रिजर्व फारेस्ट खनन मामला: जवाब दो अन्यथा जुर्माना भुगतो, प्रमुख सचिव को भी पेश होने के निर्देश – Polkhol

रिजर्व फारेस्ट खनन मामला: जवाब दो अन्यथा जुर्माना भुगतो, प्रमुख सचिव को भी पेश होने के निर्देश

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने आरक्षित वन क्षेत्र में खनन की अनुमति दिये जाने के मामले में सरकार को अंतिम मोहलत देते हुए एक सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिये हैं।

न्यायालय ने साथ ही अपने आदेश में लिखा है कि एक सप्ताह में जवाब पेश नहीं करने की एवज में प्रमुख सचिव वन व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होंगे और सरकार बतौर जुर्माना 25 हजार रुपये की धनराशि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करेगी।

मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने ये निर्देश आज बाजपुर निवासी रमेश कांबोज की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिये।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एसआरएस गिल की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार इस मामले में जवाब पेश नहीं कर रही है। अदालत ने पिछले साल 2022 में एक आदेश जारी कर सरकार को जवाबी हलफनामा प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे, लेकिन सरकार इस मामले में जवाब पेश करने में हीलाहवाली कर रही है।

आज तक जवाबी हलफनामा प्रस्तुत नहीं किया गया है। इसके बाद अदालत ने सरकार को अंतिम मोहलत देते हुए एक सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने को कहा। साथ ही जवाब नहीं देने की एवज में 25000 जुर्माना के साथ ही प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने को कहा है।

याचिकाकर्ता ने 2022 में एक जनहित याचिका दायर कर कहा कि सरकार की ओर से आरक्षित वन क्षेत्र में खनन की अनुमति दी जा रही है। यह उच्च न्यायालय के वर्ष 2014 में जारी आदेश का उल्लंघन है। इसके लिये केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति भी नहीं ली गयी है।

उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार उच्चतम न्यायालय से भी विशेष अपील हार चुकी है। इसके बावजूद सरकार की ओर से निजी लोगों को खनन के पट्टे आवंटित किये जा रहे हैं।

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