जा रही है कि दर असल वहां कोई कान्ट्रैक्टर है ही नहीं? कान्ट्रेक्टर मयंक एसोशियेट्स व अनुराग के नाम की कहानी बनाई जा रही है सब फर्जीवाड़। चल रहा है। वहीं अगर कुछ अपुष्ट सूत्रों की बात करें तो गम्भीर हताहत राजन के बारे में सही जानकारी और उसकी वास्तविक स्थिति की न देकर कृतिम सांसों पर दूर से दिखा परिजनों को बहलाया जा रहा है और टाईमपास करते हुए कुछ भितरघातियों को परिवार को मैनेज करने के लिए धन दिया गया है ताकि मामला जैसे तैसे शांत हो सके जबकि अनिष्ट तो हो ही चुका है व राजन दम तोड़ चुका है, ऐसी जानकारी भी मिली रही है? ज्ञात हो कि उक्त गुनाहगार जेई व अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करायें जाने की बात पर ग्रामीण अड़े हुये हैं।
ज्ञात हो कि 132केवी सबस्टेशन रामनगर पर एक गैर तकनीकी 24 वर्षीय नव युवक राजन को यह जानते हुये कि इस करंट ट्रांसफार्मर (सीटी) व लाईन में है और जिस नान टेक्निकल व्यक्ति को चढ़ाया जा रहा है उस पर १ लाख ३२ हजार बोल्टेज का जानलेवा करंट दौड़ रहा है और वह भी बिना किसी सुरक्षा उपाय के? यहां के सम्बंधित जिम्मेदार अधिकारियों की परस्पर विरोधाभासी बातों से यह भी तथ्य सामने आया है कि जेई ने ही उसे सीटी ग्राउडिंग करने के लिए चढ़ जा बेटा सूली पर भला करेगा राम की कहावत का अनुसरण किया। यह भी जानकारी मिली है कि वहां उपस्थित देवेन्द्र का भी हाथ मामूली रूप से झुलसा है तथा रंजीत नामक पीआरडी का कर्मचारी भी वहां मौजूद था और इन्होंने ही उसके झूले हुए शरीर को उतारा था? उल्लेखनीय है कि गढ़वाल चीफ का मुख्यालय रुड़की में ही है। राजन को क्या पता था कि वह जिन अधिकारियों का भरोसा कर रहा है कि वे उसे 1 सितम्बर को पक्का कर देंगे। वह शायद इस बात से भी बेखबर था कि ये मौकापरस्त अधिकारी उसे मूर्ख बना कर उससे अवैध रूप से काम ले रहे हैं। उक्त जेई लगभग दस बारह वर्षों से इसी डिवीजन में तैनात हैं।
2018 मे हादसे का शिकार हो चुका 18 वर्षीय मोहित
ज्ञात हो कि 24 वर्षीय राजन की तीन वर्ष पूर्व ही शादी हुई थी और उसका अभी एक डेढ़ माह का पुत्र है तथा राजन के पिता नंद लाल जो मजदूरी करके परिवार का पेट पालते हैं उनके राजन सहित तीन पुत्र हैं। इस घटना से लगभग चार पांच साल पहले इसी गनौली गांव का अठारह वर्षीय मोहित भी ऐसे ही हादसे का शिकार होकर दम तोड़ चुका।
बताया जा रहा है चर्चित जन सेवक क्षेत्रीय विधायक उमेश कुमार व पुलिस भी दिन में एम्स आई थी। किसने क्या किया क्या नहीं किया यह रहस्य ही बना हुआ है? मानवता और संबेदनशीलता को त्यागे हुये ये धूर्त अधिकारी जो भृस्टाचार से आकंठ तक डूब चुके हैं स्वार्थ मे अन्धे हो चुके हैं।
गांव वालों के बढ़ते दबाव और रोष को देखते हुए लिंगर आन करो की रण नीति के तहत सम्बेदनहीन एमडी ने कोई सुध नहीं ली जबकि महोदय के बारे में जाना जाता है कि नेताओं के गुण व छपास की शौकीनियत भी उनमें विद्यमान है।
देखना यहां गौर तलव होगा कि सीएम धामी की सम्बेदनशीलता किस हद तक इस हताहत परिवार के आंसू पोंछती है और दोषियों व सम्बेदनहीनों पर क्या कार्यवाही करती हैं?